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अमेरिका में मेडिकल साइंस का कमाल, कैंसर से जूझ रहे HIV+ मरीज ने दोनों बीमारियों को दी मात, 31 साल से जी रहे थे वायरस के साथ

कैलिफॉर्निया के 'City of Hope' सेंटर में इलाज करा रहे एक 66 वर्षीय मरीज को आखिरकार कैंसर और HIV से छुटकारा मिल गया है. इस मरीज को सिटी ऑफ होप मरीज नाम दिया गया है.

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हाइलाइट्स
  • इस साल कैंसर से जूझ रहे दो HIV+ मरीज हुए ठीक

  • 31 साल से HIV+ था यह 66 वर्षीय मरीज

पिछले कुछ समय में चिकित्सा क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां शोधकर्ताओं ने हासिल की हैं. इनमें सबसे बड़ी उपलब्धि हैं कैंसर और एड्स के मरीजों का ठीक होना. जी हां, वैज्ञानिकों ने रेक्टल कैंसर को 100 फीसदी खत्म करने की दवा बनाई है. इसी तरह भारत में सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए वैक्सीन बनी है. 

कैंसर के अलावा, पिछले कुछ समय में कई HIV+ मरीज भी ठीक हुए हैं. बुधवार को ही, एक और HIV+ मरीज के ठीक होने की घोषणा की गई है. यह दुनिया में चौथा व्यक्ति है जो एचआईवी से ठीक हो गया है. यह मरीज कैंसर से भी जूझ रहा था और अब दोनों ही बीमारियों से ठीक हो गए हैं. हालांकि, इलाज की प्रक्रिया काफी खतरनाक थी, पर HIV के साथ-साथ कैंसर से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए यह थोड़ी राहत की बात हो सकती है. 

इस साल दो मरीज हुए ठीक
इस 66 वर्षीय मरीज का नाम, कैलिफ़ोर्निया केंद्र के नाम पर "सिटी ऑफ़ होप" मरीज रखा गया है. सिटी ऑफ़ होप सेंटर में ही उसका इलाज किया गया था. शुक्रवार को मॉन्ट्रियल, कनाडा में शुरू होने वाले अंतर्राष्ट्रीय एड्स सम्मेलन की अगुवाई में इस मरीज के बारे में बताया गया. वह इस साल ठीक होने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. क्योंकि फरवरी में एक अमेरिकी महिला के कैंसर और HIV से ठीक होने की सूचना रिसर्चर्स ने दी थी. 

सिटी ऑफ़ होप के मरीज़ ने बर्लिन और लंदन के मरीज़ों की तरह कैंसर के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराया और इसके बाद उसे HIV वायरस से भी छुटकारा मिल गया. बताया जा रहा है कि एक अन्य व्यक्ति, डसेलडोर्फ मरीज भी लगभग ठीक होने की कगार पर है और संभावित रूप से ठीक होने वालों की संख्या को पांच तक पहुंच जाएगी. 

पुराने HIV मरीजों के सिए आशा की किरण
सिटी ऑफ होप के एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ, जाना डिक्टर ने एएफपी को बताया कि यह मरीज HIV से ठीक होने वाला सबसे ज्यादा पुराना मरीज थी, इसलिए यह सफलता पुराने एचआईवी पीड़ितों, जिन्हें कैंसर भी है, के लिए आशाजनक हो सकती है. 

डिकटर इस मरीज पर हुए शोध के प्रमुख लेखक हैं, जिसकी घोषणा मॉन्ट्रियल में एक पूर्व-सम्मेलन में की गई थी. वहीं, इस मरीज का कहना है कि जब 1988 में उन्हें पता चला कि वह एचआईवी पीड़ित है तो उन्हें लगा कि उन्हें मौत की सजा मिली है. सिटी ऑफ होप के एक बयान में उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि कोई दिन ऐसा भी होगा जब मैं कह पाउंगा कि मुझे HIV नहीं है."

मरीज ने बताया कि 80 के दशक में HIV+ होना श्राप था क्योंकि उन्होंने अपने कई जानकारों को इस बीमारी से मरते देखा. लेकिन अब एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी वैश्विक स्तर पर 38 मिलियन लोगों को एचआईवी के साथ जीने का सहारा देती है. इस मरीज को 31 साल से एचआईवी था, जो पिछले किसी भी मरीज की तुलना में अधिक लंबा समय है और अब वह ठीक हैं. 

2019 में हुआ था बोन मैरो ट्रांसप्लांट
ल्यूकेमिया का पता चलने के बाद, 2019 में एक अनरिलेटेड रिलेटिव से स्टेम सेल लेकर उनका बोन मैरो ट्रांसप्लाट किया गया, जिसमें CCR5 जीन का हिस्सा गायब था. और इससे मरीज एचआईवी के लिए प्रतिरोधी बन जाते हैं. इसके बाद, उन्होंने एंटीरेट्रोवाइरल लेना बंद कर दिया.  फिर मार्च 2021 में COVID-19 का टीका लगवाया, और तब से एचआईवी और कैंसर दोनों से मुक्ति पा रहे हैं. 

स्टीवन डीक्स, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को में एक एचआईवी विशेषज्ञ का कहना है कि यह थेरेपी सबके लिए नहीं है. यह इलाज उसी सूरत में किया जाता है जब कोई और विकल्प न हो. क्योंकि बोन मैरो ट्रांसप्लांट में आप अस्थायी रूप से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को नष्ट कर देते हैं. अगर मरीज को कैंसर नहीं होता तो कभी ऐसा नहीं किया जाता.