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स्टैनफोर्ड मेडिसिन की रिसर्च: इस कॉमन वैक्सीन से कम हो सकता है डिमेंशिया का खतरा, बीमारी की रफ्तार भी हो सकती है धीमी

शिंगल्स वैक्सीन पहले से सुरक्षित और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है. शिंगल्स वैक्सीन एक ऐसी वैक्सीन है जो शिंगल्स (Shingles) नाम की बीमारी से सुरक्षा देती है. शिंगल्स का असली कारण Varicella Zoster Virus (VZV) है.

Dementia: Photo: Getty Dementia: Photo: Getty

डिमेंशिया आज भी दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण बीमारियों में से एक है. दुनियाभर में 5.7 करोड़ से ज्यादा लोग इससे जूझ रहे हैं. हर साल करीब 1 करोड़ नए मरीज सामने आते हैं और अनुमान है कि साल 2050 तक यह संख्या तीन गुना हो सकती है. इस बीच वैज्ञानिकों को एक ऐसी वैक्सीन के बारे में पता चला है जिसमें डिमेंशिया का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है.

स्टैनफोर्ड मेडिसिन की स्टडी में बड़ा खुलासा
स्टैनफोर्ड मेडिसिन की रिसर्च में बताया गया है कि शिंगल्स वैक्सीन लेने से डिमेंशिया का जोखिम करीब 20% कम कर देता है. स्टडी में वेल्स (Wales) के एक नेचुरल एक्सपेरिमेंट मॉडल का इस्तेमाल हुआ था. वहां एक सरकारी नीति के तहत एक खास उम्र तक के लोगों को वैक्सीन दी गई, जबकि थोड़े ज्यादा उम्र वाले लोग इससे बाहर रह गए. दोनों समूह उम्र और जीवनशैली में लगभग समान थे, बस वैक्सीन का ही फर्क था. नतीजा साफ था. जिन लोगों ने शिंगल्स वैक्सीन ली, उनमें आगे के सात सालों में डिमेंशिया के मामलों में साफ तौर पर कमी दिखी. खास बात यह कि यह सुरक्षा प्रभाव महिलाओं में और भी ज्यादा देखा गया.

सिर्फ बचाव नहीं, बीमारी की रफ्तार भी धीमी
स्टडी का दूसरा हिस्सा और ज्यादा चौंकाने वाला है. जिन लोगों को पहले से डिमेंशिया था, उनमें भी शिंगल्स वैक्सीन के फायदे दिखे. वैक्सीन लेने वालों में डिमेंशिया से होने वाली मौत का खतरा कम पाया गया. उनमें माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट (MCI) के मामले भी कम देखे गए. इसका मतलब यह हो सकता है कि वैक्सीन न सिर्फ बीमारी को रोकने में मदद करती है, बल्कि शुरू हो चुकी बीमारी को भी धीमा करती है.

वैक्सीन कैसे कर रही है दिमाग की सुरक्षा?

1. वायरस का दिमाग पर असर
शिंगल्स का वायरस Varicella zoster virus (VZV) बचपन में चिकनपॉक्स के बाद शरीर में डोरमेंट के रूप में रहता है. उम्र बढ़ने पर यह दोबारा एक्टिव होकर नसों में इंफ्लेमेशन पैदा कर सकता है. ऐसी सूजन डिमेंशिया जैसे न्यूरोलॉजिकल नुकसान में योगदान दे सकती है. वैक्सीन इस रिएक्टिवेश को रोकती है.

2. इम्यून सिस्टम का मजबूत होना
नई शिंगल्स वैक्सीन में मौजूद adjuvants शरीर के इम्यून सिस्टम को ज्यादा प्रभावी बनाते हैं. यह एक्टिव इम्यून रिस्पॉन्स दिमाग को न्यूरोडीजेनेरेशन से बचा सकता है. यानी फायदा सिर्फ शिंगल्स से बचाव का नहीं, बल्कि इम्यून बूस्ट का भी हो सकता है.

हालांकि यह स्टडी अभी शुरुआती चरण में है, यानी इसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि वैक्सीन निश्चित रूप से डिमेंशिया रोकती ही है.

शिंगल्स वैक्सीन क्या होती है और किसे दी जाती है?
आपको बता दें, शिंगल्स वैक्सीन पहले से सुरक्षित और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है. शिंगल्स वैक्सीन एक ऐसी वैक्सीन है जो शिंगल्स (Shingles) नाम की बीमारी से सुरक्षा देती है. शिंगल्स का असली कारण Varicella Zoster Virus (VZV) है. यही वायरस बचपन में होने वाले चिकनपॉक्स का कारण भी होता है. 50 साल या उससे अधिक उम्र के सभी वयस्कों को यह वैक्सीन दी जाती है. इसकी दो डोज दी जाती है.