
कीमोथेरेपी यानी कैंसर के खिलाफ सबसे ताकतवर इलाज है लेकिन इसके काफी इफेक्ट्स हैं. इसमें सबसे मेजर है बालों का झड़ना. बाल केवल सौंदर्य का हिस्सा नहीं होते, बल्कि एक पहचान, आत्मसम्मान और हिम्मत का भी प्रतीक होते हैं. खासकर महिलाओं के लिए ये और भी संवेदनशील मुद्दा है. अब जरा सोचिए, अगर एक ऐसी टेक्नोलॉजी हो जो कीमोथेरेपी के दौरान आपके बालों को टूटने से बचा सके?
क्या है स्कैल्प कूलिंग और कैसे करती है काम?
आजकल अस्पतालों में एक नई चीज दिखती है- कोल्ड कैप या स्कैल्प कूलिंग कैप. ये कैप कीमोथेरेपी के दौरान सिर को ठंडा रखती हैं ताकि दवाएं बालों की जड़ों तक न पहुंच सकें.
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब सिर को ठंडा किया जाता है तो खोपड़ी में खून का प्रवाह कम होता है, जिससे दवा बालों की जड़ों तक नहीं पहुंच पाती. बालों की सेल्स की गतिविधि धीमी हो जाती है, जिससे वो दवाओं के प्रभाव से बच जाती हैं.
ठंडक सीधे दवा को फॉलिकल्स में प्रवेश करने से रोकती है. लेकिन अब तक ये प्रक्रिया हर मरीज़ पर काम नहीं करती थी… पर अब वजह सामने आ गई है.
बालों को बचाना है तो चाहिए ‘परफेक्ट ठंडक’
शेफील्ड हॉलम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने लेबोरेटरी में इंसानी बालों की "मिनी जड़ों" पर रिसर्च की और पाया कि कीमोथेरेपी के दौरान सिर्फ 18°C तक ठंडा किया गया सिर ही बालों की रक्षा कर सकता है.
अगर तापमान थोड़ा भी बढ़ जाए- जैसे 26°C तो ठंडक का असर लगभग खत्म हो जाता है. तो अब आप समझिए- सभी मरीजों पर स्कैल्प कूलिंग क्यों काम नहीं करता! सिर का आकार, बालों की बनावट, मशीन की क्षमता ये सब तापमान में फर्क डालते हैं.
पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती
अगर ठंडक पर्याप्त न हो पाए तो क्या होगा? यहां आता है गेम चेंजर- Antioxidants! वैज्ञानिकों ने पाया कि कुछ प्राकृतिक ऐंटीऑक्सिडेंट्स जैसे N-Acetylcysteine और Resveratrol, बालों को कीमोथेरेपी के नुकसान से बचा सकते हैं. ये ऐंटीऑक्सिडेंट्स हानिकारक Reactive Oxygen Species (ROS) को खत्म करते हैं, जो बालों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. जब इन ऐंटीऑक्सिडेंट्स को ठंडक के साथ प्रयोग किया गया, तो नतीजा लगभग वही मिला जो परफेक्ट 18°C पर ठंडक से मिलता है.
जल्द आ सकता है नया हेयर प्रोटेक्शन क्रीम!
वैज्ञानिक अब एक ऐसी टॉपिकल एंटीऑक्सिडेंट क्रीम पर काम कर रहे हैं जिसे कीमोथेरेपी के दौरान सिर पर लगाया जाएगा, ताकि बालों की जड़ों को अंदर से सुरक्षा मिल सके. जल्द ही इस तकनीक पर क्लीनिकल ट्रायल्स शुरू होने वाले हैं.
क्या ये तकनीक बदल देगी कैंसर का चेहरा?
बालों का झड़ना सिर्फ एक साइड इफेक्ट नहीं, बल्कि कैंसर के मरीजों के लिए सबसे भावनात्मक झटका होता है. लेकिन ये नई रिसर्च उम्मीद देती है कि अब कीमोथेरेपी का मतलब सिर्फ बीमारी से लड़ाई नहीं, बल्कि सम्मान और आत्म-छवि की रक्षा भी होगा.
अब सवाल ये है- क्या भारत जैसे देशों में ये तकनीक आम लोगों तक पहुंच पाएगी? अगर स्कैल्प कूलिंग और एंटीऑक्सिडेंट्स की इस जोड़ी को आम अस्पतालों में सस्ता और सुलभ बनाया गया, तो लाखों लोगों को न सिर्फ बालों की रक्षा मिलेगी बल्कि कैंसर के खिलाफ जंग में एक नई उम्मीद भी मिलेगी.