
शंख बजाना स्लीप एप्निया (ओएसए) के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है. हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि नियमित रूप से शंख बजाने से OSA से पीड़ित लोगों की नींद की गुणवत्ता बेहतर हुई और दिन में सुस्ती भी काफी हद तक कम हुई.
क्या होता है OSA?
OSA नींद संबंधी बीमारी है, जिसमें नींद के दौरान गले की मांसपेशियां ढीली होकर हवा की नली को ब्लॉक कर देती हैं. इससे व्यक्ति की सांस कुछ सेकंड के लिए रुक जाती है. इसके कारण तेज खर्राटे, झटके से सांस लेना और बार-बार नींद टूटना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. UK में ही करीब 80 लाख लोग इससे प्रभावित हैं.
भारत में 6 महीने की स्टडी, 30 मरीजों पर हुआ परीक्षण
यह शोध जयपुर के Eternal Heart Care Centre and Research Institute द्वारा किया गया. इस स्टडी में 19 से 65 साल की उम्र के 30 मरीजों को शामिल किया गया. इनमें से आधे लोगों को शंख बजाने की ट्रेनिंग दी गई, जबकि बाकी लोगों को डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराई गई. इनमें से 16 मरीजों को योगिक शंख दिया गया और उसे फूंकने की सही तकनीक सिखाई गई. दोनों ग्रुप्स को सप्ताह में कम से कम 5 दिन, रोज 15 मिनट अभ्यास करने को कहा गया.
6 महीने के बाद जिन लोगों ने नियमित रूप से शंख बजाया उन्होंने बताया कि उनकी नींद की गुणवत्ता पहले से बेहतर हो गई है. दिन के समय सुस्ती 34% तक घटी. रात में खून में ऑक्सीजन का स्तर भी बेहतर रहा. औसतन हर घंटे में सांस रुकने की घटनाएं 4-5 बार कम हो गईं.
OSA का आम इलाज है Cpap मशीन
OSA के लिए अब तक का सबसे सामान्य इलाज Cpap मशीन है, जो सोते समय नाक और गले में प्रेशराइज्ड हवा भेजती है. हालांकि, यह मशीनें महंगी होती हैं और कई मरीज इन्हें असहज मानते हैं.
इस रिसर्च के लीड डॉ. कृष्णा के शर्मा कहते हैं, Cpap के मुकाबले शंख बजाना एक सरल, सस्ता और नॉन-इनवेसिव विकल्प हो सकता है. शंख बजाने की प्रक्रिया में जो कंपन और वायुरोध (हवा को रोकने की क्षमता) पैदा होता है वह गले और सॉफ्ट पैलेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
क्या है शंख फूंकने की विधि?
शंख फूंकना एक पारंपरिक योगिक अभ्यास है, जिसमें व्यक्ति गहरी सांस लेकर उसे पूरी ताकत के साथ मुंह को सिकोड़कर शंख में छोड़ता है. यह प्रक्रिया सांस पर नियंत्रण, गले की मांसपेशियों को मजबूत करने और कंपन पैदा करने में मदद करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यही कंपन और रेसिस्टेंस स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं.
अगले चरण में बड़े स्तर पर स्टडी की तैयारी
अब इस शोध को अगले चरण में ले जाने की योजना है. कई अस्पतालों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर स्टडी की जाएगी ताकि इस तकनीक की व्यापकता और प्रभाव की पुष्टि की जा सके. शोधकर्ता अब यह भी जानना चाहते हैं कि यह तकनीक गले की मांसपेशियों की टोनिंग, ऑक्सीजन स्तर और नींद पर कैसे असर डालती है.