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22 मिलियन से ज्यादा गर्भवती महिलाओं और बच्चों तक सही पोषण पहुंचाकर कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं Vitamin Angels

Vitamin Angels ने 22 मिलियन से अधिक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों तक पहुंचकर, उनकी कुपोषण से उबरने में मदद की है.

Curbing mlnutrition in children (Photo: Vitamin Angels India) Curbing mlnutrition in children (Photo: Vitamin Angels India)
हाइलाइट्स
  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स (2021) में 101वें स्थान पर है भारत

  • 220 लाख लोगों तक पहुंची Vitamin Angels की मुहिम 

पिछले साल, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में बहुत से बच्चों को स्टंटिंग और वेस्टिंग जैसे मुद्दे प्रभावित कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त, बहुत से नागरिक, खासकर कि मांओ में एनीमिया की स्थिति है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स (2021) में 116 देशों में भारत फिसलकर 101वें स्थान पर आ गया है.

ऐसे में, अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए मातओं, शिशुओं और बच्चों के पोषण में सुधार करना जरूरी है और इसे करने का जिम्मा उठाया है एक इंटरनेशनल नॉन-प्रॉफिट संगठन- Vitamin Angels India (विटामिन एंजेल्स इंडिया/वीए) ने. यह संगठन देश भर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों और मांओं के बीच कुपोषण के मुद्दों को हल करने के लिए काम कर रहा है. 

कैसे करते हैं काम 
विटामिन एंजेल्स मुख्य तौर पर लोगों तक पोषक सप्लीमेंट, गोलियां आदि पहुंचाने के साथ-साथ  फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स को प्रशिक्षित करने और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैलाने के लिए काम कर रहा है. विटामिन एंजेल्स इंडिया के अध्यक्ष, सुनील जौहरी ने योरस्टोरी से बात करते हुए बताया कि उनका संगठन दुनिया भर में और भारत में सबसे अधिक वंचित और पोषण की दृष्टि से कमजोर समुदायों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.

गर्भवती महिलाओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पोषण महत्वपूर्ण है. यह बच्चों के तत्काल और आने वाले सालों में विकास, और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. उदाहरण के लिए, अगर मां को गर्भावस्था में सही पोषण मिले तो इससे हेल्दी डिलीवरी होती है और इससे बच्चे में कुपोषण और स्टंटिंग भी रूकता है. 

220 लाख लोगों तक पहुंची मुहिम 
योरस्टोरी के मुताबिक, भारत में यह संगठन एक दशक से ज्यादा समय से काम कर रहा है. और उनका कहना है कि अब तक वे 22 मिलियन से अधिक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों तक पहुंच चुके हैं. उनकी मुहिम लगातार जारी है. भारत में विटामिन एंजेल्स की टीम में 20 लोग शामिल हैं, जिनमें डॉक्टर और सीनियर एक्सपर्ट शामिल हैं. 

अब तक, VA ने इन सप्लीमेंट्स की सफल डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए 20,000 से अधिक फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को तकनीकी प्रशिक्षण दिलाया है. सुनीश का कहना है कि उन्हें अलग-अलग जगह काम करने के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंडिंग के रूप में संगठनों से ग्रांट मिलती है. 

जैसे बुलढाणा, नासिक, औरंगाबाद, नांदेड़, नागपुर, धुले और परबानी जिलों में विटामिन ए सप्लीमेंटेशन (वीएएस) के कम कवरेज वाले जिलों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए उन्हें महाराष्ट्र में ओमनीएक्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने का मौका मिला. 

दुर्गम इलाकों पर है फोकस
वैसे तो यह संगठन अखिल भारतीय स्तर पर काम कर रहा है. लेकिन विशेष रूप से उनका फोकस देश के दुर्गम क्षेत्रों पर केंद्रित रहा है, और लाखों महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से निकाल रहा है. कोरोना महामारी की शुरुआत में, वीए इंडिया ने नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विभिन्न गैर सरकारी संगठनों और सरकारों के साथ काम किया. ताकि लोगों की महत्वपूर्ण EBNI तक निर्बाध पहुंच हो, जिसमें गर्भवती महिलाओं के लिए मल्टीपल माइक्रोन्यूट्रिएंट सप्लीमेंट्स (एमएमएस) और बच्चों के लिए वीएएस और डीवर्मिंग टैबलेट शामिल हैं.

फिलहाल, इस संगठन की महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, मिजोरम, मणिपुर और पुडुचेरी सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ भागीदारी है. यह 1,800 पार्टनर संगठनों के साथ काम करता है जिसमें अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र, 1,400+ गैर सरकारी संगठन और आस्था आधारित संगठन शामिल हैं.