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Insomnia और Depression का आपस में लिंक, किसी एक के इलाज से दोनों का निदान संभव

The Lancet Psychiatry में 2017 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हर सात में से एक भारतीय यानी 197 मिलियन लोग मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, इनमें से 45.7 मिलियन को डिप्रेशन था.

Sleep Disorder Sleep Disorder
हाइलाइट्स
  • डिप्रेशन के लिए स्लीप डिसऑर्डर जिम्मेदार

क्या आपको भी रात में नींद आने में परेशानी होती है...घंटों लेटकर घड़ी की सुईयां देखते रहते हैं...या सोने के बाद कुछ ही घंटों में उठ भी जाते हैं. तो हो सकता है आप डिप्रेशन से पीड़ित हों. डिप्रेशन और insomnia यानी स्लीप डिसऑर्डर का आपस में गहरा संबंध है. दरअसल अनिद्रा एक आम समस्या है जो डिप्रेशन की वजह से होती है.

अनिद्रा और अवसाद दोनों प्रभावित करते हैं फिटबिट स्लीप डेटा इनसाइट्स के अनुसार 2019 में जापानियों के बाद भारतीय दूसरे सबसे अधिक नींद से वंचित थे. The Lancet Psychiatry में 2017 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हर सात में से एक भारतीय यानी 197 मिलियन लोग मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, इनमें से 45.7 मिलियन को डिप्रेशन था.

डिप्रेशन के लिए स्लीप डिसऑर्डर जिम्मेदार

स्लीप डिसऑर्डर और डिप्रेशन सामान्यत: एक समय पर होते हैं. insomnia से पीड़ित लगभग आधे से ज्यादा लोग डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं. 80 फीसदी डिप्रेशन के मामलों में नींद संबंधी विकार जिम्मेदार होते हैं. Insomnia से पीड़ित लोगों में अवसाद के विकसित होने खतरा उनकी तुलना में तीन गुना ज्यादा होता है जिन्हें किसी तरह का स्लीप डिसऑर्डर नहीं है. दोनों की कंडीशन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाती है. Chronic insomnia  से पीड़ित लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. ऐसे लोग बार-बार बीमार पड़ते हैं, और हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारी के शिकार होते हैं,

एक के इलाज से दोनों का निदान संभव

Insomnia से पीड़ित लोगों में डिप्रेशन और तनाव का स्तर ज्यादा होता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि जब नींद बार-बार खराब होती है, तो यह दिमाग की गतिविधि और न्यूरोकेमिकल्स को बदल सकती है, इससे किसी भी व्यक्ति का मूड व सोचने की शक्ति प्रभावित होती है. लोग नहीं जानते कि उन्हें पहले डिप्रेशन की समस्या होगी या फिर insomnia. लेकिन अच्छी खबर ये है कि किसी एक के इलाज से दोनों का निदान संभव है.

नींद पर असर पड़ने से स्लीप डिसऑर्डर होता है

अनिद्रा से पीड़ित लोगों को सोते समय दिमाग को शांत रखने में परेशानी होती है. ऐसे लोग नींद से बहुत जल्दी जाग जाते हैं. और फिर जागने के बाद इनमें चिड़चिड़ापन, थकान की समस्या होती है. आमतौर पर, अगर आप अच्छी नींद लेते हैं तो आपका दिमाग पूरी तरह से नींद की अवस्था में चला जाता है. डिप्रेशन का नींद पर असर पड़ने से स्लीप डिसऑर्डर (Sleep Disorder) की समस्या होती है. क्योंकि तनाव और चिंता के कारण दिमाग अधिक गतिशील हो जाता है.

डिप्रेशन की वजह से क्यों बढ़ती है अनिद्रा की आशंका?

सोने की बदलती आदतें डिप्रेशन का क्लासिक सिम्पटम है. डिप्रेशन से पीड़ित लोग अनिंद्रा का अनुभव जरूर करते हैं, ये नकारात्मक रूप से शरीर को प्रभावित करती है, और आप कैसा महसूस करते हैं, सोचते हैं और कैसे कार्य करते हैं, सब पर असर डालती है. सोने के जितने घंटे पहले होते थे, अब नहीं हैं. नींद होने के बाद भी परेशानी और थकान बनी रहती है तो ये डिप्रेशन की वजह से हो सकती है.

अगर आपको नींद न आने के साथ डिप्रेशन भी है, तो आप स्लीप डिसऑर्डर को नजरअंदाज न करें. इसलिए डॉक्टर्स आपको insomnia और depression का एक साथ इलाज करने की सलाह देते हैं. अगर आपको ये नहीं पता है कि आपको ये दोनों ही है तो किसी एक के इलाज से भी आपको आराम मिल सकता है. insomnia का समय से इलाज, स्लीप मेडिकेशन, लाइफस्टाइल में बदलाव और insomnia के लिए थैरेपी लेकर आप इससे राहत पा सकते हैं.