
घुटनों के दर्द से परेशान लोगों के लिए राहत की खबर है. एक नई रिसर्च में पता चला है कि चलने के तरीके में थोड़ा सा बदलाव करके न सिर्फ दर्द कम किया जा सकता है, बल्कि घुटनों के ऑपरेशन को भी रोका जा सकता है. खास बात यह है कि इसका असर दवाओं जितना होता है. इस स्टडी के मुताबिक, यह तरीका लंबे समय तक सर्जरी की जरूरत को भी टाल सकता है.
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे मरीज बिना दवा के भी दर्द से राहत पा सकते हैं. इसे ‘गेट री-ट्रेनिंग’ कहा जाता है, यानी चलने के तरीके में हल्का सा बदलाव.
कैसे की गई स्टडी?
रिसर्च में 68 मरीजों को शामिल किया गया, जिनकी घुटनों में माइल्ड से मीडियम लेवल की ऑस्टियोआर्थराइटिस थी. सभी की MRI की गई और एक प्रेशर-सेंसिटिव ट्रेडमिल पर चलवाकर उनके चलने के स्टाइल का विश्लेषण किया गया. इसके बाद यह देखा गया कि किसी मरीज को पैर की अंगुली अंदर की ओर घुमाने से राहत मिलती है या बाहर की ओर. हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग 5 या 10 डिग्री का एंगल तय किया गया.
जिन मरीजों के लिए यह बदलाव फायदेमंद पाया गया, उन्हें एक शिन पर पहनने वाला वाइब्रेशन डिवाइस दिया गया. यह डिवाइस चलने के समय फीडबैक देता था ताकि मरीज सही तरीके से पैर रखें. 6 हफ्तों तक यह ट्रेनिंग दी गई और इसके बाद मरीजों को रोज कम से कम 20 मिनट इस नए तरीके से चलने के लिए कहा गया.
दवा जितना असर वो भी बिना साइड इफेक्ट के
एक साल बाद फिर MRI की गई और मरीजों से दर्द के बारे में पूछा गया. जिन लोगों ने नया गेट अपनाया था, उन्हें दर्द में काफी राहत मिली और कार्टिलेज का घिसना भी धीमा हो गया. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तकनीक से मिलने वाली राहत OTC दवा (जैसे आइबुप्रोफेन) और कुछ हद तक नारकोटिक पेनकिलर (जैसे ऑक्सीकॉन्टिन) के बराबर थी, लेकिन इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं थे.