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दो दोस्तों का कमाल, बांस से बनाई साइकिल, उठा सकती है 100 किलोग्राम का भार

8.2 किलोग्राम वजन और बांस से तैयार किए गए सामानों  से बनी बंबूका साइकिल लगभग 18 किलोग्राम वजन वाली औसत साइकिल की तुलना में कम से कम 60 प्रतिशत हल्की है.

बांस की साइकिल बांस की साइकिल
हाइलाइट्स
  • आम साइकिल की तुलना में 60 प्रतिशत हल्की.

  • एक साइकिल बनाने में लगभग 20 दिन लगते हैं.

बस्तर के कुछ युवाओं ने एक अनूठी साइकिल का निर्माण किया है. खास बात ये है कि इस साइकिल को बांस और लौह शिल्प के मेल से बनाया गया है. 1 साल की मेहनत के बाद ये मॉडल तैयार हुआ है और बाज़ार से इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. ये महज साइकिल नहीं हुनर और हस्तशिल्प का बेहद अनूठा मेल है. बांस की ये साइकिल, ढोकरा और लौह शिल्प की बेहद सुंदर जुगलबंदी का नतीजा है. ये देखने में आकर्षक तो है ही मजबूती में भी इसका कोई सानी नहीं. ये 1 क्विंटल तक का भार उठाने में सक्षम है. इस प्रयोग को बस्तर की नेचर एक्सपेस संस्था से जुड़े दो युवाओं ने अंजाम दिया है.

बंबूका नाम की ये साइकिल जगदलपुर के पेशेवरों के दिमाग की उपज है. ये बांस, रॉट आयरन, जूट फाइबर और बेल मेटल से बनाई गयी है. इस साइकिल के बारे में बताते हुए नेचरस्केप परियोजना के सह-संस्थापकों में से एक आसिफ खान ने कहा, “हमने सोचा कि हमें आजीविका का एक दायरा बनाना चाहिए और क्षेत्र में आदिवासी समुदायों के अद्वितीय हस्तशिल्प को संरक्षित करना और बढ़ावा देना चाहिए. आदिवासी आमतौर पर उन कामों या नौकरियों को अपनाते हैं जो उन्हें अपने पूर्वजों की जड़ों से जुड़े हुए लगते हैं. हस्तशिल्प उनके जीवन का एक ऐसा क्षेत्र है.”

आम साइकिल की तुलना में 60 प्रतिशत हल्की 

सिर्फ 8.2 किलोग्राम वजन और बांस से तैयार किए गए सामानों  से बनी बंबूका साइकिल लगभग 18 किलोग्राम वजन वाली औसत साइकिल की तुलना में कम से कम 60 प्रतिशत हल्की है. आसिफ खान ने कहा कि बंबूका बस्तर के कारीगरों और उनकी तेजी से घटती कला को श्रद्धांजलि है. आसिफ खान ने आगे बताया, 'एक साल से ज्यादा समय से, हमने साइकिल-ऑरिएंटेड डिज़ाइन और यूजर सेंटर्ड ज्यामिति पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि इसे मजबूत, सुरक्षित और आरामदायक बनाया जा सके. ये कम से कम 100 किलोग्राम भार को सहन कर सकती है. धातुओं के विपरीत इसके लचीलेपन के कारण बांस में एक शॉक एब्सॉर्बिंग पावर होती है. हमारी अगली योजना महिलाओं के लिए साइकिल बनाने की है.'

 इस साइकिल की कीमत लगभग 35,000 रुपये रखी गयी है. नेचरस्केप के सह-संस्थापक तरुण शर्मा ने कहा, "एक साइकिल बनाने में लगभग 20 दिन लगते हैं क्योंकि बांस को केमिकली ट्रीट किया जाता है. उसमें से नमी की मात्रा निकालकर, धूप में सुखाया जाता है और उसके बाद एक क्लियर कोट होता है."