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Explainer: दुनिया के लिए गेम चेंजर हो सकती है अमेरिकी सेना की बनाई वैक्सीन, जानिए क्या है इसमें खास

पिछले दो सालों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. हालांकि वैक्सीन के निर्माण के बाद सभी देशों ने थोड़ी राहत की सांस ली. लेकिन कोविड-19 के नए-नए वैरिएंट्स को लेकर अभी भी चिंता बढ़ी हुई है. क्योंकि नए वैरिएंट पर अब तक बनी वैक्सीन कितनी कारगर होंगी यह कह पाना मुश्किल है. लेकिन इन सभी परेशानियों के बीच एक उम्मीद की किरण अमेरिकी सेना की तरफ से मिली है.

US Army develops vaccine (Credits:Marcy Sanchez/US Army) US Army develops vaccine (Credits:Marcy Sanchez/US Army)
हाइलाइट्स
  • अमेरिकी सेना ने बनाई COVID-19 वैक्सीन

  • कोरोनावायरस के सभी वैरिएंट पर कारगर

पिछले दो सालों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. हालांकि वैक्सीन के निर्माण के बाद सभी देशों ने थोड़ी राहत की सांस ली. लेकिन कोविड-19 के नए-नए वैरिएंट्स को लेकर अभी भी चिंता बढ़ी हुई है. क्योंकि नए वैरिएंट पर अब तक बनी वैक्सीन कितनी कारगर होंगी यह कह पाना मुश्किल है. 

लेकिन इन सभी परेशानियों के बीच एक उम्मीद की किरण अमेरिकी सेना की तरफ से मिली है. जी हां, बताया जा रहा है कि यूएस आर्मी ने भी एक COVID-19 वैक्सीन तैयार की है. और उनका दावा है कि यह वैक्सीन कोरोनावायरस के सभी वैरिएंट्स पर कारगर होगी.  

अमेरिकी सेना के वाल्टर रीड आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च ने इस वैक्सीन को बनाया है. वैक्सीन का पहला क्लीनिकल ट्रायल हो चुका है. और रिपोर्ट्स के मुताबिक यह वैक्सीन कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से भी सुरक्षा देगी. 

अमेरिकी सेना की COVID-19 वैक्सीन क्या है?

अमेरिकी सेना ने जो वैक्सीन बनाई है इसे आधिकारिक तौर पर स्पाइक फेरिटिन नैनोपार्टिकल (या SpFN) COVID-19 वैक्सीन नाम दिया गया है. अमेरिकी सेना के मुताबिक उनकी वैक्सीन को अन्य वैक्सीन की तुलना में कम रख-रखाव की आवश्यकता है. 

जिसके कारण इसे किसी भी तरह की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है. सेना के वैज्ञानिकों के अनुसार, आर्मी वैक्सीन को 36 डिग्री फ़ारेनहाइट और 46 एफ के बीच छह महीने तक और रूम टेम्प्रेचर पर एक महीने तक रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है. 

जबकि फाइजर की वैक्सीन को शिपमेंट और स्टोरेज के लिए अल्ट्रा-कोल्ड फ्रीजर (माइनस -112 डिग्री F और माइनस -76 F के बीच) की आवश्यकता होती है और यह रेफ्रिजरेटर में रखे जाने पर 31 दिनों तक स्थिर रहता है. 

हो चुका है पहला क्लीनिकल ट्रायल: 

आर्मी वैक्सीन का पहला क्लीनिकल ट्रायल हो चुका है. वैक्सीन का परीक्षण 28 दिनों के अंतराल पर दो शॉट्स में किया गया है. और 6 महीने बाद तीसरे शॉट का ट्रायल किया गया. 

अब तक जो भी वैक्सीन बनी, वे सभी सिर्फ SARS-CoV-2 के लिए बनाई गई, जिसके कारण COVID-19 फैलता है. लेकिन आर्मी के वैज्ञानिकों ने अपनी वैक्सीन को "पैन-कोरोनावायरस" के रूप में डिजाइन किया है. जिसका मतलब है कि यह अलग-अलग प्रकार के कोरोनवायरस और इसके नए-नए वैरिएंट्स के खिलाफ काम करेगी. 

हालांकि इस वैक्सीन का ओमिक्रॉन पर सीधे परीक्षण नहीं किया गया है. लेकिन वैक्सीन पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने कहा कि लैब में ह्यूमन ट्रायल सैंपल पर ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन से अच्छे नतीजे मिले हैं. 

अभी तक नहीं मिली है आधिकारिक मंजूरी: 

हालांकि यह वैक्सीन मार्किट में कब तक आएगी इसके बारे में कोई सुचना नहीं मिली है. क्योंकि अभी ट्रायल चल रहे हैं. वैक्सीन कितनी सुरक्षित और प्रभावी है, इसका निर्धारण सभी ट्रायल्स के बाद होगा. आम तौर पर, क्लिनिकल परीक्षण के सभी तीन चरणों को पूरा करने में तीन से पांच साल लग सकते हैं. लेकिन अभी की स्थिति में इसे जल्द से जल्द किया जायेगा.