
आजकल ज्यादातर लोगों को नींद की समस्या होती है. कई लोग बेहतर नींद के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. ऐसा ही एक तरीका है ‘वेटेड ब्लैंकेट’ का. आजकल स्ट्रेस दूर करने के लिए लोग वेटेड ब्लैंकेट का इस्तेमाल करते हैं. ये ब्लैंकेट खास होते हैं, जिनमें भारी ग्लास की छोटी-छोटी गेंदें भरी होती हैं, जो उन्हें दूसरे कंबल से भारी बनाती हैं.
हर वजन में मिलते हैं ये ब्लैंकेट
वेटेड ब्लैंकेट पहली बार 1970 के दशक में occupational therapists ने नियोरोडाइवर्जेंट यानी ऐसे बच्चों के लिए बनाए थे जिनका दिमाग थोड़ा अलग तरीके से काम करता है. बाद में 1990 के दशक में ये मार्केट में उपलब्ध हुए. सिर्फ एक वजन का ब्लैंकेट हर किसी के लिए सही नहीं होता. ये ब्लैंकेट 2 किलो से लेकर 13 किलो तक के वजन में मिलते हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो आप अपने वजन का लगभग 10% वजन वाला ब्लैंकेट चुनें.
कैसे काम करता है ये ब्लैंकेट?
वेटेड ब्लैंकेट को शरीर पर डालने से ऐसा महसूस होता है जैसे कोई आपको कसकर गले लगा रहा हो या प्यार से पकड़ रहा हो. इस दबाव से हमारे शरीर का Parasympathetic Nervous System एक्टिव होता है, जो तनाव कम करता है और मन को शांत करता है.
वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं?
कुछ सालों में कई शोध हुए हैं, जिनमें वेटेड ब्लैंकेट की फायदे की बात सामने आई है. 2020 में 120 मानसिक बीमारी से ग्रसित मरीजों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि इस ब्लैंकेट ने उनकी नींद न आने की बीमारी में काफी राहत दी. वेटेड ब्लैंकेट मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए एक सुरक्षित और असरदार इलाज हो सकता है.
एक और रिसर्च में यह भी पता चला कि वेटेड ब्लैंकेट लगाते ही 63% एडल्ट्स को पांच मिनट के अंदर ही स्ट्रेस में कमी महसूस हुई. एक अध्ययन में 60% मानसिक अस्पताल में भर्ती मरीजों ने भी इस ब्लैंकेट के इस्तेमाल से अपनी चिंता में कमी बताई. आम लोगों की बात करें तो कई लोगों ने एक्सपीरिएंस शेयर किया कि वेटेड ब्लैंकेट के नीचे सोने से उनकी नींद बेहतर हुई और वे ज्यादा शांत महसूस करने लगे.
लेकिन क्या हर किसी के लिए काम करता है?
अब सवाल उठता है कि क्या ये ब्लैंकेट उन लोगों के लिए भी उतने ही फायदेमंद हैं जिन्हें कोई मानसिक बीमारी नहीं है? इस पर रिसर्च काफी कम है. ब्रिटेन के बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रेग जैक्सन कहते हैं कि जहां वेटेड ब्लैंकेट का मानसिक बीमारी वाले लोगों पर सकारात्मक असर दिखा है, वहीं सामान्य लोगों पर इसके प्रभाव को लेकर ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं. यह ब्लैंकेट हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं हैं. जिन लोगों को डायबिटीज, अस्थमा, स्लीप एप्निया, ब्लड सर्कुलेशन की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर या क्लॉस्ट्रोफोबिया (अंधेरे या बंद जगह का डर) है, उन्हें इसे इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
कैसे की गई रिसर्च?
स्वीडन के उप्पसाला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक दिलचस्प अध्ययन किया. उन्होंने 26 लोगों की दो रातों की नींद का निरीक्षण किया. पहली रात उन्हें वेटेड ब्लैंकेट के साथ सोने को कहा गया, जबकि दूसरी रात साधारण चादर के नीचे. शोध में पाया गया कि वेटेड ब्लैंकेट वाली रात में उनके शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर लगभग 32 प्रतिशत ज्यादा था. मेलाटोनिन हमारे शरीर में एक ऐसा हार्मोन है जो हमें नींद लाने में मदद करता है और हमारे सर्केडियन रिदम यानी जैविक घड़ी को नियंत्रित करता है.
जब हम तनाव में होते हैं तो हमारा दिल तेजी से धड़कता है, जिससे मेलाटोनिन का प्रोडक्शन कम हो जाता है. वेटेड ब्लैंकेट के गहरे दबाव से नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है, दिल की धड़कन धीमी होती है और मेलाटोनिन का स्तर बढ़ता है. इस वजह से नींद अच्छी आती है और चिंता कम होती है. अगर आप भी तनाव या नींद की समस्या से परेशान हैं, तो वेटेड ब्लैंकेट एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से जरूर सलाह लें.