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कोलन कैंसर या बवासीर, कैसे करें पहचान? न करें इन लक्षणों को नजरअंदाज... वरना हो जाएगी बड़ी दिक्कत!

आजकल भारत में युवाओं में कोलन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले ये बीमारी सिर्फ बुजुर्गों की मानी जाती थी, लेकिन अब 20-40 साल के लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं, वजह? हमारी बदलती लाइफस्टाइल.

कोलन कैंसर कोलन कैंसर

जरा सोचिए, आप 30-40 की उम्र में हैं, जिम जाते हैं, अच्छा खाते हैं और फिट हैं. लेकिन अचानक एक दिन आपको मल में खून दिखता है. बेशक आपको यह बवासीर लगेगा. लेकिन क्या जानते हैं कि ये कोलन कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है? आजकल भारत में युवाओं में कोलन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले ये बीमारी सिर्फ बुजुर्गों की मानी जाती थी, लेकिन अब 20-40 साल के लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं, वजह? हमारी बदलती लाइफस्टाइल. वहीं  जंक फूड, कम एक्सरसाइज, स्ट्रेस और प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा इस्तेमाल इस भयंकर बीमारी को बढ़ावा दे सकता है.

वहीं इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी भी न होना इस कैंसर को बढ़ावा दे सकता है. ऐसे में चलिए आपको 5 ऐसे मिथकों के बारे में बताते हैं जिससे आप इस बीमारी से बच सकते हैं.

मिथक 1: कोलन कैंसर सिर्फ बुजुर्गों को होता है
लोगों को लगता है कि कोलन कैंसर केवल बुजुर्गों को होता है. लेकिन हम आपको बता दें कि दुनिया भर में खासकर भारत में युवाओं में कोलन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. अमेरिका में तो 50 से कम उम्र वालों में ये दोगुना हो गया है और भारत में भी डॉक्टर बता रहे हैं कि 30-40 साल के मरीज ज्यादा आ रहे हैं. वजहें हैं- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट, कम फाइबर वाली डाइट और बैठे रहने की आदत.

मिथक 2: मल में खून आए तो बवासीर ही होगा
ये बहुत कॉमन कि लोगों को लगता है कि मल से खून आ रहा है तो बवासीर ही होगा. लेकिन हर बार खून आने का मतलब बवासीर नहीं. कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण भी यही होते हैं- मल में खून, पेट दर्द या आदतों में बदलाव. कई मरीज सालों तक बवासीर समझकर इग्नोर करते हैं और जब पता चलता है तो कैंसर आगे बढ़ चुका होता है.

मिथक 3: अगर दर्द नहीं है तो कैंसर नहीं हो सकता
कोलन कैंसर को साइलेंट किलर भी कहते हैं क्योंकि शुरुआत में कोई बड़ा लक्षण नहीं होता. थोड़ी थकान, पेट फूलना, मल त्याग की आदत बदलना ये छोटी बातें लगती हैं, लेकिन इन्हें इग्नोर करने से कैंसर बढ़ता है.

मिथक 4: पुरानी जांच नॉर्मल थी, तो अब सुरक्षित हूं
एक बार स्टूल टेस्ट या कोलोनोस्कोपी नॉर्मल आई तो लोगों को लगता है कि सब नॉर्मल.

मिथक 5: हेल्दी लाइफ जीता हूं, फैमिली हिस्ट्री नहीं, तो रिस्क कम है
स्वस्थ रहना बहुत अच्छा है, लेकिन ये 100% प्रोटेक्शन नहीं देता. ज्यादातर कोलन कैंसर मरीजों में फैमिली हिस्ट्री नहीं होती. जंक फूड, मोटापा, स्मोकिंग, शराब ये सब रिस्क बढ़ाते हैं, भले आप एक्सरसाइज करें.

कोलन कैंसर से कैसे बचें?
डाइट सुधारें: ज्यादा फल, सब्जियां, साबुत अनाज खाएं. रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड कम करें. फाइबर वाली चीजें जैसे दलिया, ब्रोकली, सेब पॉलिप्स बनने से रोकती हैं.
एक्सरसाइज करें: रोज 30 मिनट वॉक या जिम.मोटापा कम करने से रिस्क 30% तक घटता है.
स्मोकिंग-शराब छोड़ें: स्मोकिंग-शराब सीधे रिस्क बढ़ाते हैं।


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