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Health Insurance New Rules: 1 घंटे में क्लेम अप्रूवल... 3 घंटे में राशि का भुगतान... नहीं तो बीमा कंपनी देगी जुर्माना... हेल्थ इंश्योरेंस कराने वाले जान लें नियमों में ये बड़े बदलाव

Rule Change Health Insurance: IRDAI ने हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे केवल नेटवर्क अस्पतालों तक ही कैशलेस सुविधा सीमित न रखें. यदि कोई पॉलिसीधारक किसी गैर-नेटवर्क हॉस्पिटल में भी इलाज करवाता है तो बीमा कंपनी को कैशलेस क्लेम स्वीकार करना होगा. आइए ऐसे आठ बदलावों के बारे में जानते हैं.

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हाइलाइट्स
  • भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने कंपनियों के दिए निर्देश

  • बीमा कंपनियां सिर्फ नेटवर्क हॉस्पिटल तक ही न रखें कैशलेस सुविधा 

सभी लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) कराने चाहिए. इसके कई फायदे हैं. सबसे बड़ा लाभ है कि आप आर्थिक तनाव लिए बिना अपना इलाज करा सकते हैं. इसका मतलब है कि यदि आपने हेल्थ इंश्योंरेंस कराया है आपको कोई बीमारी हो जाती है तो आप बिना पैसे के भी इलाज करा सकते हैं. कई कंपनियां हेल्थ इंश्योंरेंस कराती हैं. यदि आपने हेल्थ इंश्योंरेंस कराया है तो आपके लिए काम की खबर है. 

IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) यानी भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. अब आप इलाज कराने के लिए कैशलेस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. यदि आपने हेल्थ इंश्योरेंस कराया है तो नेटवर्क अस्पताल की शर्त अब बाधा नहीं बनेगी. इसके अलावा क्लेम रिजेक्शन, पॉलिसी रिन्युअल और डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों में भी सुधार किया गया है. IRDAI के इन सुधारों का उद्देश्य बीमा सेक्टर में ग्राहकों का भरोसा बढ़ाना, हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज को सभी वर्गों तक पहुंचाना, क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया को तेज व पारदर्शी बनाना और बीमा कंपनियों को नवाचार के लिए प्रेरित करना है. 

1. हर हॉस्पिटल में कैशलेस इलाज
IRDAI ने सभी बीमा कंपनियों (Insurance Companies) को सख्त निर्देश दिया है कि वे सिर्फ नेटवर्क हॉस्पिटल तक ही कैशलेस सुविधा न रखें. यदि कोई हेल्थ पॉलिसीधारक किसी गैर-नेटवर्क अस्पताल में भी अपना इलाज कराता है , तो बीमा कंपनी को कैशलेस क्लेम स्वीकार करना होगा. कई भी बीमा कंपनी अब नेटवर्क में नहीं है कहकर कैशलेस क्लेम खारिज नहीं कर सकती. यदि कोई बीमा कंपनी ऐसा करती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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2. ...तो बीमा कंपनी को देना होगा मुआवजा 
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी अस्पताल में भर्ती के समय भेजे गए कैशलेस अनुरोध पर बीमा कंपनी को एक घंटे के भीतर क्लेम अप्रूवल देना होगा. इतना ही नहीं मरीज के इलाज के बाद जब हॉस्पिटल बिल भेजेगा तो बीमा कंपनी को तीन घंटे के अंदर बिल का भुगतान करना होगा. यदि इसमें देरी होती है या अस्पताल अतिरिक्त राशि वसूलता है तो बीमा कंपनी को इसका मुआवजा देना होगा.

3. रिन्युअल से इंकार नहीं कर सकेगी बीमा कंपनी
आपको मालूम हो कि अभी तक यदि आपने बड़ी रकम का क्लेम किया है तो कई बार बीमा कंपनी अगली बार पॉलिसी रिन्युअल करने से इंकार कर देती थी लेकिन अब नए नियम के तहत सिर्फ क्लेम करने के आधार पर कोई भी बीमा कंपनी रिन्युअल से इनकार नहीं कर सकती है. पॉलिसीधारक जब तक खुद कवरेज बढ़ाने की मांग न करे तब तक कंपनी नई अंडरराइटिंग प्रक्रिया नहीं अपना सकती.

4. बीमा कंपनी को देना होगा जुर्माना
IRDAI के नए नियम के मुताबिक बीमा से संबंधि कोई विवाद होने पर यदि पॉलिसीधारक के पक्ष में बीमा लोकपाल का आदेश आता है तो बीमा कंपनी को इस आदेश के 30 दिनों के भीतर पालन करना होगा. यदि बीमा कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उसे हर दिन 5000 रुपए का जुर्माना देना होगा. 

5. बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों को ध्यान में रख बनाएं पॉलिसी
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर पॉलिसी बनाएं. अब OPD (आउट पेशेंट), डे-केयर और होम केयर इलाज भी पॉलिसी कवर करना जरूरी होगा. इतना ही नहीं रॉबोटिक सर्जरी, ऑर्गन ट्रांसप्लांट जैसी एडवांस प्रक्रियाएं भी बीमा पॉलिसी शामिल की जाएंगी.

6. क्लेम अस्वीकार करने की स्पष्ट और लिखित वजह देना अनिवार्य
कोई भी बीमा कंपनी अब एकतरफा फैसला लेकर किसी पॉलिसीधारक की क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकेगी. अब तीन लोगों की एक कमेटी क्लेम रिजेक्शन का फैसला लेगी. क्लेम अस्वीकार करने की स्पष्ट और लिखित वजह देना अनिवार्य होगा. 

7. ...तो सभी बीमारियां होंगी बीमा में कवर
यदि कोई पॉलिसीधारक लगातार पांच सालों तक हेल्थ पॉलिसी चालू रखता है तो उसके बाद कोई भी बीमारी बीमा से बाहर नहीं मानी जाएगी. इसका मतलब है कि सभी बीमारियों का कवरेज अनिवार्य हो जाएगा. भले ही आप कंपनी बदलें. सिर्फ धोखाधड़ी साबित होने पर ही बीमा कवरेज देने से इनकार किया जा सकता है.

8. पॉलिसीधारक को देनी होगी CIS
IRDAI के नए नियम के मुताबिक अब सभी बीमा कंपनियों को पॉलिसीधारक को Customer Information Sheet (CIS) देनी होगी. इसमें बीमा पॉलिसी से जुड़ीं प्रमुख बातें आसान भाषा में समझाई गई होंगी. इससे सभी पॉलिसीधारक को यह समझने में आसानी होगी कि उसकी पॉलिसी में क्या-क्या कवर है और क्या नहीं?