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समाज की सोच को चुनौती दे रहीं ये महिलायें, देखें देश की बात सुनाता हूं

हमारी दुनिया में ये कौन तय करता है कि कौन सा काम लड़का करेगा और कौन सा लड़की? और ये कब तय हुआ कि ये तो लड़कियों वाला काम है, या ये लड़कों वाला काम है? भारत में तो पुराने समय से नारी शक्ति की मिसालें हैं. झांसी की रानी के शौर्य से आगे बढ़कर क्या बात करें. 1887 में आनंदीबाई जोशी भारत की पहली महिला फिजिशियन बनीं. 1936 में सरला ठकराल पायलट लाइसेंस हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी. यानि परंपराओं को तोड़ने के मामले में हम दुनिया से कदमताल करते रहे हैं. सैल्यूट है उन लड़कियों को जो अपने पैशन को फ़ॉलो करने में हिचकती नहीं हैं. आज देश की बात सुनाता हूं में सोनू सूद उन लड़कियों का जिक्र कर रहे हैं जिन्होंने अपना काम चुनते हुए केवल अपने दिल की सुनी. देखिए.

In 1887, Anandibai Gopalrao Joshi became the first female physician in India. Sarla Thukral was the first Indian woman to fly an aircraft. She earned an aviation pilot license in 1936 at the age of 21. There are several examples where Indian women set their foot in professions that were reserved for men. In this video, Sonu Sood talks about Indian women who followed their hearts while choosing a profession.