गुजरात के सूरत में शनिवार को लगातार दूसरा हैंड डोनेशन हुआ. दरअसल, शहर के रहने वाले 67 वर्षीय कनू वशरामभाई पटेल को 18 जनवरी को लकवा का दौरा पड़ा था. पटेल को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके सीटी स्कैन से पता चला कि ब्रेन में क्लॉटिंग हो रही है और हेमरेज भी.
इसके बाद उनकी सर्जरी भी की गई. लेकिन 20 जनवरी को अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. लेकिन इस दुनिया से जाते-जाते वह और कई लोगों को ज़िन्दगी दे गए.
घरवालों के किए महत्वपूर्ण अंग दान:
अस्पताल के कहने पर ‘डोनेट लाइफ' संस्था ने मरीज के परिवार को अंगदान के लिए जागरूक किया. और उन्हें बताया कि कैसे उनकी एक पहल और कई लोगों का जीवन बचा सकती है. पटेल परिवार उनके महत्वपूर्ण अंगों को दान करने के लिए तैयार हो गया.
जिसके बाद उनके दोनों हाथों के साथ-साथ किडनी, लीवर और कॉर्निया भी दान किए गए.
75 मिनट में तय की 292 किमी की दूरी:
लेकिन सभी अंगो को समय रहते दूसरे अस्पतालों तक पहुंचाना था ताकि लोगों की मदद हो सके. खासकर कि दोनों हाथ क्योंकि अगर हैंड ट्रांसप्लांट छह से आठ घंटे के भीतर न हो तो हैंड डोनेशन का कोई मतलब नहीं रह जाता है. क्योंकि इसके बाद डोनेट किये हुए हाथ काम करना बंद कर देते हैं.
इसलिए एक ग्रीन कोर्रिडोर बनाकर हाथों को सूरत के अस्पताल से मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल तक सिर्फ 75 मिनट में पहुंचाया गया. 292 किलोमीटर की दूरी को हवाई मार्ग से तक किया गया.
35 साल की महिला को मिले हाथ:
महाराष्ट्र के बुलढाणा की 35 वर्षीय महिला के ये हाथ ट्रांसप्लांट किए गए. तीन साल पहले जब वह कपड़े सुखा रही थीं तो बिजली के करंट की चपेट में आने से उनके दोनों हाथ कट गए थे.
डोनेट लाइफ के संस्थापक और अध्यक्ष, नीलेश मंडलेवाला का कहना है कि भारत में अब तक कुल 20 हैंड ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं.