
आजकल मल्टीविटामिन कैप्सूल और सप्लीमेंट्स लेना आम बात हो गई है. टीवी, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इनके विज्ञापन लगातार दिखते हैं. दावा किया जाता है कि ये शरीर को मजबूत बनाते हैं, थकान दूर करते हैं और रोज़मर्रा की पोषण की कमी पूरी करते हैं. लेकिन क्या वाकई ये ज़रूरी हैं? आइए जानते हैं।
लोग मल्टीविटामिन क्यों लेते हैं?
मल्टीविटामिन लेने के जोखिम
हालांकि मल्टीविटामिन सुनने में सुरक्षित लगते हैं, लेकिन इनके कुछ जोखिम भी हैं:
विशेषज्ञों की क्या राय है?
डॉक्टरों का मानना है कि स्वस्थ व्यक्ति, जो संतुलित आहार लेता है, उसे अतिरिक्त मल्टीविटामिन की ज़रूरत नहीं होती. डायटीशियन और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि फल, सब्ज़ियां, अनाज, दालें और दूध जैसे प्राकृतिक स्रोतों से मिलने वाले विटामिन और मिनरल्स ही शरीर को सबसे अच्छे तरीके से काम आते हैं.
हालांकि ये कुछ मामलों में ज़रूरी होते हैं. जैसे गर्भवती महिलाएं, 50 साल से ऊपर के लोग, विटामिन D की कमी से पीड़ित या गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को डॉक्टर मल्टीविटामिन लेने की सलाह दे सकते हैं.
क्या हमें मल्टीविटामिन लेना चाहिए या प्राकृतिक स्रोत से पोषण पाना चाहिए?
प्राकृतिक स्रोत सबसे बेहतर होता है. संतुलित आहार जिसमें मौसमी फल, हरी सब्ज़ियां, दालें, दूध, अंडा और साबुत अनाज शामिल हों, सबसे सुरक्षित और फायदेमंद तरीका है. सप्लीमेंट सिर्फ जरूरत पर लेने चाहिए. यदि आपकी डाइट पर्याप्त नहीं है, या डॉक्टर ने टेस्ट कर कमी बताई है, तभी मल्टीविटामिन लें. बिना सलाह के लंबे समय तक सप्लीमेंट्स लेने से नुकसान ज़्यादा और फायदा कम हो सकता है.