
आप ने अभी तक रामायण को हमेशा ही उर्दू या हिंदी भाषा में लिखा देखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से 103 साल पहले रामायण को उर्दू भाषा में भी लिखा गया था. जिसे 1919 में लाहौर में प्रकाशित किया गया था. इस रामायण की एक कॉपी को मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) ने डिजिटाइज़ कर दिया है, यानी अब ये ऑनलाइन मिल सकती है.
जल्द विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर होगी रामायण
टाइम्स को लाइब्रेरियन और प्रोफेसर जेए सिद्दीकी ने कहा, "यह चार से पांच दिनों के अंदर विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा."
यह पुस्तक लाहौर से सरधना के रास्ते सीसीएसयू के राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय पहुंची, जिसे आज मेरठ विश्वविद्यालय भी कहा जाता है. इसका उर्दू में अनुवाद 103 साल पहले महात्मा शिवब्रत लाल ने किया था.
नसीरुद्दीन शाह के एक रिश्तेदार के पास थी किताब
सिद्दीकी ने छह साल पहले मेरठ के सरधना के रहने वाले मुकर्रम अली से विश्वविद्यालय के लिए किताब खरीदी थी. सिद्दीकी बताते हैं कि, "उर्दू रामायण एक बहुत ही दुर्लभ किताब है. मैंने इसे प्रसिद्ध अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के एक रिश्तेदार मुकर्रम अली से पुस्तकालय के लिए लिया था. मैं लगभग सात साल पहले अली के घर गया था और उसके संग्रह में देखा था. उन्होंने मुझे बताया कि यह 60 साल से भी पहले एक दोस्त ने उन्हें उपहार में दिया गया था. वो शुरुआत में इसे किसी को भी नहीं देना चाहते थे."
नाजुक हालत में है किताब
प्रोफेसर बताते है कि "उनके घर जब मैं दूसरी बार गया तो मैंने फिर से उनसे राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय में रखने के लिए किताब मांगी. वो आखिरकार मेरी बात से सहमत हो गए और आखिरकार सहमत हो गया और पुस्तकालय को अनमोल उर्दू रामायण भेंट कर दी. क्योंकि ये बहुत पुरानी है इसलिए इस किताब के पन्ने बहुत नाजुक हालत में हैं. इसलिए हमने इसे सुरक्षित रखा है. हम पुस्तक को बहुत सावधानी से खोलते हैं ताकि नुकसान से बचें."
उर्दू रामायण लाहौर में सदी पहले प्रकाशित हुई थी
यह पुस्तक न केवल अपनी प्राचीनता और भाषा के लिए बल्कि इसकी विशालता के लिए भी जानी जाती है. इसमें राम और उनके दरबार के चित्रों के साथ 1,000 से अधिक पन्ने हैं. डिजिटाइजेशन टीम का हिस्सा कैटलॉगर विजय लक्ष्मी ने कहा, “हमने उर्दू रामायण को डिजिटाइज़ किया ताकि लोग इसे ऑनलाइन एक्सेस कर सकें. हम भविष्य में उपलब्ध सीडी पर इसकी सॉफ्ट कॉपी बनाने का भी प्रयास करेंगे."
सिद्दीकी ने गर्व के साथ कहा, "शायद देश के किसी दूसरे विश्वविद्यालय में उर्दू में रामायण की इतनी पुरानी कॉपी नहीं है. सीसीएसयू पुस्तकालय में उर्दू में भगवद् गीता की भी एक कॉपी है."