
खाना-पीना जिंदगी का वह हिस्सा है जो न केवल शरीर को ऊर्जा देता है, बल्कि खुशी और संतोष भी देता है. लेकिन सोचिए, अगर किसी खाने के शौकीन इंसान को ऐसी बीमारी हो जाए कि वो चाहकर भी खा न सके.
ऐसा ही कुछ हुआ है ग्लासगो की रहने वाली शैनन डनबार-डावे के साथ. शैनन को खाने-पीने का बहुत शौक था. वे अलग-अलग डिशेज ट्राई करती थीं. एक दिन अचानक उन्हें पेट फूलने और जी मिचलाने की समस्या हुई. शुरुआत में शैनन को लगा कि ज्यादा कॉफी पीने की वजह से उन्हें ये सब हो रहा है. दिन बीतते गए और बीमारी बढ़ती गई ऐसे में शैनन ने जांच कराई. जांच में पता चला कि उन्हें स्टमक पैरालिसिस हो गया है. स्टमक पैरालिसिस को गैस्ट्रोपैरालिसिस (Stomach Paralysis) के नाम से भी जाना जाता है.
इस बीमारी में पेट की मसल्स खाना नहीं पचा पाती. शैनन ने बताया कि इस बीमारी के कारण उन्हें भयानक दर्द और उल्टी हुई. वह सिर्फ कुछ बिस्किट खा पाती थीं, लेकिन उनका पेट इतना फूल जाता था जैसे वह छह महीने की गर्भवती हों. इस बीमारी की वजह से उनका वजन 64 किलो से घटकर 35 किलो हो गया है. आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी और इससे कैसे बच सकते हैं.
क्या होता है पैरालिसिस?
पैरालिसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पेट की मसल्स साधारण रूप से काम करना बंद कर देती हैं. सामान्य स्थिति में पेट की मसल्स भोजन को छोटी आंत (small intestine) की ओर धकेलने में मदद करती हैं, जिससे खाना पचता है. लेकिन गैस्ट्रोपैरालिसिस में पेट की मसल्स कमजोर या धीमी हो जाती हैं, जिससे खाना लंबे समय तक पेट में रुका रहता है और पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है.
गैस्ट्रोपैरालिसिस क्यों होता है?
1. डायबिटिक गैस्ट्रोपैरालिसिस
यह डायबिटीज के कारण होता है. लंबे समय तक अन्कन्ट्रोल्ड शुगर लेवल पेट की नसों को कमजोर कर देता है, जिससे हमारे शरीर की पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है.
2. सर्जरी से होने वाला गैस्ट्रोपैरेसिस
पेट या आंत (Intestine) की सर्जरी के बाद अगर नसों को नुकसान हो जाए, तो यह समस्या हो सकती है. खासतौर पर वेगस नर्व (Vagus Nerve) (ये एक बहुत जरूरी नस है, जो हमारे शरीर को पाचन और आराम में मदद करती है) के डैमेज होने से पेट का खाना पचाने का काम धीमा पड़ जाता है.
3. दवाओं से होने वाला गैस्ट्रोपैरालिसिस
पेन किलर या एंटी-डिप्रेसेंट (pain relievers and antidepressants), पाचन प्रक्रिया को धीमा कर सकती हैं. लंबे समय तक इन दवाओं का इस्तेमाल गैस्ट्रोपैरालिसिस का कारण बन सकता है.
4. इडियोपैथिक गैस्ट्रोपैरालिसिस (Idiopathic gastroparesis)
यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें बीमारी का कारण पता नहीं चलता. यह अधिकतर महिलाओं में देखने को मिलता है.
5. न्यूरोलॉजिकल गैस्ट्रोपैरालिसिस (Neurological gastroparesis)
यह दिमाग और नसों से जुड़ी बीमारियों, जैसे पार्किंसंस और मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Parkinson's and multiple sclerosis) के कारण होता है. इन बीमारियों से नसों को नुकसान होता है जो पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं.
6. इंफेक्शन से होने वाला गैस्ट्रोपैरालिसिस
यह किसी वायरल इंफेक्शन के बाद हो सकता है. यह आमतौर पर टेंपरेरी होता है और समय के साथ ठीक हो सकता है.
7. ऑटोइम्यून गैस्ट्रोपैरालिसिस (Autoimmune gastroparesis)
इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पेट की नसों पर हमला करता है. यह समस्या आमतौर पर ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे ल्यूपस (Lupus) या स्क्लेरोडर्मा (scleroderma) में होती है.
8. हार्मोनल या एंडोक्राइन गैस्ट्रोपैरालिसिस
यह हार्मोनल समस्याओं, जैसे हाइपोथायरॉइडिज्म
(Hypothyroidism), के कारण हो सकता है. इन स्थितियों से मेटाबॉलिज्म और पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है.जिसके कारण अनजाने में वजन बढ़ जाता है और आप हर समय थका हुआ महसूस कर सकते हैं.
9. पोस्ट-इंफेक्शन गैस्ट्रोपैरेसिस (Post-Infection Gastroparesis)
गंभीर इंफेक्शन के बाद पेट की नसों को नुकसान होने से यह समस्या हो सकती है. कभी-कभी इंफेक्शन खत्म होने के बाद भी लक्षण बने रहते हैं.
क्या है गैस्ट्रोपैरेसिस के लक्षण?
खाना खाने के बाद पेट लंबे समय तक भारी-भारी लगता है.
बार-बार जी मचलने जैसा महसूस होना.
कई बार खाना पचने से पहले ही उल्टी में बाहर आ जाता है.
पेट में जलन, खिंचाव या दर्द हो सकता है.
खाना खाने की इच्छा खत्म हो जाना.
पेट पूरी तरह से साफ न होना.
कभी-कभी दस्त की समस्या भी हो सकती है.
पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण वजन कम हो जाता है.
ऐसा महसूस होता है कि खाना पच नहीं रहा और पेट में रुका हुआ है.
गंभीर स्थिति में खून में शुगर लेवल का असंतुलन, कमजोरी और थकावट और डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) जैसे लक्षण भी हो सकते हैं.
गैस्ट्रोपैरालिसिस की पहचान कैसे की जाती है?
गैस्ट्रोपैरालिसिस की पहचान डॉक्टर कुछ टेस्ट और जांच के जरिए करते हैं. इसका मकसद यह जानना होता है कि पेट की मसल्स ठीक से क्यों काम नहीं कर रही हैं और पाचन प्रक्रिया में क्या दिक्कत है.
1. मेडिकल इतिहास और जांच
डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछते हैं, किसी पुरानी बीमारी (जैसे डायबिटीज) या दवाइयों के इस्तेमाल की जानकारी लेते हैं.
2. गैस्ट्रिक एंप्टींग स्टडी
यह सबसे सामान्य और सटीक टेस्ट है, जिसमें मरीज को हल्का खाना दिया जाता है जिसमें थोड़ा रेडियोधर्मी पदार्थ (Radioactive Substance) मिलाया जाता है. एक स्कैनर यह मापता है कि पेट से खाना छोटी आंत में कितनी तेजी से जा रहा है. अगर खाना पेट में ज्यादा समय तक रुका रहता है, तो यह गैस्ट्रोपैरालिसिस का संकेत हो सकता है.
3. एंडोस्कोपी (Upper Endoscopy)
एक पतली ट्यूब मुंह के जरिए पेट में डाली जाती है. इससे पेट और छोटी आंत के अंदरूनी हिस्से को देखा जाता है, ताकि किसी रुकावट (ब्लॉकेज) या अन्य समस्या की जांच हो सके.
4. स्मार्टपिल टेस्ट (SmartPill Test)
इसमें एक कैप्सूल रहता है जिसे निगलने पर यह पेट और आंत की स्पीड को मापता है. यह पेट के अंदरूनी दबाव, तापमान और पाचन गति का एनालिसिस करता है.
5. अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासाउंड पेट और आंत के आस-पास के अंगों की स्ट्रक्चर में किसी गड़बड़ी को देखने के लिए किया जाता है. यह अन्य बीमारियों, जैसे गॉलब्लैडर की समस्या को भी बाहर करने में मदद करता है.
6. बायोप्सी (जरूरत पड़ने पर)
अगर डॉक्टर को पेट की मसल्स या नसों में किसी समस्या का संदेह होता है, तो डॉक्टर टिशू का नमूना ले सकते हैं.
गैस्ट्रोपैरालिसिस का इलाज
1. खानपान में बदलाव (Dietary Changes)
- हल्का और जल्दी पचने वाला खाना खाएं.
- खाना छोटे-छोटे हिस्सों में बार-बार खाएं (दिन में 5-6 बार)
- फाइबर और फेट कम करें, क्योंकि ये पेट को पचाने में समय लेते हैं.
- तरल पदार्थ (जूस, सूप) का सेवन ज्यादा करें.
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और बहुत मसालेदार खाने से बचें.
- पाचन में मदद के लिए खाना खाने के बाद थोड़ा टहलना बहुत जरूरी है.
- बहुत गंभीर मामलों में जब बाकी इलाज से राहत नहीं मिलती, तो सर्जरी की जाती है.
- गैस्ट्रिक बायपास और पेट की रुकावट को दूर करने के लिए सर्जरी की जा सकती है.
2. लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle Changes)
- खाने के बाद तुरंत लेटने से बचें.
- हल्की एक्सरसाइज और टहलना पाचन को बेहतर बनाता है.
- तनाव को कम करें, क्योंकि यह पाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है.
गैस्ट्रोपैरेसिस का इलाज मरीज की स्थिति को देख कर किया जाता है. इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह के अनुसार इलाज तुरंत शुरू कर दें.
यह स्टोरी निशांत सिंह ने लिखी है. निशांत GNTTV में बतौर इंटर्न काम कर रहे हैं.