
अपनी जिंदगी के जाते-जाते 61 वर्षीय व्यक्ति ने चार लोगों को जिंदगी दान की. दरअसल, एम्स ट्रॉमा सेंटर में बुधवार देर रात ब्रेन डेड घोषित किए गए व्यक्ति ने ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले कम से कम चार लोगों को नया जीवन दिया. डॉक्टरों ने 24 घंटे के अंदर ब्रेन डेथ घोषित करने के साथ ही दो किडनी, लीवर और दो कॉर्निया को अलग-अलग चार लोगों में ट्रांसप्लांट किया.
एम्स ट्रॉमा सेंटर के न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ दीपक गुप्ता ने कहा कि डोनर का दिल और फेफड़ा ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त नहीं था, क्योंकि उसे हृदय संबंधी बीमारी थी. आमतौर पर किसी व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित करने की प्रक्रिया को पूरा करने में चार दिन तक का समय लगता है लेकिन, इस बार इसे एक दिन में पूरा किया गया.
क्या होता है ब्रेन डेड
दरअसल, ब्रेन डेड वह स्थिति है, जब दिमाग कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देता है. दिमाग दैनिक प्रक्रिया जैसे, सांस लेना, आंखों की पुतलियों का रेस्पॉन्स और बॉडी मूवमेंट जैसी गतिविधियां करना बंद कर देता है.
ब्रेन डेथ डायग्नोसिस के लिए तीन स्थितियों की उपस्थिति की आवश्यकता होती है: लगातार कोमा, ब्रेनस्टेम रिफ्लेक्सिस की अनुपस्थिति और सांस लेने की क्षमता की कमी.
कब आती है ब्रेन डेथ की स्थिति
यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) की वेबसाइट के मुताबिक, ब्रेन डेथ को ब्रेन स्टेम डेथ के रूप में भी जाना जाता है. यह तब होता है, जब व्यक्ति का ब्रेन कोई काम नहीं करता. इसका मतलब है कि वे होश में नहीं आएंगे या बिना मेडिकल मशीन (वेंटिलेटर) के सहारे के सांस नहीं ले पाएंगे.
ब्रेन डेड व्यक्ति की कानूनी तौर पर मृत के रूप में पुष्टि की जाती है. वो ठीक नहीं हो सकते हैं क्योंकि उनका शरीर मेडिकल मशीन के सपोर्ट के बिना जीवित रहने में असमर्थ है.
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