
कभी देर रात तक पढ़ाई की हो, शिफ्ट में रातभर काम किया हो या फिर नेटफ्लिक्स की कोई वेब सीरीज देखकर पूरी रात जाग गए हों...ऐसा सबके साथ होता है. अगली सुबह सिर भारी लगता है, मूड खराब हो जाता है और दिमाग सुस्त हो जाता है. अब सोचिए, अगर हम पहले से थोड़ा ज्यादा सो लें तो क्या अगली बार कम सोकर काम चल सकता है?जवाब है हां. अगर किसी को पता है कि आने वाले दिनों में उसे प्रॉपर नींद नहीं मिल पाएगी तो वो उससे पहले लगातार 2–3 दिन तक 60 से 90 मिनट की एक्स्ट्रा नींद लेकर खुद को तैयार कर सकता है. इसी को कहते हैं “स्लीप बैंकिंग” यानी नींद को पहले से सेव कर लेना.
स्लीप बैंकिंग क्या है?
स्लीप बैंकिंग का मतलब है जब आपको पहले से पता हो कि आगे कुछ दिन कम नींद मिलेगी, तो उसके पहले कुछ दिन ज्यादा सो लेना. इसे आप ऐसे समझें जैसे सफर पर निकलने से पहले मोबाइल चार्ज कर लेते हैं, वैसे ही दिमाग को भी “चार्ज” कर लिया जाए. आप हमेशा के लिए नींद नहीं बचा सकते, लेकिन जब आपको पता हो कि नींद कम मिलेगी, तो पहले से ज्यादा सोने से नुकसान कम हो सकता है.”
स्लीप बैंकिंग के क्या फायदे हैं?
एकाग्रता बेहतर रहती है
निर्णय लेने की क्षमता बनी रहती है
मूड स्थिर रहता है
इम्यून सिस्टम पर असर कम पड़ता है
थकावट जल्दी नहीं आती
कैसे करें स्लीप बैंकिंग?
अगर आपको आने वाले दिनों में नींद की दिक्कत होने वाली है तो ये स्टेप्स अपनाएं:
पहले से प्लान करें- पहले से सोच लें कब नींद कम होने वाली है.
हर दिन 1 से 1.5 घंटे ज्यादा सोएं- 3 से 7 दिन पहले तक ऐसा करें. जल्दी सोएं या दिन में झपकी लें.
अच्छी नींद का माहौल बनाएं- कमरे में अंधेरा रखें, मोबाइल से दूरी बनाएं, हल्की चाय ले सकते हैं.
हर बार न करें- ये एक इमरजेंसी उपाय है, रोज की आदत न बनाएं.
क्या इसके नुकसान भी हो सकते हैं?
हां, अगर आप बार-बार नींद की बैंकिंग करने लगेंगे और नियमित नींद को नजरअंदाज करेंगे, तो आपके शरीर की जैविक घड़ी यानी सर्केडियन रिद्म गड़बड़ा सकती है. फिर आपको बिना सफर किए भी जेट लैग जैसा महसूस हो सकता है. स्लीप बैंकिंग सिर्फ शॉर्ट टर्म हल के तौर पर काम करती है, लेकिन लंबे समय के लिए रोज अच्छी नींद जरूरी है.”