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अदालत से आई गुड न्यूज! 1 दिन में 15 लाख मामलों का हुआ निपटारा, हुई रिकॉर्ड कमाई

देश के 33 राज्यों में एक साथ लोक अदालतों में 33 लाख से ज्यादा मामलों की सुनवाई हुई और इसमें भी गुड न्यूज ये है कि एक ही दिन के अंदर उन सभी मामलों में से 15 लाख 33 हजार 186 मामलों का निपटारा भी हो गया. यानि अदालत में लंबित मुकदमों की सूची से 15 लाख से ज्यादा मामलों की फाइल बंद भी हो गई.

1 दिन में 15 लाख मामलों का हुआ निपटारा (सांकेतिक फोटो) 1 दिन में 15 लाख मामलों का हुआ निपटारा (सांकेतिक फोटो)
हाइलाइट्स
  • 1 दिन में 15 लाख मामलों का हुआ निपटारा

  • 33 लाख से ज्यादा विवादों पर एक दिन में सुनवाई

  • पुराने केस का बोझ कम, रिकॉर्ड कमाई

देश भर के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ आयोजित लोक अदालत में 33 लाख से ज्यादा मुकदमों पर सुनवाई हुई. 2021 में ये तीसरी लोक अदालत है. कोविड की स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और ओडिशा में लोक अदालत सितंबर के चौथे हफ्ते में आयोजित होगी. 

नेशनल लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी के सदस्य सचिव अशोक जैन के मुताबिक ऑथोरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उदय उमेश ललित की अगुआई में आयोजित इस लोक अदालत में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उदय उमेश ललित की अगुआई में आयोजित इस लोक अदालत में सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला और सत्र न्यायालय तक लोक अदालत लगी. इनमें प्री लिटिगेशन स्टेज के 18 लाख 50 हजार से ज्यादा मामलों पर सुनवाई हुई. इनमें से नौ लाख 41 हजार मामलों का तो निपटारा भी हाथों हाथ हो गया.

इस सिलसिले में सेटलमेंट और दंड स्वरूप तीन अरब 76 करोड़ 78 लाख 66 हजार 143 रुपए की वसूली भी हुई. वर्षों से लंबित मामलों में 14 लाख 62 हजार 322 मामलों पर सुनवाई हुई जिनमें से 5 लाख 92 हजार 261 मामले निपटा दिए गए. सेटलमेंट अमाउंट के तौर पर 19 अरब 04 करोड़  51 लाख 96 हजार 808 रुपए वसूले गए. 

जानें कितनी हुई कमाई?

इस हिसाब से कुल 33 लाख 12 हजार 389 मामलों पर हुई सुनवाई में  15लाख 33 हजार 186 मामलों का लगे हाथ निपटारा हो गया. यानी अदालतों में लंबित मुकदमों की सूची से ये मुकदमे  सीधे सीधे गायब हो गए. इन मुकदमों के हाथों हाथ सेटलमेंट के जरिए मुकदमों का बोझ जहां कम हुआ वहीं राजस्व कोष में रिकॉर्ड  22 अरब 81करोड़ 30 लाख 62 हजार 951 रुपए जमा हुए. अधिकतर मामले कम्पनी लॉ, पारिवारिक विवाद, चेक बाउंस, श्रमिक मामले, राजस्व विवाद, मामूली अपराध और विवादों से संबंधित मामले थे. आदिवासी और नक्सली इलाकों में भी लोक अदालतें लगाई गईं.