scorecardresearch

Inspiring: चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर इस महिला ने लगाई देश की पहली ऑटोमैटिक बुक वेंडिंग मशीन, सस्ते दामों पर मिलती हैं किताबें

चेन्नई की 26 वर्षीय मायावती ने चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर देश की पहली ऑटोमैटिक बुक वेंडिंग मशीन लगाई है. इस मशीन से यात्री टिकट, पानी या स्नैक्स की तरह अब किताबें भी मिनटों में खरीद सकते हैं.

Automated Book Vending Machine Automated Book Vending Machine
हाइलाइट्स
  • चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर देश की पहली ऑटोमैटिक बुक वेंडिंग मशीन

  • बुकस्टोर्स से सस्ती कीमतों पर मिलती है यहां किताबें

आज जहां ज़्यादातर लोग फुर्सत में मोबाइल में रील्स या वीडियो देखने में व्यस्त रहते हैं, वहीं चेन्नई की 26 साल की मायावती ने लोगों को फिर से किताबों की ओर मोड़ने का अनोखा तरीका खोज निकाला है. चेन्नई की 26 वर्षीय मायावती ने चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर देश की पहली ऑटोमैटिक बुक वेंडिंग मशीन लगाई है. इस मशीन से यात्री टिकट, पानी या स्नैक्स की तरह अब किताबें भी मिनटों में खरीद सकते हैं. यह पहल न केवल चर्चा में है, बल्कि यात्रियों के बीच खूब लोकप्रिय भी हो रही है।

रेलवे स्टेशन बना किताब प्रेमियों का नया ठिकाना
मायावती ने बताया कि उन्होंने रेलवे स्टेशन को इसलिए चुना क्योंकि यहां रोज लाखों लोग आते-जाते हैं. लोग टिकट, पानी या कॉफी वेंडिंग मशीन के आदी हैं, इसलिए बुक मशीन को भी उन्होंने बेहद सकारात्मक रूप से अपनाया. यह मशीन 24 घंटे चालू रहती है और यात्रियों को बच्चों की किताबें, कहानियां और प्रेरक साहित्य आसानी से उपलब्ध कराती है.

अब तक बिक चुकी हैं 500 किताबें
पहली मशीन चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर लगाई गई, जहां अब तक 350 से ज्यादा किताबें बिक चुकी हैं. इसकी सफलता के बाद मायावती ने तांबरम रेलवे स्टेशन पर दूसरी मशीन लगाई. वहां भी लगभग 150 किताबें बिक चुकी हैं. अब वे जल्द ही एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन पर तीसरी मशीन लगाने की तैयारी कर रही हैं. मायावती का कहना है कि जिलों से भी अब ऐसे मशीनों की मांग आने लगी है, जिससे साफ है कि लोगों में किताबों को लेकर रुचि अभी भी बरकरार है.

 

कम दाम में बिकती हैं किताबें
मायावती का मकसद सिर्फ किताबें बेचना नहीं, बल्कि लोगों में पढ़ने की आदत बढ़ाना है. इस मशीन में रखी किताबें दुकानों की तुलना में कम दामों पर उपलब्ध हैं. हर दो-तीन दिन में नई किताबें मशीन में रखी जाती हैं ताकि पाठकों को नई किताबें मिल सकें. मायावती का मानना है कि अगर किताबें लोगों की नजरों के सामने होंगी, तो वे अनजाने में भी एक दिन खरीद ही लेंगे.

पढ़ने की आदत को फिर जगाने की कोशिश
मायावती का मानना है कि इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से पढ़ने की आदत में गिरावट आई है. लोग अब हर जवाब के लिए गूगल पर निर्भर हो गए हैं, जिससे सोचने और समझने की क्षमता सीमित होती जा रही है. अगर किताबें आसानी से मिलेंगी, तो लोग पढ़ना फिर शुरू करेंगे. खासकर ट्रेन में लंबी यात्रा करने वाले यात्री, जिनके पास इंटरनेट नहीं होता, किताबें उनके लिए सबसे अच्छा साथी बन सकती हैं.

'सनसेट ह्यूज' के नाम से चलाती हैं ये पहल
मायावती ने अपने स्टार्टअप Sunset Hues के तहत इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की. उनका मकसद मशीनों के जरिए किताबें हर वर्ग तक पहुंचाना है. वे चाहती हैं कि भविष्य में स्कूलों, बस अड्डों और मॉल्स में भी ऐसी मशीनें लगें, ताकि कोई भी व्यक्ति किताब न मिलने का बहाना न बना सके.