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कोरोना के चलते खराब हो गए थे फेफड़े, लंग्स ट्रांसप्लांट से मिली नई जिंदगी

मृत व्यक्ति से फेफड़ा निकालने से लेकर लंग्स ट्रांसप्लांट में कुल 8 घंटे का वक्त लगा. मरीज की स्थिति के बारे में मैक्स अस्पताल के पल्मोनोलॉजी के प्रमुख निदेशक डॉ. विवेक नांगिया ने बताया कि जब मरीज उनके पास आए थे तब मरीज का फेफड़ा बैलून का आकार ले चुका था. फेफड़े फूल गए थे और उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी. एक साल से ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे और स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था. ऐसे में लंग्स ट्रांसप्लांट के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.

लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की हालत पहले से बेहतर है लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की हालत पहले से बेहतर है
हाइलाइट्स
  • एक साल से ऑक्सीजन सपोर्ट पर था मरीज

  • लंग्स ट्रांसप्लांट के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था

  • लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की स्थिति अब ठीक

उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक 55 वर्षीय शख्स के फेफड़े कोरोना के चलते खराब हो गए थे. दोनों फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था. इसके बाद गुजरात के अहमदाबाद में एक ब्रेन डेड व्यक्ति के परिवार वालों ने अंगदान का फैसला किया. ग्रीन कॉरिडोर बनाकर फेफड़े को दिल्ली लाया गया और काफी जटिल प्रक्रिया के बीच ECMO सपोर्ट से लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया. दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में लंग्स ट्रांसप्लांस किया गया. उत्तर भारत के किसी अस्पताल में लंग्स ट्रांसप्लांट का ये पहला मामला है.

लंग्स ट्रांसप्लांट ही था अंतिम विकल्प
मिली जानकारी के मुताबिक मेरठ के रहने वाले शख्स के दोनों फेफड़े कोरोना की वजह से खराब हो गए थे. डॉक्टरों की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक मरीज की हालत अस्थिर थी और सांसें उखड़ रही थी. मरीज को हाई फ्लो ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था. मरीज की जिंदगी बचाने का एकमात्र उपाय लंग्स ट्रांसप्लांट करना था. लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए मरीज को वेटिंग लिस्ट में रखा गया.

अहमदाबाद से लाया गया फेफड़ा
22 दिसंबर को नेशनल ऑर्गन एंड टीशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन ने अहमदाबाद में ब्रेन डेड डोनर के बारे में अधिसूचित किया. शख्स की मौत ब्रेन हेमरेज की वजह से हुई थी. इसके बाद तुरंत एक टीम ने वहां पहुंचकर फेफड़े को निकाला और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर फेफड़ा अहमदाबाद से दिल्ली लाया गया. 3 घंटे में 950 किलोमीटर की दूरी तय की गई.

बैलून की तरह हो गया था फेफड़ा
मृत व्यक्ति से फेफड़ा निकालने से लेकर लंग्स ट्रांसप्लांट में कुल 8 घंटे का वक्त लगा. मरीज की स्थिति के बारे में मैक्स अस्पताल के पल्मोनोलॉजी के प्रमुख निदेशक डॉ. विवेक नांगिया ने बताया कि जब मरीज उनके पास आए थे तब मरीज का फेफड़ा बैलून का आकार ले चुका था. फेफड़े फूल गए थे और उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी. एक साल से ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे और स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था. ऐसे में लंग्स ट्रांसप्लांट के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.

लंग्स ट्रांसप्लांट टीम को लीड करने वाले डॉक्टर राहुल चंदोला ने बताया कि यह काफी जटिल सर्जरी थी. ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट से लंग्स का ट्रांसप्लांट हुआ. अब दोनों फेफड़े ठीक से काम कर रहे हैं और मरीज की हालत ठीक है.