
आगे बढ़ती हुई दुनिया भले ही ठाठ, आराम और विलासिता के नए पैमाने तय कर रही है, लेकिन इससे जुड़ी एक सच्चाई यह भी है कि डिप्रेशन का शिकार होने वाले लोगों की तादाद भी मुसलसल बढ़ती जा रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) की पिछले दशक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ भारत में ही करीब छह करोड़ लोग डिप्रेशन का शिकार हैं. यह आंकड़ी बीते कुछ सालों में बढ़ा ही है.
डिप्रेशन से बचने के लिए कई लोग एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं खाते हैं. ये दवाएं असरदार तो होती हैं लेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. एंटी-डिप्रेसेंट की लत लग जाना भी इन साइड इफेक्ट्स में से एक है. इन दवाओं पर मरीज़ों की निर्भरता कम करना डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती थी. अब इस दिशा में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है. हाल ही में प्रकाशित एक रिसर्च में पाया गया है कि पोटैशियम और जिंक जैसे मिनरल्स से भरपूर डाइट डिप्रेशन के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है.
क्या कहती है नई रिसर्च?
न्यूट्रिएंट्स नाम की मैगज़ीन में प्रकाशित हुई यह रिसर्च दक्षिण कोरिया और अमेरिका के 22,000 से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य डेटा पर आधारित है. वैज्ञानिकों ने पोटैशियम, जिंक, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे सात मिनरल्स का विश्लेषण किया और पाया कि पोटैशियम खाना डिप्रेशन के जोखिम को कम करने में सबसे ज्यादा असरदार है.
रिसर्च में पाया गया कि पोटैशियम युक्त खाना जैसे कि केला, एवोकाडो, पालक, टमाटर और दही मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. पोटैशियम शरीर में सेल्स के लिक्विड पदार्थों के संतुलन को बनाए रखता है. रिसर्च के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से पोटैशियम से भरपूर भोजन करते हैं उनमें डिप्रेशन का जोखिम भी कम होता है. साउथ कोरिया की डोंग-ए यूनिवर्सिटी में फिजियोलॉजी के सहायक प्रोफेसर मिनकूक सन ने बताया कि यह संबंध मानसिक स्वास्थ्य में पोटैशियम की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है.
दूसरे मिनरल भी पाए गए कारगर
अध्ययन में यह भी पाया गया कि कोरियाई प्रतिभागियों में उच्च सोडियम का सेवन डिप्रेशन के जोखिम को कम करने से जुड़ा था, जबकि अमेरिकी प्रतिभागियों में जिंक का उच्च स्तर इस जोखिम को कम करने में प्रभावी था. शोधकर्ताओं का मानना है कि सांस्कृतिक खान-पान की आदतें और मिनरल्स की जैवउपलब्धता इन अंतरों के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, कोरिया में किण्वित और सूप-आधारित खाने-पीने की चीज़ों के कारण सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जबकि अमेरिका में जिंक का सेवन एनिमल प्रोटीन स्रोतों से अधिक होता है.
कैसे बढ़ाएं डाइट में पोटैशियम?
मेडिकल न्यूज़ टुडे की एक रिपोर्ट रजिस्टर्ड डाइट एक्सपर्ट मोनिक रिचर्ड के हवाले से कहती है कि पोटैशियम, मैग्नीशियम और सेलेनियम जैसे मिनरल विटामिन डी, सी और ई के साथ मिलकर शरीर के विभिन्न कामों को समर्थन देते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि मौसमी फल और सब्जियों को डाइट में शामिल करने से पोटैशियम की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, एक मध्यम आकार का केला 422 मिलीग्राम पोटैशियम देता है, जबकि एक एवोकाडो में लगभग 500 मिलीग्राम पोटैशियम होता है.
हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी कि यह अध्ययन क्रॉस-सेक्शनल है, इसलिए यह कारण और प्रभाव को स्पष्ट रूप से स्थापित नहीं करता. भविष्य में दीर्घकालिक अध्ययन और हस्तक्षेप परीक्षण इस संबंध को और साफ कर सकते हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो अच्छी डाइट, नियमित वर्कआउट और पर्याप्त नींद जैसी आदतें डिप्रेशन के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकती हैं.