Gaurav Singh success story
Gaurav Singh success story खुद पर विश्वास हो और मेहनत करने जज़्बा हो तो क्या कुछ नहीं हो सकता. इसका ताजा उदाहरण हैं बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) 65वीं के टॉपर गौरव सिंह. गौरव ने नौकरी छोड़कर सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी की और सफलता पाई. गौरव ने यह उपलब्धि अपने तीसरे प्रयास में हासिल की. उन्होंने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपनी मां को दिया है. गौरव के पिता नहीं हैं.
गौरव की पढ़ाई कहां से हुई?
गौरव सिंह बिहार के रोहतास जिले के चमरहा गांव के रहने वाले हैं. गांव में पांचवीं तक की पढ़ाई करने के बाद वे बनारस के सेंट्रल हिंदू स्कूल चले गए, जहां से उन्होंने 12वीं पास की. फिर कलिंगा विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद कुछ दिनों तक पुणे में नौकरी की. कुछ समय बाद ही जॉब छोड़कर वे सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गए. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में गौरव ने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सिविल सर्विस की तरफ जाने का फैसला कर लिया था.
सफलता में मां की बड़ी भूमिका रही
गौरव को अपने तीसरे प्रयास में नंबर वन रैंक मिली. इससे पहले 64वीं BPSC की परीक्षा में उन्हें 144वां स्थान मिला था और तब उन्हें सामाजिक सुरक्षा के पद पर ज्वाइनिंग मिल रही थी. एक अखबार को गौरव ने बताया कि इस सफलता में उनकी मां की बहुत बड़ी भूमिका है. गौरव ने कहा, "पिता की मौत के बाद मां ने ही घर को संभाला और बच्चों को पढ़ाया. पिता की धुंधली यादें ही साथ में है, क्योंकि उनका काफी पहले देहांत हो गया था." गौरव की मां शशि देवी शिक्षिका हैं और पिता मनोज कुमार सिंह एयरफोर्स में थे.