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WORLD AIDS DAY 2022: AIDS और HIV से जुड़ी ये बातें हैं पूरी तरह से गलत, पढ़िए इससे जुड़े मिथक और फैक्ट्स  

AIDS DAY 2022: AIDS और HIV से जुड़ी कई सारे बातें ऐसी हैं जो पूरी तरह से गलत हैं. फिर चाहे वह एचआईवी छूने या चूमने से फैल सकता है वाली बात हो या फिर HIV को मतलब लोगों को AIDS लग रहा हो, पढ़िए इससे जुड़े सभी मिथक और फैक्ट...

Aids Aids
हाइलाइट्स
  • एचआईवी छूने या चूमने से नहीं फैल सकता है

  • लोग इस बीमारी के बारे में बात करने से बचते हैं

WORLD AIDS DAY 2022: ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (AIDS) एक वायरस है जो शरीर के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है. ये बीमारी शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलती है. एचआईवी एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम (AIDS) का कारण बन सकता है, जो एचआईवी इन्फेक्शन का तीसरा और आखिरी चरण है. हालांकि, समाज में एचआईवी और एड्स के बारे में कई गलत धारणाएं मौजूद हैं जो लोगों के भय और चिंता का कारण बनती हैं. इतना ही नहीं लोगों के अंदर इस बीमारी को लेकर शर्म भी है, जिसकी वजह से लोगों के इलाज में परेशानी आती है. लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि किसी को भी एचआईवी या किसी अन्य प्रकार की यौन संचारित बीमारी के लिए टेस्ट करवाने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए. हम यहां कुछ ऐसे ही मिथकों के बारे में बताने जा रहे हैं जो समाज में फैले हुई हैं.

1. मिथक: एचआईवी छूने या चूमने से फैल सकता है

फैक्ट: एचआईवी छूने से नहीं फैलता है. इसमें हाथ पकड़ना, गले मिलना/कडल करना और यहां तक ​​कि चुंबन भी शामिल है. एचआईवी शरीर से निकले फ्लूइड के संपर्क में आने से फैलता है. इसमें खून, स्तन का दूध,  प्रीसेमिनल फ्लूइड, रेक्टल म्यूकस, सीमेन, वैजाइनल फ्लूइड शामिल हैं. इसके अलावा एचआईवी इन्फेक्टेड ब्लड के साथ इस्तेमाल की गई सुइयों के माध्यम से भी फैल सकता है. 

2. मिथक: एचआईवी में आखिर स्टेज मौत है

फैक्ट: दशकों पहले जब एचआईवी का पहली बार अध्ययन किया जा रहा था तो इसका मतलब था कि मरीज पर के पास बहुत कम समय बचा है, लेकिन अब ऐसा नहीं है. एचआईवी एक वायरल इंफेक्शन है, जबकि यह वर्तमान में लाइलाज है, फिर भी अगर जल्दी पकड़ा जाए तो इसका अच्छी तरह से इलाज किया जा सकता है. आधुनिक एचआईवी उपचार अक्सर रोगियों को ठीक वैसे ही जीने में मदद कर सकते हैं जैसे एचआईवी के बिना लोग. 

3. मिथक: एचआईवी का मतलब होता है एड्स 

फैक्ट: एड्स एचआईवी इंफेक्शन का क्रॉनिक फॉर्म है. यह तब होता है जब एचआईवी का काफी समय तक इलाज नहीं किया जाता है. जरूरी नहीं कि एचआईवी से पीड़ित लोगों को एड्स हो, खासकर अगर वे अपना इलाज जारी रखते हैं.

4. मिथक: एचआईवी के लक्षण दिखते हैं 

फैक्ट: हो सकता है कि आपको एचआईवी हो और आपको इसकी जानकारी न हो. एचआईवी के लक्षण प्रकट होने में समय लेते हैं या फिर कई बार ऐसा हो सकता है कि ये दिखाई भी ना दें. एचआईवी इंफेक्शन के तीन चरण होते हैं. पहले चरण में बुखार और थकान जैसे शुरुआती वायरस के लक्षण शामिल होते हैं जो फ्लू से मिलते जुलते होते हैं. हालांकि, कुछ लोग इन लक्षणों का अनुभव नहीं करते हैं, या उन्हें केवल हल्के लक्षण दिख सकते हैं. दूसरे चरण में अक्सर लक्षणों का अभाव होता है, और यह वर्षों तक बना रह सकता है. एड्स तीसरा चरण है, और अक्सर लोग जिन लक्षणों को एचआईवी से संबंधित मानते हैं, वे वास्तव में ऐसे लक्षण होते हैं जो एड्स-इम्यून सिस्टम से समझौता करने के परिणामस्वरूप होते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि एचआईवी का सही समय पर टेस्ट होना जरूरी होता है. 

5. मिथक: एचआईवी पॉजिटिव लोगों के बच्चे नहीं हो सकते

फैक्ट: एचआईवी पॉजिटिव लोगों को बच्चा करने में कोई परेशानी नहीं होती है. उन्हें बच्चे हो सकते हैं, लेकिन इस दौरान ये खतरा रहता है की कि बच्चों में एचआईवी चला जाए. इसीलिए गर्भावस्था के दौरान एंटीरेट्रोवायरल दवा के साथ इलाज किया जाना या सी-सेक्शन से डिलीवरी होना जरूरी है. 

6. मिथक: बर्थ कंट्रोल से एचआईवी के खिलाफ सुरक्षा मिलती है 

फैक्ट: ज्यादातर कॉन्ट्रासेप्शन एचआईवी से बचाव नहीं करते हैं. बर्थ कंट्रोल का एकमात्र रूप जो एचआईवी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकता है वह है कॉन्ट्रासेप्टिवगर्भ. इसमें मेल कॉन्डम, फीमेल कॉन्डम या डेंटल डैम शामिल हैं.