
आमतौर पर अगर किसी इंसान का दिल काम करना बंद कर दे तो उसका जिंदा बचना असंभव है. डॉक्टर्स भी दिल का धड़कना बंद होने पर जांच के बाद उस शख्स को मृत (Dead) घोषित कर देते हैं. लेकिन अगर आपको पता चले कि कोई दिल और फेफड़ों के काम करना बंद करने के बाद भी जिंदा रहा, तो क्या आप इसे सच मानेंगे? जी हां, ये कोई फिल्मी कहानी या चमत्कार नहीं बल्कि हकीकत है. अलीगढ़ में एक बच्चा दो घंटे तक दिल और फेफड़े के बंद रहने के बाद भी जिंदा रहा.
ये अविश्वसनीय मामला अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का है, जहां एक नवजात बच्चे की सर्जरी के दौरान, उसके दिल और फेफड़े 110 मिनट तक बंद रहे. फिर भी डॉक्टरों ने बच्चे को बचा लिया और अब वह पूरी तरह ठीक है.अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने हाथरस के रहने वाले वकील और उनकी पत्नी के नवजात बेटे को बचा लिया. बच्चे के जन्म से ही उसके दिल में एक छेद था. साथ ही बच्चे के हृदय से रक्त ले जाने वाली धमनियां भी उलट गई थीं. प्राइवेट अस्पतालों में ज्यादा खर्च और सरकारी अस्पतालों में लंबे समय तक वेटिंग रहने से बच्चे की परेशानी बढ़ने लगी.
बच्चे के दिल के छेद को बंद कर दिया गया
नवजात को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, साथ ही उसकी त्वचा भी नीली पड़ने लगी. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत कार्डियोथोरेसिक सर्जन प्रो मोहम्मद आजम हसीन अध्यक्ष, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग, डॉ मयंक यादव, डॉ सैयद शामयाल रब्बानी ने बच्चे की रेयर सर्जरी की. जिसके बाद उसके दिल के छेद को बंद कर दिया गया. बच्चा अब ठीक है और जल्द ही उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी जाएगी.
बच्चे का वजन केवल 2.8 किलोग्राम था
सर्जरी के बारे में बताते हुए डॉ मयंक यादव ने कहा कि बच्चे का वजन केवल 2.8 किलोग्राम था. सर्जरी के दौरान बच्चे के दिल और फेफड़े 110 मिनट के लिए बंद हो गए थे. सर्जरी के दौरान बच्चे को एनिस्थिसीया दिया गया था, होश में आने के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और उसे जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. मासूम की सफल जटिल सर्जरी के बाद एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर ने सर्जनों की टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में जेएनएमसी में 500 से ज्यादा सफल कार्डियक सर्जरी की गयी हैं.
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