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Cervical Cancer Vaccine Myths: सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन के बारे में ये बातें आपको जरूर जाननी चाहिए

सर्वाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है. दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के मामले में भारत 5वें नंबर पर है. यह सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है, फिजिकल रिलेशन की वजह से इसका वायरस पुरुषों के जरिए महिलाओं में पहुंचता है.

Cervical Cancer Vaccine Cervical Cancer Vaccine
हाइलाइट्स
  • फिजिकल रिलेशन सर्वाइकल कैंसर की बड़ी वजह

  • हर कोई ले सकता है ये वैक्सीन

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है जो बहुत तेजी से फैलता है. यह गर्भाशय के ग्रीवा में विकसित होता है. जोकि महिलाओं के सर्विक्स के सेल्स यानी कोशिकाओं को इफेक्ट करता है. सर्वाइकल कैंसर सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है, फिजिकल रिलेशन की वजह से इसका वायरस पुरुषों के जरिए महिलाओं में पहुंचता है. इस कैंसर को बनाने वाला वायरस ह्यूमन पैपिलोमा (एचपीवी) किसी भी तरह के यौन संपर्क से फैलता है और इसीलिए यह एक इंसान से दूसरे इंसान में बहुत तेजी से फैल सकता है. लेकिन अच्छी खबर यह है कि इसे रोका जा सकता है. WHO के मुताबिक भारत में हर साल 1.23 लाख सर्वाइकल कैंसर के मामले आते हैं. और 67 हजार महिलाएं हर साल इस बीमारी से दम तोड़ देती हैं. 

ये वैक्सीन 100% तक असरदार है

भारत ने हाल ही में महिलाओं के लिए अपना पहला स्वदेशी सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन CERVAVAC लॉन्च किया है. भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित टीका, CERVAVAC, इस साल के अंत में उपलब्ध होने के लिए तैयार है, इस टीके के एक शॉट की कीमत ₹200-400 है. सर्वाइकल कैंसर के लिए तीन तरह के टीके उपलब्ध हैं - Cervarix, gardasil और Gardasil 9. विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से बचाव के लिए वास्तव में हर कोई ये वैक्सीन ले सकता है. क्योंकि ये टीका सर्वाइकल कैंसर को रोकने में बहुत प्रभावी है. हम आपको ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) और सर्वाइकल कैंसर की स्वदेशी वैक्सीन के बारे में कुछ तथ्य बताने जा रहे हैं, जो सभी को पता होने चाहिए. 

  • एचपीवी फिजिकल रिलेशन के माध्यम से फैलता है. यह जरूरी है कि यह टीका तब ही ले लिया जाए जब आपका सर्वाइकल कैंसर पकड़ में न आया हो. जानकारों का कहना है यह वैक्सीन तब ज्यादा कारगर होगी.

  • यह वैक्सीन महिलाओं को जरूर लेनी चाहिए, लेकिन ये जरूरी नहीं कि वैक्सीन सिर्फ उनके लिए ही बनी है. चूंकि ये वायरस किसी से भी संक्रमित हो सकता है, इसलिए यह जरूरी है कि 9-45 वर्ष की आयु के बीच हर कोई इसे ले.

  • टीके की आम तौर पर दो खुराक दी जाती है. 9-14 वर्ष की आयु के लोगों के लिए प्रत्येक डोज के बीच का अंतर छह महीने का होना चाहिए. 15 से 45 वर्ष की आयु वाले लोगों के लिए इस वैक्सीन की तीन खुराक लेनी जरूरी है जो 0, 2 और 6 महीने के अंतराल में दी जानी चाहिए.

क्या यह वैक्सीन सुरक्षित है?

एचपीवी वैक्सीन को सुरक्षित माना जाता है. हालांकि किसी भी अन्य टीके की तरह इसके भी कुछ साइड इफ्केट हो सकते हैं लेकिन ये एक या दो दिनों से ज्यादा नहीं रहते. बुखार, थकाम महूसस होना, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों का दर्द इसके कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.