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मलेरिया वैक्सीन के लिए UNICEF ने GSK के साथ किया करार, जानिए RTS,S के बारे में सब कुछ

मलेरिया की वैक्सीन RTS,S की पहली आपूर्ति के लिए यूनिसेफ (UNICEF) ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी जीएसके (GSK) के साथ एक करार किया है. करार के तहत इस वैक्सीन की 18 मिलियन डोज की आपूर्ति की जानी है.

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हाइलाइट्स
  • RTS,S की 18 मिलियन डोज़ की आपूर्ति की जाएगी

  • यूनिसेफ ने 170 मिलियन डॉलर का किया है करार

मलेरिया की वैक्सीन बनने की खबर जब 2021 में आई तो इसे मेडिकल साइंस की बड़ी कामयाबी के रूप में देखा गया. उसकी वजह थी कि इसको बनाने में सालों लग गए. अफ्रीका जैसे देशों में यह सबसे बड़ी बीमारी है और इससे हर साल हजारों बच्चों की जान चली जाती है. अब इससे जुड़ी एक अच्छी खबर सामने आई है कि यूनिसेफ (UNICEF) ने मलेरिया से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनी जीएसके (GSK) के साथ 170 मिलियन डॉलर का करार किया है. इसके तहत वैक्सीन RTS,S की 18 मिलियन डोज़ की आपूर्ति की जाएगी. आइए जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में कि टेस्टिंग के दौरान यह कितना प्रभावी था. इसके साथ ही जानेंगे कि मलेरिया रोग कैसे होता है, इसके लक्षण क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है.

RTS,S वैक्सीन कैसे काम करेगी

2015 में वैक्सीन की टेस्टिंग के दौरान 10 में से 4 को इस गंभीर रोग से बचाया जा सका था. रिपोर्ट के अनुसार 10 में से 3 मामले बेहद गंभीर थे जिनमें खून बदलने की जरूरत पड़ी थी.  मलेरिया पर प्रभाव दिखाने के लिए RTS,S वैक्सीन की चार डोज की जरूरत पड़ेगी. इसमें पहली खुराक बच्चे के पांच महीने होने पर वहीं दूसरी खुराक छह महीने और तीसरी खुराक 7 महीने होने पर दी जाएगी. अंतिम और बूस्टर खुराक बच्चे के 18 महीने के होने पर दी जाएगी. ट्रायल के दौरान यह पाया गया कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और मलेरिया के खतरे को 30 से 40 फीसदी कम कर देती है. इसके साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट किसी मरीज में नहीं देखा गया. ये वैक्सीन असरदार होने के साथ साथ किफायती भी है. बता दें कि अफ्रीका में मलेरिया सबसे बड़ी बीमारी है. रिपोर्ट के अनुसार 2019 में अफ़्रीका में 2 लाख 60 हज़ार बच्चों की मौत इस रोग से हुई. अब वैक्सीन लग जाने के बाद हर साल हजारों बच्चों की जान बच सकेगी. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार अगले तीन सालों के लिए कॉन्ट्रेक्ट किया गया है. और इस कॉन्ट्रेक्ट के तहत RTS,S वैक्सीन की 18 मिलियन डोज की आपूर्ति होनी है. आगे भी एजेंसी आपूर्ति बढ़ाने पर काम करेगी.

मलेरिया के लक्षण, कारण और बचाव

कारण- मलेरिया रोग एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने से होता है. वैसे तो भारत में यह रोग पूरे साल में कभी हो सकता है लेकिन बारिश के मौसम में इसका संक्रमण अधिक हो जाता है. और इसकी वजह है कि बारिश का पानी ज्यादा दिनों तक जमा होने की वजह से दूषित हो जाता है. और ऐसे में जमे पानी में इस प्रजाति के मच्छर जन्म ले लेते हैं. 

लक्षण- जब किसी को एनाफिलीज मादा मच्छर काट लेता हैं तो  उस व्यक्ति को सिर दर्द  और बुखार आना शुरू हो जाता है.  इसके अलावा उल्टी होना, मन का मचलना, ठंड लगना, चक्कर आना, थकान लगना आदि भी इसके लक्षण में शामिल हैं. अगर इनमें से किसी तरह का कोई लक्षण दिखता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.

बचाव- मलेरिया एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने से होता है. ऐसे में कोशिश करें कि मच्छरों को पनपने ही ना दें. इसके लिए घर के आसपास बारिश के पानी या गंदे पानी को जमा न होने दें. इस प्रजाति के मच्छर शाम के बाद काटते हैं इसलिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने और बाहर न निकलें. रात में मच्छरदानी लगाकर ही सोएं.