बालाजी मंदिर
बालाजी मंदिर मौसम में लगातार तेजी से बदलाव हो रहा है. तापमान में गिरावट के साथ ही भगवान के डायट चार्ट में भी बदलाव होने लगा है. भगवान को अब सुबह खिचड़ी और हलवे का भोग लगाया जाता है. तो शयन आरती के वक्त दूध में खजूर डालकर दिया जा रहा है. साथ ही गर्म पानी से भगवान का स्नान कराया जाता है. भगवान के मंदिर में हीटर लगा चुके हैं. साथ ही रात के समय भगवान को कंबल ओढ़ाए जाते हैं. सभी मंदिरों में मौसम के साथ ही इस तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
सर्दियों में भगवान के लिए है खास इंतजाम
राजस्थान में मौसम तेजी से बदल रहा है. सर्दी का प्रभाव बढ़ने लगा है. बाजार में सर्दी के मौसम के अनुसार चीजें बिक रही है. बाजार में लोग गर्म कपड़ों की खरीदारी भी जमकर कर रहे हैं. मौसम में हो रहे इस बदलाव का असर मंदिरों पर भी नजर आने लगा है. भगवान को दिन के समय गर्म शॉया ओढ़ाया जाता है. तो रात को शयन आरती के बाद भगवान को कंबल ओढ़ाया जाते हैं. भगवान के डायट चार्ट में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. भगवान को सुबह के समय खिचड़ी और गर्म हलवे का भोग लगाया जाता है. साथ ही तिल से बनी हुई गज्जक, मूंगफली व गुड से बनी हुई चीजों का भी भोग में इस्तेमाल होने लगा है. रात के समय भगवान को दूध के साथ खजूर का भोग लगाया जाता है. यह सर्दी में गम रहता है. सर्दी के मौसम में आने वाली बथुआ, पालक, मेथी सहित अन्य चीजों से बनी हुई खाद्य सामग्री भी भगवान को भोग में लगाई जाती है. सर्दी बढ़ने पर रात के समय भगवान के मंदिर में हीटर लगाए जाते है, तो गर्म पानी से भगवान का स्नान होता है.
बच्चों की तरह रखा जा रहा है ख्याल
अलवर के वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर के महंत सुदर्शन आचार्य महाराज ने बताया कि जिस तरह से हम घरों में बच्चों का ध्यान रखते हैं. ठीक उसी तरह से मंदिरों में भगवान का भी ध्यान रखा जाता है. 10 दिसंबर से फरवरी महीने तक भगवान को मौसम के अनुसार गर्म चीजों का भोग लगाया जाता है. साथ ही सर्दी में जो चीज गर्माहट देती हैं वह भोग में शामिल होती हैं. अलवर के अन्य मंदिरों में भी इसी तरह के हालात हैं. भगवान जगन्नाथ मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, गोविंद देव जी मंदिर सहित सभी प्रमुख मंदिरों में सर्दी के अनुसार भगवान को खाद्य सामग्रियों का भोग लगाया जा रहा है.
गर्म कपड़े भगवान को पहनाए गए हैं. पुजारी ने बताया कि भगवान की डायट मौसम के अनुसार तैयार की जाती है. इस महीने को पौष का महीना कहा जाता है. इसलिए भगवान को गरम दाल के बने हुए पकोड़े व चटनी का भोग लगाया जाता है. उसे प्रसाद को भक्तों में बांटा जाता है. सर्दी के मौसम में समय के साथ भगवान की आरती व भोग की व्यवस्था में भी बदलाव होता है.
(रिपोर्ट- हिमांशु शर्मा)
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