scorecardresearch

Safdarjung Hospital: रोबोट ने कर दिया व्यक्ति का किडनी ट्रांसप्लांट, दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अपने आपमें पहला कारनामा

सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने कमाल का कारनामा कर दिखाया. यहां रोबोट ने एक व्यक्ति का किडनी ट्रांसप्लांट किया. नॉर्मल तौर पर प्राइवेट सेक्टर में रोबोटिक ट्रांसप्लांट सर्जरी में 6-7 लाख रुपये का खर्च आता है.

Team of Doctors Team of Doctors
हाइलाइट्स
  • नहीं होता है दर्द

  • पत्नी है डोनर

सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने पिछले सात वर्षों से पीड़ित 39 वर्षीय व्यक्ति की अपनी देखरेख में सफल रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी की. बता दें कि व्यक्ति की पत्नी ही उसकी डोनर है. इस किडनी ट्रांसप्लांट को रोबोट ने किया.

केंद्र सरकार द्वारा संचालित सुविधा के यूरोलॉजी, रोबोटिक्स और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख डॉ अनूप कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद का मरीज, जो एक निजी फर्म में काम करता है निजी तौर पर सर्जरी का खर्च नहीं उठा सकता था. वह डायलिसिस पर था और लगभग एक साल पहले उत्तर भारत के सबसे बड़े tertiary स्वास्थ्य केंद्रों में से एक सफदरजंग अस्पताल आया. कोविड -19 की लहर खत्म होने के बाद बुधवार (21 सितंबर) को उसकी सर्जरी की गई. उन्होंने कहा, "प्राइवेट सेक्टर में रोबोटिक ट्रांसप्लांट सर्जरी में 6-7 लाख रुपये का खर्च आता है."

पत्नी है डोनर
सर्जरी के बाद डोनर और रिसीवर दोनों का स्वास्थ्य ठीक है और मरीज को ट्रांसप्लांट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. डॉ कुमार ने कहा, " व्यक्ति का बीएमआई 32 था और वो बहुत मोटा था इसलिए सर्जरी चिकित्सकीय रूप से कठिन थी." उन्होंने आगे कहा, ''चूंकि यह पूरे भारत में किसी सरकारी अस्पताल में इस तरह की पहली सर्जरी है इसलिए यह सफदरजंग अस्पताल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इतिहास में एक मील का पत्थर है. इसके लिए रोबोटिक्स के साथ-साथ रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी में विशेषज्ञता की आवश्यकता है.''

नहीं होता है दर्द
नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ हिमांशु वर्मा ने कहा कि यह अस्पताल में किया जाने वाला 100वां गुर्दा प्रत्यारोपण भी था. डॉक्टरों के मुताबिक भारत के चार निजी अस्पताल इस रोबोटिक सर्जरी को करते हैं.सर्जरी के फायदे बताते हुए डॉ कुमार ने कहा कि यह एक दर्द रहित प्रक्रिया है और इसमें व्यक्ति आम सर्जरी के मुकाबले जल्दी ठीक हो जाता है. एक नियमित प्रत्यारोपण के विपरीत, जहां रोगी को मांसपेशियों को काटने की एक बड़ी प्रक्रिया के माध्यम से गुर्दे प्राप्त होते हैं रोबोटिक सर्जरी छोटे चीरों के साथ की जाती है. 

उन्होंने कहा कि न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी के साथ, रोगी को हर्निया और बाद में संक्रमण होने की संभावना कम होती है. यह अधिक सटीक भी है, इसमें रोगी के निशान भी नहीं पड़ते. डॉ वर्मा के नेतृत्व में नेफ्रोलॉजी टीम और डॉ मधु दयाल के नेतृत्व में एनेस्थीसिया टीम ने सर्जरी में हिस्सा लिया.