
जन्मदिन हो, शादियां हों या कोई भी खास मौका हो, लोग उपहार, मिठाइयां और भव्य पार्टियों के जरिये इनका जश्न मनाते हैं. लेकिन उत्तराखंड के देहरादून में रहने वाले पुलिस के एक जवान का अंदाज़ थोड़ा अलग है. मनमोहन सिंह भटकोरा खुशी के ऐसे मौकों का इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के लिए करते हैं. मनमोहन अपने दोस्तों, परिजनों और परिचितों के खास मौकों पर उन्हें पौधे लगाने के लिए देते हैं. उनकी पर्यावरण संरक्षण की यह पहल कई लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है.
पेड़-पौधों के साथ मनाते हैं जश्न
मनमोहन के लिए पेड़ लगाने का यह सफर बचपन में शुरू हुआ था. वह जब अपने माता-पिता के साथ रहते थे, तभी से पेड़-पौधे लगाया करते थे लेकिन जब वह काम के सिलसिले में देहरादून आकर रहने लगे तो उन्होंने तोहफे के तौर पर लोगों को पेड़ देना शुरू कर दिया. फिर क्या था, मनमोहन को अपना यह आइडिया इतना पसंद आया कि वह अनजान लोगों का जन्मदिन भी पेड़ लगाकर मनाने लगे.
सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिसकर्मी मनमोहन समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ खास बातचीत में कहते हैं, "मैं अपने माता-पिता को देखकर शुरू से ही पेड़-पौधे लगाता रहा हूं. पिछले दो-तीन सालों से मैं देहरादून में रहकर सोचता था कि यार दोस्तों को क्या गिफ्ट दिया जाए जन्मदिन पर, शादी पर, तो जब भी बाजार जाता था तो समझने में बहुत परेशानी होती थी. मेरे दिल में ख्याल आया एक दिन, क्यों ना इनके इस खुशी के मौके को कुछ खास बनाया जाए. यादगार बनाया जाए. तो मैंने यहां वृक्षारोपण की मुहिम चालू की."
अब तक लगा चुके 300 पौधे
मनमोहन इस अभियान के लिए मासिक वेतन का करीब पांच फीसदी खर्च करते हैं. वह दो साल पहले शुरू की गई पहल के बाद से देहरादून में करीब 300 पेड़ लगा चुके हैं. मनमोहन कहते हैं, "अभी तक लगभग 250-300 पौधे मैंने लगा दिए होंगे देहरादून के अंदर. सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि थोड़े से 40-50 पौधे जो मेरे, कहीं स्मार्ट सिटी बनी या कहीं पर विकास कार्य होता है तो वहां पर उखड़ जाते हैं या कट जाते हैं, लेकिन जब मुझे मालूम होता है कि मेरा लगाया हुआ पौधा कहीं नष्ट हो गया है तो मैं उसकी जगह नया पौधा लगा देता हूं."
मनमोहन न सिर्फ खुद पेड़ लगाते हैं, बल्कि दूसरों को प्रेरित भी करते हैं. उन्हें अपने लगाए गए पेड़ों की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि यह एहसास हो कि पर्यावरण की सुरक्षा एक साझा कर्तव्य है. उनकी पहल को मान्यता मिल रही है. कई लोगों को अपने खास दिन पेड़ लगाकर मनाने की प्रेरणा मिल रही है.
लोग भी हुए प्रभावित
पिथौरागढ़ से देहरादून आए रोहित ओझा मनमोहन की इस मुहीम से बहुत प्रभावित हुए हैं. वह कहते हैं, "जब मैं पिथौरागढ़ जनपद से अपने निजी काम से यहां देहरादून आया हुआ था तो सोशल मीडिया के माध्यम से उनको जानकारी मिली कि आज मेरा जन्मदिन है तो उनका फोन आता है कि भाई आपको जन्मदिन की बधाई. अगर आप देहरादून में हैं तो हमने ऐसी मुहिम की यहां पर शुरुआत की हुई है."
उन्होंने कहा, "आप उसके भागीदार बनें. तो मुझे खुशी हुई कि कोई व्यक्ति अपने कामकाज के साथ दूसरों के जन्मदिन मनाने का काम इस देहरादून जनपद के अंदर कर रहा है. मैं उसके बाद आया और आज हम लोगों ने परेड ग्राउंड के अंदर एक पीपल का पेड़ लगाया और इसमें हमने निराई-गुड़ाई भी की है और खाद भी डाली है."
देहरादून के निवासी ऋषभ पाल कहते हैं, "मनमोहन दा ने बहुत अच्छी मुहिम चलाई है. जब किसी का जन्मदिन हो या कोई भी घर में ऐसा काम हो तो हमें एक पौधा लगाने का संकल्प लेना चाहिए. हम उत्तराखंड देवभूमि से आते हैं और हमारी देवभूमि में हमारी प्रकृति को हमारे वातावरण को बचाकर रखना, उसको किस तरह से अच्छा बनाना है, ये सब चीजें होती हैं."
उन्होंने कहा, "मनमोहन दा ने जो मुहिम चलाई है कि जन्मदिवस पर हम वृक्ष लगाएं, यह बहुत अच्छी है और हम सभी लोगों से आग्रह करेंगे कि वे अपने दोस्तों को बताएं कि जब भी कोई ऐसा अवसर आए तो उसमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं और उनको बचाकर रखें. ऐसा नहीं कि पेड़ लगाया और फिर उसे उजड़ने के लिए छोड़ दिया. उसकी देखभाल भी करनी है."
जलवायु परिवर्तन, जंगलों की कटाई और बढ़ते प्रदूषण के दौर में मनमोहन सिंह भटकोरा की निरंतर कोशिश एक प्रेरक मिसाल है. निजी उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए पेड़ लगाने के सरल, लेकिन असरदार काम के जरिये वे न सिर्फ पर्यावरण जागरूकता बढ़ा रहे हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और देखभाल की संस्कृति को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं.