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अंशु मलिक ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचकर रचा इतिहास, ये कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर

19 साल की अंशु मलिक (Anshu Malik) ने विश्व चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया. अंशु विश्व चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचने वाली तीसरी भारतीय है. उनसे पहले सुशील कुमार (2010) और बजरंग पूनिया (2018) यह कमाल कर चुके हैं.

अंशु मलिक ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइलन में पहुंचकर रचा इतिहास (फोटो- Social Media) अंशु मलिक ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइलन में पहुंचकर रचा इतिहास (फोटो- Social Media)
हाइलाइट्स
  • वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंची अंशु मलिक

  • फाइल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान

  • फाइल में पहुंचकर अंशु मलिक ने रचा इतिहास

  • सरीता मोर को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा

  • सरीता के पास कांस्य पदक जीतने का मौका

अंशु मलिक (Anshu Malik) ने विश्व चैम्पियनशिप फाइनल (World Championship Final) में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया. उन्होंने सेमीफाइनल में जूनियर यूरोपीय चैम्पियन सोलोमिया विंक को हराया. वहीं विश्व चैम्पियन को हराकर उलटफेर करने वाली सरिता मोर (Sarita Mor) सेमीफाइनल में हार गई और अब कांस्य के लिए खेलेगी. 19 साल की अंशु ने शुरू ही से सेमीफाइनल में दबदबा बनाए रखा और तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर जीत दर्ज करके 57 किलो वर्ग के फाइनल में पहुंच गई. इससे पहले भारत की चार महिला पहलवानों ने विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता है लेकिन सभी को कांस्य मिला है. गीता फोगाट ने 2012 में, बबीता फोगाट ने 2012 में , पूजा ढांडा ने 2018 और विनेश फोगाट ने 2019 में कांसे का तमगा जीता था.

अंशु मलिक वर्ल्ड चैंम्पियनशिप के फाइनल में पहुंची 

अंशु वर्ल्ड चैम्पियनशिप फाइनल में पहुंचने वाली तीसरी भारतीय पहलवान हैं. पुरुष पहलवानों की बात करें तो सुशील कुमार (2010) और बजरंग पूनिया (2018) यह कमाल कर चुके हैं. इनमें से सुशील ही गोल्ड जीत सके हैं. इससे पहले अंशु ने एकतरफा मुकाबले में कजाखस्तान की निलुफर रेमोवा को तकनीकी दक्षता के आधार पर हराया और फिर क्वार्टर फाइनल में मंगोलिया की देवाचिमेग एर्खेमबायर को 5-1 से शिकस्त दी थी. सरिता को बुल्गारिया की बिलयाना झिवकोवा ने 3-0 से हराया. अब वह कांस्य के लिये खेलेगी. इससे पहले उसने उलटफेर करते हुए गत चैंपियन लिंडा मोराइस को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी.

वर्ल्ड चैम्पियनशिप फाइनल में पहुंचने वाली तीसरी भारतीय महिला पहलवान

पूर्व एशियाई चैंपियन सरिता का मुकाबला पहले ही दौर में 2019 की विश्व चैंपियन कनाडा की पहलवान से था लेकिन वह 59 किग्रा वर्ग के प्री क्वार्टर फाइनल में 8-2 से जीत दर्ज करने में सफल रही. सरिता ने तेज शुरुआत की और रक्षण का अभी अच्छा नमूना पेश करते हुए पहले पीरियड के बाद 7-0 की बढ़त बना ली थी. लिंडा ने दूसरे पीरियड के टेकडाउन से दो अंक जुटाए लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने अपनी बढ़त बरकरार रखते हुए जीत दर्ज की.

सरिता और सेंड्रा के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला

सरिता और जर्मनी की सेंड्रा पारुसजेवस्की के बीच क्वार्टर फाइनल मुकाबला काफी करीबी रही. पूरे मुकाबले में अंक बनाने वाला सिर्फ एक मूव बना. सरिता ने टेकडाउन के साथ अंक जुटाते हुए सेंड्रा को हराया. दिव्या काकरान ने 72 किग्रा वर्ग में सेनिया बुराकोवा को चित्त किया लेकिन जापान की अंडर 23 विश्व चैंपियन मसाको फुरुइच के खिलाफ उन्हें तकनीकी दक्षता के आधार पर शिकस्त झेलनी पड़ी.

 

फाइनल मुकाबले के लिए पूरी तरह से तैयार हैं अंशु 

अंशु ने फाइनल में पहुंचने के बाद कहा, “मेरे लिए ये बेहद संतोषजनक है. मैं  बहुत खुश हूं. मेरे लिए ये दोगुनी खुशी है क्योंकि टोक्यो में जो नहीं कर पाई वह मैने यहां कर दिखाया है. मैंने हर मुकाबला अपनी आखिरी लड़ाई के रूप में लड़ा है. अंशु का परिवार भी स्पोर्ट्स  की दुनिया से ताल्लुक रखता है. उनके पिता भारतीय जूनियर रेसलिंग टीम का हिस्सा थे वहीं चाचा पवन साउत एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.

11 साल की उम्र में अंशु ने पहलवानी शुरू की 

अंशु ने 11 साल की उम्र में अपने भाई के साथ कुश्ती शुरू की.  अंशु के पिता का सपना था कि उनकी बेटी ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करे और अब अंशु ऐसा करने के करीब पहुंच चुकी है. अंशु के पापा ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा था, 'जिस दिन अंशु ने रेसलिंग शुरू की मेरा सपना था कि वह ओलिंपिक में खेले.  यह ओलिंपिक मेडल जीतने की राह का एक पड़ाव है.'