
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली ने एक अहम पहल की शुरुआत की है. AIIMS ने “नेवर अलोन” नामक एआई-आधारित मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य छात्रों में बढ़ते आत्महत्या के मामलों को रोकना और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनिया भर में करीब 7.2 लाख लोग आत्महत्या करते हैं. इनमें से 1.7 लाख से अधिक मौतें भारत में होती हैं. यानि हर दिन औसतन 400 लोग अपनी जान गंवाते हैं. सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि इनमें से 65% मामले 18 से 45 साल की उम्र में होते हैं और छात्र सबसे ज्यादा संवेदनशील समूह हैं.
छात्रों के लिए मदद सिर्फ एक मैसेज दूर
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए AIIMS ने “नेवर अलोन” ऐप तैयार किया है. यह ऐप वॉट्सऐप पर उपलब्ध होगा और छात्रों को 24x7 काउंसलर, मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक से जोड़कर तत्काल मदद देगा.
क्या शामिल है इस प्लेटफ़ॉर्म में
सबसे खास बात यह है कि संस्थान इस सेवा को बेहद किफायती बना रहा है. कॉलेज और विश्वविद्यालय सिर्फ 70 पैसे प्रति छात्र प्रतिदिन के खर्च पर इसे अपना सकते हैं.
विशेषज्ञों की राय
लॉन्च के अवसर पर प्रो. नंद कुमार (विभाग- मनोचिकित्सा, AIIMS दिल्ली) ने कहा कि भारत में 2022 में हुई कुल आत्महत्याओं में 35% मामले 18–30 साल के छात्रों और युवाओं से जुड़े थे. ऐसे में शुरुआती हस्तक्षेप और आसान परामर्श बेहद जरूरी है. हमारा मकसद आत्महत्या और मानसिक बीमारी से जुड़े कलंक को कम करना है.
वहीं प्रो. राजेश सागर (विभाग- मनोचिकित्सा, AIIMS दिल्ली) ने बताया कि यह ऐप पारंपरिक हेल्थकेयर सिस्टम को सहयोग देगा और छात्रों को वास्तविक समय (real-time) में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएगा. अब किसी भी छात्र को अकेला महसूस करने की ज़रूरत नहीं है. मदद सिर्फ एक मैसेज दूर है.
कैंपस में जागरूकता और भविष्य की योजना
AIIMS की यह पहल केवल ऐप तक सीमित नहीं रहेगी. संस्थान कॉलेज कैंपस में जागरूकता अभियान भी चलाएगा, ताकि छात्र बिना झिझक मदद ले सकें. लंबी अवधि में “नेवर अलोन” को स्कूलों, कार्यस्थलों और सामुदायिक समूहों तक भी विस्तार देने की योजना है.
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या रोकने के लिए जरूरी है कि शुरुआती चेतावनी संकेतों की पहचान करें. साथ ही समय पर काउंसलिंग की जाए और लगातार सहयोग दिया जाए. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म युवाओं की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. ऐसे में एआईआईएमएस को उम्मीद है कि यह एआई-आधारित समाधान छात्रों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच एक मजबूत सेतु बनेगा.