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Ghaziabad Jail Library: अब जेल में ही आज़ाद करेगी शिक्षा! गाज़ियाबाद की जेल में 15000 किताबों के साथ खुली लाइब्रेरी

सामाजिक संगठनों की मदद से जेल प्रशासन द्वारा जिला जेल को सजा केंद्र के बजाय सुधार गृह में बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कैदियों को रिहा होने के बाद अपना जीवन फिर से बनाने में मदद मिलेगी.

Representational Image: AI Representational Image: AI

कहा जाता है कि शिक्षा एक इंसान को सभ्य और सामाजिक बनाकर आज़ाद कर देती है. ग़ाज़ियाबाद के जिला कारावास ने इस बात की सनद लेते हुए जेल के अंदर एक लाइब्रेरी खोली है जिसकी शुरुआत 15000 किताबों के साथ की गई है. जेल के अधिकारियों का मानना है कि वह इसके ज़रिए कैदियों को एक नया जीवन शुरू करने का मौका दे रहे हैं. 

जेल प्रशासन को उम्मीद है कि यह आधुनिक पुस्तकालय जेल में बंद कैदियों के लिए शिक्षा का केंद्र बनेगा और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा. और यह सही भी है, क्योंकि इसके खुलने के बाद, कैदी न केवल पढ़ने के लिए पुस्तकालय आ रहे हैं, बल्कि कुछ तो अपनी बैरक में पढ़ने के लिए किताबें उधार भी ले रहे हैं.

गीता से लेकर एसएससी तक...
जेल पुस्तकालय की 15,000 से ज्यादा पुस्तकों में धार्मिक ग्रंथ, हिंदी और अंग्रेजी साहित्य, कानून से संबंधित पुस्तकें, आत्मकथाएं, सामाजिक विज्ञान और यहां तक कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक पुस्तकें भी शामिल हैं. 

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अधिकारियों के अनुसार, इस पहल के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और आने वाले दिनों में जेल में कहानी सुनाने, रचनात्मक लेखन और अन्य गतिविधियों से संबंधित प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी, ताकि अधिक से अधिक कैदियों को शिक्षा के प्रति प्रेरित किया जा सके.

ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट जेल अधीक्षक सीता राम शर्मा के हवाले से कहती है, "किताबें व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं. हम चाहते हैं कि कैदी शिक्षा के महत्व को समझें. पढ़ने से उन्हें सकारात्मक रहने, आत्मविश्वास बढ़ाने और जेल के बाद बेहतर जीवन के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी." 

जेल में चलते हैं सर्टिफिकेट कोर्स भी
गौरतलब है कि जेल में पहले से ही व्यावसायिक प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट कोर्स चलते हैं. कैदियों की शिक्षा में सहयोग के लिए परिसर में ही एक इग्नू (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय) केंद्र भी स्थापित किया गया है. इसके लिए कैदियों की साक्षरता बढ़ाने हेतु एक विशेष शिक्षा समिति का गठन किया गया है.

शर्मा ने कहा, "गाजियाबाद जिला जेल में कैदियों के लिए विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण पर सर्टिफिकेट कोर्स चलाए जा रहे हैं. जेल परिसर में एक इग्नू केंद्र भी है. जेल में एक शिक्षा समिति भी बनाई गई है जो कैदियों की साक्षरता में सुधार करती है."

उनका कहना है कि इस पुस्तकालय के माध्यम से, जेल प्रशासन कैदियों के जीवन में बदलाव लाने की उम्मीद करता है. सभी कैदियों को पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस पुस्तकालय में 15,000 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं, कैदी अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकालय से पुस्तकें प्राप्त कर सकते हैं. 

सामाजिक संगठनों की मदद से जेल प्रशासन द्वारा जिला जेल को सजा केंद्र के बजाय सुधार गृह में बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कैदियों को रिहा होने के बाद अपना जीवन फिर से बनाने में मदद मिलेगी.