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बड़ी सफलता: डायबिटीज रोगियों के लिए संजीवनी बनेगी Stem Cell Therapy, देश के पहले मामले में मिले उत्साहवर्द्धक नतीजे

Stem Cell Therapy: डायबिटीज के रोगियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. दरअसल, कानपुर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हेटेल में एक महीने पहले देश का सबसे पहला फैट ड्राइव स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया था और अब जो नतीजे आए हैं..वो अपने आप में ही चौंकाने वाले हैं.

Kanpur Stem Cell Therapy Kanpur Stem Cell Therapy
हाइलाइट्स
  • शरीर की अन्य प्रक्रिया पर थेरेपी का असर देखा गया

  • छह महीने तक रोगी की फॉलोअप जांचें कराई जाएंगी

डायबिटीज के रोगियों के लिए एक अच्छी खबर आई है. बता दें कि कानपुर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हेटेल में एक महीने पहले देश का सबसे पहला फैट ड्राइव स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया था और अब अपने आप में ही चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. ये कह सकते हैं कि स्टेम सेल थेरेपी के जरिए डायबिटीज के रोगियों के इलाज की ये खबर सूकून देने वाली है.

इंसुलिन रिसेस्टेंस कम हो गया

ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में आने के साथ-साथ शरीर की अन्य प्रक्रिया पर थेरेपी का असर देखा गया. मेटाबोलिज्म में भी सुधार के संकेत मिले. इंसुलिन रिसेस्टेंस कम हो गया. रोगी में इंसुलिन का लेवल घटा मिला है.

बता दें कि ये नतीजे करोड़ों डायबिटीज रोगियों के लिए राहत भरे हैं. फिलहाल रोगी को छह महीने की मॉनीटरिंग पर रखा गया है. हर महीने उसकी जांच की जाएगी. कल्याणपुर के रहने वाले राकेश पाठक देश के पहले डायबिटीज रोगी हैं, जिनकी स्टेम सेल थेरेपी की गई है. उन्हें 16 अगस्त को हैलट के सर्जरी विभाग में थेरेपी दी गई थी. 20 सितंबर को उन्हें जांच के लिए बुलाया गया और उनके अंदर चौंकाने वाला बदलाव देखने को मिले.

दूसरी खुराक देने के संबंध में लिया जाएगा निर्णय

ब्लड शुगर लेवल तो नियंत्रण में आने के साथ-साथ शरीर की अन्य प्रक्रिया पर थेरेपी का असर देखा गया. मेटाबोलिज्म में भी सुधार के संकेत मिले हैं. इंसुलिन रिसेस्टेंस कम हो गया और रोगी में इंसुलिन का लेवल घटा मिला है. जाहिर है कि रोगी के शरीर में इंसुलिन की खपत बढ़ गई है. रोगी की जांच स्टेम सेल थेरेपी के विशेषज्ञ और रिजनरेटिव मेडिसिन विभाग के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. बीएस राजपूत और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने की. उन्होंने बताया कि अभी छह महीने तक रोगी की फॉलोअप जांचें कराई जाएंगी. इसके बाद स्टेम सेल की दूसरी खुराक देने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.

बता दें कि राकेश पाठक का ब्लड शुगर लेवल लगातार बढ़ा हुआ रहता था. दवाएं भी कारगर नहीं हो पा रही थीं. स्टेम सेल थेरेपी दिए जाने के पहले वह सुबह 10 किलोमीटर टहलते थे और तब उनकी खाली पेट सुबह की ब्लड शुगर 185 थी. खाने के दो घंटे बाद की ब्लड शुगर 375 थी और एचबीए1सी 9.8 थी. अब वह केवल एक किलोमीटर टहलते हैं. मंगलवार की जांच में खाली पेट शुगर 87, खाने के दो घंटे के बाद 109 और एचबीए1सी आठ निकली. एचबीए1सी तीन महीने का औसत शुगर लेवल होता है। दवा आधी हो जाने और टहलना इतना कम होने के बाद भी इतने अच्छे परिणाम मिले हैं. डॉ. काला ने बताया कि मंगलवार को एक बर्जर रोगी और मस्तिष्क रोग के एक और रोगी को थेरेपी दी गई है.

अच्छे रहे परिणाम 

डायबिटीज रोगी को थेरेपी देने का यह पहला केस था. परिणाम उत्साह बढ़ाने वाला है. रोगी की दवाएं आधी हो गईं. छह महीने बाद बंद कर देंगे. महीने भर में ही थेरेपी ने असर दिखा दिया. रोगी ने बताया कि वह अब एक्टिव महसूस कर रहा है. 

पेस्ट्रीज खाने के बाद भी नॉर्मल रहा शुगर लेवल

डॉक्टर का कहना है कि पेशेंट ने अपने जन्मदिन पे 12 पेस्ट्रीज खाई. उसके बाद भी शुगर लेवल नॉर्मल रहा. हालांकी इस तरह की राय वो अपने किसी पेशेंट को नहीं देते हैं. बता दें कि कानपुर के कल्याणपुर में रहने वाले राकेश पाठक देश के पहले डायबिटीज रोगी हैं, जिनकी स्टेम सेल थेरेपी की गई है. राकेश को 16 अगस्त को हैलट के सर्जरी विभाग में थेरेपी दी गई थी.