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अमेरिका में Monkeypox की दस्तक ने क्यों बढ़ाई लोगों की टेंशन...जानें खतरनाक वायरस के लक्षण और बचाव

Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स में लोगों को चेचक होने जैसे ही कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. मंकीपॉक्स खासतौर पर चूहों और बंदरों के जरिए इंसानों में फैलती है. लेकिन इसमें बुखार इतना तेज नहीं आता है. साल 1950 में ये बीमारी अफ्रीका में रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बंदरों में पाई गई थी, तभी से इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ गया.

हाइलाइट्स
  • बंदरों से शुरू हुई थी बीमारी

  • इंसानों में बढ़ रहा खतरा

कोरोना महामारी से उबर रही दुनिया के ऊपर अब एक और वायरस का खतरा मंडराने लगा है. आमतौर पर अफ्रीका के सेंट्रल और वेस्टर्न देशों में इसके मामले पाए जा रहे हैं. मंकीपॉक्स (monkeypox virus) के बढ़ते मामलों ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है. 7 मई को नाइजीरिया से यूके लौटे एक शख्स में पहला केस पाया गया था. ब्रिटेन और यूरोप के बाद अब मंकीपॉक्स अमेरिका पहुंच चुका है. अमेरिकी राज्य मैसाचुसेट्स में मंकीपॉक्स का पहला मामला दर्ज किया गया है. व्यक्ति ने हाल ही में कनाडा की यात्रा की थी.  

क्यों इंसानों में बढ़ रहा खतरा? 
मंकीपॉक्स के हालिया मामलों ने लोकल ट्रांसमिशन के खतरे को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि ब्रिटेन में सामने आए कुछ मामलों में से आधे लोगों ने देश से बाहर यात्रा नहीं की थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक साल 1970 में पहली बार इंसानों में मंकीपॉक्स का मामला सामने आया था. संक्रमित व्यक्ति अफ्रीका के कान्गो देश का था. अभी अफ्रीका के 11 देशों में इसकी पुष्टि हो चुकी है. इंसानों में वायरस के बढ़ते मामले दुर्लभ और चौंकानेवाले इसलिए हैं क्योंकि यह वायरस आसानी से इंसानों में नहीं फैलता. शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से ही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है.

बंदरों से शुरू हुई थी बीमारी
मंकीपॉक्स एक तरह की वायरल बुखार है, जिसे पहली बार अफ्रीका में देखा गया. पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग देशों से जैसे सिंगापुर, यूके और अमेरिका से इसके कुछ मामले रिपोर्ट किए गए जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. मंकीपॉक्स के लक्षण स्मॉलपॉक्स जैसे होते हैं लेकिन इसमें बुखार इतना तेज नहीं आता है. साल 1950 में ये बीमारी अफ्रीका में रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बंदरों में पाई गई थी, तभी से इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ गया. मंकीपॉक्स खासतौर पर चूहों और बंदरों के जरिए इंसानों में फैलती है.

क्‍या हैं लक्षण?
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार इस बीमारी में अक्सर फ्लू जैसे लक्षण जैसे बुखार, मांसपेशियों में दर्द और सूजन लिम्फ नोड्स दिखाई देते हैं. लक्षण आने के 3-4 दिन बाद मरीज के शरीर पर रैशेज पड़ जाते हैं जो बड़े-बड़े दाने जैसे हो जाते हैं और देखने में बड़े ही भयंकर लगते हैं. ये फफोले 8 से 10 दिन बाद धीरे-धीरे खुद ही झड़ जाते हैं और 4 हफ्ते में मरीज ठीक होने लगता है.

कैसे फैलता है वायरस?
वैसे तो ये वायरस लोगों के बीच असानी से नहीं फैलता लेकिन मंकीपॉक्स से पीड़ित इंसान के संपर्क में आने, उसके कपड़े, बिस्तर आदि को छूने से ये फैल सकता है. इसके अलावा अगर कोई इंसान ऐसे जानवर के संपर्क आ जाए जिसे मंकीपॉक्स है, तो उसे भी ये बीमारी हो सकती है. आपस में स्किन कॉन्टैक्ट होने से इस वायरस का संक्रमण फैल सकता है. 

क्या है इलाज?
मंकीपॉक्स का इलाज भी दूसरी वायरल बीमारियों की तरह ही किया जाता है. पेशेंट को तेज बुखार न आए इसके लिए उसे पैरासिटामॉल की गोलियां दी जाती हैं. पूरा 3 से 4 हफ्ते अच्छे से रेस्ट लेने के बाद मरीज ठीक होने लगता है. वैसे तो ये बीमारी अफ्रीकी देशों में फैली है, भारतीयों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन चूंकि ट्रेवल और ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आने से ये फैलता है इसलिए हमें चौकन्ना रहने की जरूरत है. फिलहाल इस वायरस कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है. लेकिन चेचक की वैक्सीन को मंकीपॉक्स के खिलाफ असरदार माना जाता है.
 

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