Immortal Henrietta Lacks
Immortal Henrietta Lacks 70 साल पहले डॉक्टर्स ने हेनरीएटा लैक्स की सेल्स उनसे बिना पूछे लेकर उसपर रिसर्च करनी शुरू कर दी थी. लेकिन उन्हें तब नहीं पता था कि हेनरीएटा की ये HeLa सेल्स पूरी मेडिकल की दुनिया बदलकर रख देंगी. HeLa सेल्स पोलियो वैक्सीन बनाने में, जीन मैपिंग में, कोविड-19 वैक्सीन बनाने और न जाने कितनी रिसर्च में काम आई. हालांकि, इसके बारे में हेनरीएटा के परिवार को नहीं पता था. अब इसको लेकर जो हेनरीएटा के परिवार ने मुकदमा दायर किया था वह सेटल हो गया है.
कंपनी और परिवार के बीच हुआ समझौता
1 अगस्त, 2023 को, हेनरीएटा लैक्स का परिवार बायोटेक कंपनी थर्मो फिशर के साथ एक समझौते हो गया. 70 साल से ऐसा हो पाया है. परिवार ने 2021 में कंपनी पर मुकदमा दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि हेनरीएटा की सेल से कंपनी ने अरबों डॉलर कमाए हैं, और इसका मुआवजा भी उनके परिवार को नहीं मिला है.
सर्वाइकल कैंसर से हो गई थी हेनरीएटा की मौत
दरअसल, हेनरीएटा लैक्स पांच बच्चों की मां थीं जिनकी 4 अक्टूबर 1951 को सर्वाइकल कैंसर से मौत हो गई थी. तब वे केवल 31 साल की थीं. हेनरीएटा लैक्स का इलाज जॉन हॉपकिंस अस्पताल में किया जा रहा था. इस दौरान अस्पताल में उनकी जानकारी के बगैर उनकी सर्विक्स के दो सैंपल निकाल लिए गए थे. इसमें एक हेल्दी वाला हिस्सा था और एक कैंसरग्रस्त भाग था. इनसे बायोटेक कंपनी थर्मो फिशर ने खूब पैसा कमाया, जिसकी जानकारी हेनरीएटा के परिवार को बहुत बाद में लगी.
हेनरीएटा की सेल्स थी एकदम अलग
इन सेल्स को डॉ. जॉर्ज ओटो गे को सौंप दिया गया था. उन्होंने हेनरीएटा की सेल में कुछ ऐसा पाया जो पहले कभी किसी भी इंसान की सेल्स में नहीं देखा गया था. डॉक्टर ने पाया कि हेनरीएटा की सेल्स को जीवित रखा जा सकता है और वे सालों साल तक बढ़ते रह सकती हैं. इससे पहले, ज्यादातर सेल्स लैब्स में केवल कुछ ही दिनों तक जिन्दा रह पाई थीं. डॉ. जॉर्ज ने हेनरीएटा की सेल्स को हेला नाम दिया.
2014 तक की 20 टन हेला सेल्स विकसित
हेनरीएटा की हेला सेल्स हजारों चिकित्सा उपलब्धियों में शामिल रही हैं. जिसमें पोलियो वैक्सीन से लेकर क्लोनिंग और जीन मैपिंग विकसित करने में मदद शामिल है. 2014 तक, वैज्ञानिकों ने लगभग 20 टन हेला सेल्स विकसित की थीं, और हेला कोशिकाओं से जुड़े लगभग 11,000 पेटेंट थे.
2010 में, हेला सेल्स की एक ट्यूब लगभग 260 अमेरिकी डॉलर में बिक रही थी. लेकिन दुर्भाग्य से हेनरीएटा के परिवार को उनके डोनेशन के लिए कभी मुआवजा नहीं दिया गया.पत्रकार रेबेका स्क्लूट ने 2010 में इस मुद्दे पर द इम्मोर्टल लाइफ ऑफ हेनरीएटा लैक्स भी लिखी थी. हेनरीएटा की ट्यूमर से दुखद मृत्यु हो गई थी.