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ये है कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक स्ट्रेन, इसके आगे वैक्सीन भी है बेअसर! जान‍िए बी.1.1.1.529 के बारे में

बहुत ज्यादा म्यूटेट करने वाले इस स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन में कई बदलाव देखे गए है. दरअसल कोई भी वायरस किसी जीवित कोशिका में इन्हीं स्पाइक प्रोटीन के जरिए घुसता है. इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक वायरोलॉजिस्ट डॉ टॉम पीकॉक ने कहा है कि कोविड का यह स्ट्रेन 'वास्तविक चिंता का विषय' हो सकता है.

Coronavirus Coronavirus
हाइलाइट्स
  • 11 नवंबर को मिला था पहला मामला

  • स्पाइक प्रोटीन में दिखें हैं कई बदलाव 

  • किसी कमजोर इम्युनिटी वाले इंसान के शरीर में हुआ होगा जन्म  

वैज्ञानिकों को कोविड के एक नए स्ट्रेन, बोत्स्वाना वेरिएंट का पता चला है, जो पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन चुका है. यह  स्ट्रेन बहुत तेजी से म्यूटेट कर सकता है जिसकी वजह से इसके खिलाफ वैक्सीन असरदार नहीं रहती. इस स्ट्रेन को बी.1.1.1.529 के नाम से भी जाना जाता है, और यह 32 बार म्यूटेट कर सकता है. वैज्ञानिकों ने अभी तक आधिकारिक तौर पर इस स्ट्रेन का नाम नहीं रखा है, लेकिन इसका नाम ग्रीक अक्षर 'Nu’ के नाम पर रखा जा सकता है. 

11 नवंबर को मिला था पहला मामला

इस वेरिएंट का पहला मामला 11 नवंबर को बोत्सवाना में पाया गया था. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में इसके छह मामलों की पुष्टि हुई. बोत्सवाना में अब तक इसके 3 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.  वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि बोत्सवाना वेरिएंट के 32 नए म्यूटेंट बन गए हैं. इसके नए म्यूटेंट कोविड के सबसे ज्यादा डेवलप्ड फॉर्म हैं और ये बहुत खतरनाक भी हैं. एक न्यूज एजेंसी के अनुसार हाल ही में, हांगकांग में एक 36 वर्षीय व्यक्ति में भी इसका इंफेक्शन पाया गया है.

 स्पाइक प्रोटीन में दिखें हैं कई बदलाव 

बहुत ज्यादा म्यूटेट करने वाले इस स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन में कई बदलाव देखे गए है. दरअसल कोई भी वायरस किसी जीवित कोशिका में इन्हीं स्पाइक प्रोटीन के जरिए घुसता है. इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक वायरोलॉजिस्ट डॉ टॉम पीकॉक ने कहा है कि कोविड का यह स्ट्रेन 'वास्तविक चिंता का विषय' हो सकता है. ट्विटर पर लिखते हुए उन्होंने कहा कि इसकी खतरनाक स्पाइक प्रोफाइल के कारण इसकी बहुत अधिक निगरानी की जानी चाहिए.

किसी कमजोर इम्युनिटी वाले इंसान के शरीर में हुआ होगा जन्म  

यूसीएल जेनेटिक्स इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर फ्रैंकोइस बॉलौक्स का कहना है कि यह स्ट्रेन ऐसे किसी व्यक्ति में बना होगा जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर होगा और जिसे पहले से एचआईवी का कोई पुराना संक्रमण रहा होगा. उन्होंने आगे कहा, “इसमें संदेह है कि अल्फा और डेल्टा वेरिएंट के एंटीबॉडी इसके खिलाफ टिक पाएंगें”.