
लगभग पूरा पंजाब ही इस वक्त बाढ़ के प्रकोप से जूझ रहा है. प्रशासन के लिए हर जगह पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा. ऐसे में आम जन ही एक-दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. यह घटना उन्हीं चुनिंदा मौकों में से एक है जब मालूम पड़ता है कि भले ही मुट्ठी भर लोग भारत को धर्म-जाति-पंथ या भाषा के आधार पर बांटने की कोशिश करें, लेकिन हमारी इंसानियत हमें एक धागे में पिरो देती है.
राजस्थान से सामने आई एक खबर ने इस बात को सच साबित कर दिया है. यहां एक मस्जिद में पंजाब बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाने के लिए एक अपील हुई. और गांव के लोगों ने सिर्फ एक घंटे में ही पंजाब के लिए 5.80 लाख रुपए का चंदा इकट्ठा कर दिया. यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि इस गांव के लोग बहुत संपन्न होने के लिए नहीं पहचाने जाते, लेकिन इंसानियत के नाते इन्होंने एक-एक पाई जोड़कर पंजाब के लिए यह रकम इकट्ठा की है.
पठानों-सैनिकों का गांव है खीरवा
दरअसल यह मामला राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ शहर के करीब मौजूद खीरवा गांव का है. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह गांव पठानों, सैनिकों और पूर्व सैनिकों के लिए पहचाना जाता है. जब दो दिन पहले जुम्मे की नमाज़ के दौरान मौलाना महमूद ने लोगों से पंजाब मदद भेजने की अपील की तो महज़ एक घंटे में ही मस्जिद में आए नमाज़ियों ने 5.80 लाख रुपए इकट्ठा कर लिए.
रिपोर्ट के अनुसार, यह राशि लुधियाना में बाढ़ पीड़ितों के लिए चल रहे राहत कैंप तक पहुंचाई जाएगी. इस काम के लिए गांव के कुछ लोग लुधियाना रवाना होंगे. इसके बाद कैंप से ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों तक मदद पहुंचाई जाएगी.
कैसे हैं पंजाब के हालात?
बाढ़ से मची तबाही के बाद धीरे-धीरे पंजाब दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है. पिछले दो दिनों में बाढ़ से तबाह राज्य में किसी और जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन 23 जिलों के 1948 गांवों के 3.84 लाख लोग अभी भी बाढ़ से हुए नुकसान से जूझ रहे हैं. खड़ी फसल के अलावा, कई लोगों ने अपने घर भी खो दिए हैं.
आकाशवाणी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री के निर्देश पर पिछले गुरुवार को पंजाब के दौरे पर आए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब में आई भीषण बाढ़ के लिए अवैध खनन को ज़िम्मेदार ठहराया था. उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र राज्य में राहत और पुनर्वास के लिए एक अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार करेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को भी पूरी गंभीरता से ज़मीनी स्तर पर काम करना होगा.
राज्य सरकार ने अभी तक कुल नुकसान का आकलन नहीं किया है, लेकिन कृषि, वित्त, ऊर्जा और ग्रामीण विकास सहित कई मंत्रालयों के अधिकारियों वाली दो अंतर-मंत्रालयी टीमें नुकसान का आकलन कर रही हैं और केंद्र सरकार के लिए एक क्षति रिपोर्ट तैयार कर रही हैं.