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26/11 अटैक: रेलवे के उस अनाउंसर की कहानी, जिसने बचाई थी सैकड़ों जिंदगियां, ओबामा भी हुए थे मुरीद

मुंबई के छत्रपति शिवजी टर्मिनस स्टेशन के एक रेलवे अनाउंसर का नाम न सिर्फ मुंबई के लोग बल्कि अमेरिका के पूर्व-राष्ट्रपति बराक ओबामा भी जानते हैं. ये रेलवे अनाउंसर हैं विष्णु दत्ताराम जेंडे. विष्णु को 26/11 हमलों के दौरान उनकी सूझ-बूझ और बहादुरी दिखाने के लिए जाना जाता है. क्योंकि उन्होंने उस दिन सैकड़ों लोगों की जान बचाई थी.

विष्णु जेंडे विष्णु जेंडे
हाइलाइट्स
  • छत्रपति शिवजी टर्मिनस स्टेशन पर रेलवे अनाउंसर थे विष्णु

  • कसाब ने उनकी तरफ भी की थी फायरिंग

अगर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो थोड़ी-थोड़ी देर में होने वाली अनाउंसमेंट आपके लिए आम बात होगी. कई बार हम अनाउंसमेंट को ध्यान से सुनते भी नहीं है. लेकिन बहुत से लोगों को ये अनाउंसमेंट ही उनके सही प्लेटफॉर्म, ट्रेन तक पहुंचाती हैं. 

रेलवे यात्रियों के लिए ट्रेन के चलने-आने के समय की अनाउंसमेंट उनके सफर को थोड़ा आसान बना देती है. लेकिन इन अनाउंसमेंट को करने वाले रेलवे अनाउंसर अक्सर अनदेखे और बेनाम ही रहते हैं. शायद ही आप अपने किसी रेलवे अनाउंसर का नाम जानते हों. 

लेकिन मुंबई के छत्रपति शिवजी टर्मिनस स्टेशन के एक रेलवे अनाउंसर का नाम न सिर्फ मुंबई के लोग बल्कि अमेरिका के पूर्व-राष्ट्रपति बराक ओबामा भी जानते हैं. ये रेलवे अनाउंसर हैं विष्णु दत्ताराम जेंडे. विष्णु को 26/11 हमलों के दौरान उनकी सूझ-बूझ और बहादुरी दिखाने के लिए जाना जाता है. 

अनाउंसमेंट कर बचाई सैकड़ों लोगों की जान:  

26 नवंबर 2008 को जब आतंकी अजमल कसाब और उसके साथी स्टेशन पर पहुंचकर तबाही मचा रहे थे. तब विष्णु अपनी शाम की शिफ्ट में काम कर रहे थे. उनकी शिफ्ट खत्म होने में मुश्किल से एक घंटा बचा हुआ था कि अचानक उन्होंने एक धमाके की आवाज सुनी.

आवाज सुनकर वह समझ गए कि कुछ गड़बड़ है और उन्होंने तुरंत माइक पर घोषणा करके रेलवे प्रोटेक्शन फाॅर्स और गवर्नमेंट रेलवे पुलिस को चेक करने के लिए कहा. विष्णु समझने की कोशिश ही कर रहे थे कि आखिर क्या हुआ? इतने में ही उन्होंने अजमल कसाब और उनके साथी को हथियारों के साथ स्टेशन पर देखा.

उन्हें समझते देर नहीं लगी कि यह एक आतंकी हमला है. अक्सर लोग इस तरह के हालात में गहरा जाते हैं और कुछ कर नहीं पाते. लेकिन विष्णु का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों के लिए आपको कोई तैयार नहीं करता है. आपको तुरंत एक्शन लेना होता है. 

और विष्णु ने वही किया जो वह हमेशा से करते आ रहे थे. उन्होंने माइक पर लोगों को हमले की जानकारी देकर जल्द से जल्द स्टेशन खाली करने के लिए कहा. वह लगातार हिंदी और मराठी में लोगों के लिए घोषणा करते रहे कि वे मेन गेट से बाहर निकल जाएं और अपनी जान बचाएं.

कसाब ने उन पर भी चलाई थीं गोलियां: 

उस समय एक सबअर्बन ट्रेन भी स्टेशन पर पहुंच रही थी. लेकिन विष्णु ने सबको आगाह कर दिया. विष्णु फर्स्ट फ्लोर पर अपने केबिन से अनाउंसमेंट कर रहे थे. थोड़ी देर में कसाब और उनके साथियों की नजर आखिरकार विष्णु और उनके केबिन में उनके साथ मौजूद सहकर्मियों पर पड़ी. 

उनका कहना है कि कसाब ने हाथ के इशारे से उन्हें बाहर आने के लिए कहा था. लेकिन जब वे नहीं आए तो कसाब ने उनके केबिन की तरफ फायर किया. विष्णु और उनके साथी तुरंत डेस्क के नीचे छिप गए और गोलियों से उनके केबिन का शीशा टूट गया. 

इसके बाद उन्होंने देखा कि कसाब और उसका साथी स्टेशन से बाहर निकल गए हैं. ऐसे में विष्णु तुरंत बाहर आए और उन्होंने पाया कि स्टेशन परिसर में बहुत से लोग घायल पड़े हैं तो कुछ की जान जा चुकी थी. उन्होंने तुरंत इन लोगों की मदद के लिए स्टेशन पर मौजूद स्टाफ को बुलाया और लोगों को अस्पताल पहुंचाने लगे. 

उस दिन पूरी रात विष्णु घर नहीं गए. न ही उनके परिवार को यह पता था कि वह जीवित भी हैं या नहीं. दूसरे दिन वह अपने घर पहुंचे.

बराक ओबामा ने मिलाया हाथ: 

यह तो नहीं गिना जा सकता कि उस दिन विष्णु की सूझ-बूझ ने कितनी जिंदगियां बचाई. लेकिन सब कुछ सामान्य होने के बाद विष्णु जब रेलवे स्टेशन पर अपनी शिफ्ट के लिए पहुंचे तो बहुत से लोग उनका धन्यवाद करने आए थे. कई दिनों तक लोग उनके बारे में पूछने और उन्हें या उनके अपनों को बचाने के लिए शुक्रिया कहने आते रहे. 

उस दिन सैकड़ों लोगों की जान सिर्फ इस रेलवे अनाउंसर की वजह से बच पाई. विष्णु को उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार राशि से सम्मानित किया गया था. 

इसके बाद, अपने दौरे के समय अमेरिका के पूर्व-राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी मुंबई पहुंचकर विष्णु से हाथ मिलाया था. उन्हें रेलवे गार्ड की पोस्ट पर भी प्रोमोशन मिला. उनका कहना है कि इस घटना के बाद उनके दिल से डर खत्म हो गया है.