जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार रामअवतार शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता जी हीराबेन मोदी की एक सुंदर प्रतिमा तैयार कर अपने कौशल और भारतीय परंपरा की उत्कृष्टता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है. यह प्रतिमा उन्होंने स्वयं प्रधानमंत्री को दिल्ली स्थित उनके निवास पर जाकर भेंट की, जो उनके लिए गर्व और सम्मान का क्षण था. इस प्रतिमा को तैयार करने में करीब दो महीने का समय लगा और इसे पूरी तरह मकराना के संगमरमर से हाथों से तराशा गया है.
क्या है खास मूर्ति में
इस मूर्ति की निर्माण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की मशीन का उपयोग नहीं किया गया, बल्कि इसे पूरी तरह से हाथों की बारीकी और कारीगरों की निपुणता से तैयार किया गया. रामअवतार शर्मा बताते हैं कि उन्होंने पहले इस प्रतिमा का क्ले मॉडल (मिट्टी की आकृति) तैयार किया, जिसके आधार पर संगमरमर पर नक्काशी शुरू की गई. इसके बाद प्रतिमा पर सूक्ष्म स्तर पर पॉलिशिंग और पेंटिंग की गई ताकि इसमें जीवंतता आ सके. यह मूर्ति भारतीय प्राचीन शिल्पकला और आधुनिक कला-पद्धति का उत्कृष्ट संगम मानी जा रही है.
कई कलाकारों की लगी मेहनत
रामअवतार शर्मा के अनुसार इस प्रतिमा को आकार देने में तीन से चार कलाकारों की मेहनत लगी जिन्होंने दिन-रात मिलकर इसे मूर्त रूप दिया. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे महान नेता को उनकी माता जी की प्रतिमा भेंट करना उनके जीवन का सबसे विशेष और भावनात्मक पल रहा. उन्होंने बताया कि इस अद्भुत अवसर का श्रेय वे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को देते हैं, जिनकी पहल पर वे दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सके और यह अनोखा उपहार उन्हें सौंप सके.
पीएम की माता को लेकर श्रद्धा का रखा ध्यान
रामअवतार शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री की माता जी के प्रति उनकी श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रतिमा के हर भाव, मुद्रा और चेहरे की कोमलता को पूरी संवेदनशीलता से गढ़ा है, ताकि यह प्रतिमा सिर्फ एक कलाकृति न रहकर भावनाओं का प्रतीक बन सके. मकराना के शुद्ध संगमरमर से बनी यह मूर्ति न केवल राजस्थान की शिल्प परंपरा का गौरव है, बल्कि यह भारत की कला, संस्कृति और मातृभक्ति के गहरे भावों को भी दर्शाती है. रामअवतार शर्मा की यह रचना आज कलाकारों के लिए प्रेरणा है कि सच्ची कला वही है जो भावनाओं से जुड़कर आत्मा को स्पर्श करे.