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पोर्न देखने की लत, शराब-सिगरेट से भी खतरनाक! डॉक्टर बोले- दिमाग को करता है कमजोर, बढ़ाता है डिप्रेशन और अकेलापन

जब किसी व्यक्ति को पोर्न देखने की लत लग जाती है, तो वह दूसरों से बातचीत करने या जरूरी काम पूरे करने के बजाय अपना ज़्यादातर समय पोर्न देखने में बिताने लगता है.

An addiction is more common than alcohol or smoking An addiction is more common than alcohol or smoking
हाइलाइट्स
  • पोर्न एडिक्शन शराब और सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक

  • युवाओं में बढ़ती पोर्न की लत

अगर आप भी हर रोज एडल्ट कंटेंट या पोर्न वीडियो देखना एक आम बात मानते हैं, तो अब सावधान हो जाइए. ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. मनन वोरा ने इसे एक ऐसी लत बताया है जो शराब और सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है.

डॉ. वोरा ने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में कहा कि पोर्न एडिक्शन (Porn Addiction) आज युवाओं में तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसकी चर्चा बहुत कम होती है. उन्होंने बताया कि यह लत धीरे-धीरे दिमाग की कार्यप्रणाली को बदल देती है, जिससे इंसान डिप्रेशन, अकेलेपन और बेचैनी में घिरने लगता है.

पोर्न दिमाग पर उसी तरह असर डालता है जैसे नशा
डॉ. वोरा कहते हैं, यह ऐसी लत है जो शराब या सिगरेट से ज्यादा दिमाग को नुकसान पहुंचाती है. फर्क बस इतना है कि इसका असर बाहर नहीं, अंदर से होता है. बार-बार एडल्ट वीडियो देखने से दिमाग के भीतर डोपामिन (Dopamine) नामक केमिकल असामान्य मात्रा में रिलीज होता है. यही डोपामिन हमें खुशी का एहसास कराता है पर जब यह लगातार बढ़ता रहता है, तो दिमाग को अब और ज्यादा तीव्र उत्तेजना की जरूरत महसूस होती है.

धीरे-धीरे इंसान को सामान्य जिंदगी की चीजों में मजा नहीं आता, जैसे परिवार के साथ वक्त बिताना, काम में मन लगाना या बाहर घूमना. और यही स्थिति उसे डिप्रेशन और सामाजिक अलगाव (social isolation) की ओर धकेलती है.

न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बन सकती है पोर्न की लत
डॉ. वोरा ने अपने वीडियो में कहा कि उनका मकसद किसी को शर्मिंदा करना नहीं, बल्कि जागरूक बनाना है. उन्होंने कहा, जैसे हम शराब या धूम्रपान की लत को गंभीरता से लेते हैं, वैसे ही हमें पोर्न की लत को भी एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या माननी चाहिए. यह लत सिर्फ आदत नहीं, बल्कि एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बन सकती है, जो दिमाग की सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर देती है.

सोशल मीडिया पर लोगों ने किया समर्थन
डॉ. वोरा का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ. कई यूजर्स ने अपनी बात शेयर की. एक यूजर ने लिखा, मैंने खुद महसूस किया कि जितना ज्यादा देखता गया, उतना अंदर से खाली महसूस करता गया. जब इसे छोड़ने की कोशिश की, तो दिमाग हल्का और खुश लगा. कई लोगों ने डॉक्टर की तारीफ की कि उन्होंने इतने संवेदनशील विषय पर खुलकर बात की. वहीं, कुछ ने उनसे पोर्न की लत छोड़ने के व्यावहारिक तरीके पूछे.

लोगों में क्यों बढ़ रही है यह लत?
विशेषज्ञों के मुताबिक, आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में हर किसी को तुरंत ‘डोपामिन हिट’ चाहिए. यानी जल्दी खुश होने का अहसास. सोशल मीडिया, गेमिंग और एडल्ट कंटेंट, ये सब वही काम करते हैं. धीरे-धीरे यह दिमाग को नेचुरल खुशी महसूस करने से रोक देता है, जिससे व्यक्ति और ज्यादा स्क्रीन टाइम या कंटेंट चाहता है.