आजकल बुजुर्ग से लेकर बच्चों तक में तक में पीठ का दर्द देखा जा रहा है. पीठ के दर्द को लूम्बेगो भी कहा जाता है. ये केवल वयस्कों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी होता है. यहां तक कि बच्चों और किशोरों को भी यह हो सकता है, खासकर वे बच्चे जो खेलों में ज्यादा एक्टिव हैं. हाल ही में हुई स्टडी से पता चलता है कि 10 से 18 साल की उम्र के तीन किशोरों में से एक को पिछले साल पीठ दर्द का अनुभव हुआ है. हालांकि, बच्चों और किशोरों में होने वाले इस पीठ दर्द के पीछे कई कारण हैं.
बच्चों और किशोरों में पीठ दर्द के लक्षण
दरअसल, ये दर्द पीठ के एक हिस्से में होता है. दर्द और परेशानी रीढ़ की हड्डी के एक या दोनों तरफ हो सकती है. कभी-कभी खेल या व्यायाम जैसी शारीरिक गतिविधियों से दर्द बढ़ जाता है. जिसकी वजह से ये हमारी दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है, जिससे चलना या सोना मुश्किल हो जाता है. इतना ही नहीं बल्कि कुछ लोगों को सुन्नता, कमजोरी महसूस हो सकती है, या उनकी आंतों या मूत्राशय में समस्या हो सकती है.
कई स्टडीज के मुताबिक, किशोरों में, एक ही तरह की हरकतें बार-बार करना जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है, जैसे मुड़ना, घूमना या पीछे की ओर झुकना, सामान्य कारण हैं. इससे मांसपेशियों में चोट लग सकती है.
बच्चों में पीठ दर्द का इलाज कैसे करें?
-सुनिश्चित करें कि बच्चे को पीठ ठीक करने के लिए पर्याप्त आराम मिले.
-दर्दनिवारक दवाएं जिन्हें आप बिना प्रिस्क्रिप्शन के खरीद सकते हैं, दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं.
-उस जगह पर बर्फ लगाने से राहत मिल सकती है और सूजन कम हो सकती है.
-अगर कुछ दिनों के बाद भी पीठ दर्द ठीक नहीं होता है, तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए. कमर दर्द से पीड़ित युवाओं को सर्जरी की शायद ही कभी जरूरत पड़ती है.
बच्चों में पीठ दर्द को रोकने के लिए क्या कर सकते हैं?
-स्ट्रेच या वार्म अप: चोटों से बचने के लिए मांसपेशियों को गर्म रखना महत्वपूर्ण है.
-अपने कोर और कूल्हों को मजबूत बनाएं: इन मांसपेशियों को मजबूत बनाने से पीठ को अच्छा सहारा मिल सकता है.
-सही तरीका सीखें: सुनिश्चित करें कि बच्चे खेल में सही तकनीक सीखें और उसका उपयोग करें.
-अपने पोस्चर पर ध्यान दें: अच्छे पोस्चर बनाए रखने पर ध्यान दें, खासकर फोन और कंप्यूटर जैसे उपकरणों का उपयोग करते समय.