
देहरादून में दोस्ती की एक ऐसी मिसाल देखने को मिली है. जिसे देख हर कोई तारीफ करेगा. यहां 2013 में एक स्कूल में 6 छात्रों की ऐसी दोस्ती हुई. उस दोस्ती की गांठ ऐसी बंधी कि वह आज सभी एकसाथ सैनिक बन गए है.
कहां से हुआ सफर शुरू?
उनकी दोस्ती का सफर कक्षा 6 से शुरू हुआ था. जब 2013 में वह एक-दूसरे के संपर्क में आए. यह मुलाकात इम्फाल के सैनिक स्कूल में हुई. और उनकी दोस्ती ऐसी चली कि वह सभी शनिवार को इंडियन मिलिट्री एकेडमी से आर्मी अफसर बन कर निकले.
दोस्ती का गहराई
2021 में सभी 6 दोस्तों ने एनडीए और आईएमए की प्रतियोगिता परीक्षा पास की. साथ ही ट्रेनिंग भी पूरी की. इन दोस्तों के नाम हैं, थोकचोम शिगर्थ-एम डेनिश सिंह-नाओटन मेटाई-नाओबा मेघनत सोईबम और रोनेनड्रो अनगोम.
बढ़ा भाईचारा
जहां पहले ये केवल दोस्त हुआ करते थे. अब वह भारतीय सेना का हिस्सा है. साथ ही अब उनका भाईचारा और गहरा हो गया है. अब वह कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं.
क्या है दोस्तों का बैकग्राउंड
अकसर लोग कहते हैं कि सेना में ज्यादातर वह जाते हैं जिनका फैमिली बैकग्राउंड सेना से जुड़ा हुआ हो. लेकिन बता दें कि इन सभी ने इस धारना को तोड़ा है. इनका फैमिली बैकग्राउंड आम भारतीय मिडिल क्लास है. जहां किसी की दुकान है, तो कोई खेतीबाड़ी करता है.
बचपन की यादें
जहां बचपन में सभी एक साथ खेला करते थे. उन्होंने एनडीए में कर एक साथ मॉक ड्रिल किए. हॉस्टल में रहे. ग्राउंड में लड़ाइयां हुईं. जिसमें सब एक साथ रहे. यानी कुल मिलाकर बचपन से लेकर सैनिक बनने तक उन सबका सफर एक ही पटरी पर चलता है.
किस्मत ने पलटे रास्ते
किस्मत हमेशा एक जैसी नहीं रहती. बेशक बचपन से सभी दोस्त साथ रहे. एनडीए से एक साथ पास आउट हुए. लेकिन अब किस्मत उनके साथ एक खेल रही है. अब उन्हें किन्हीं कारणों के चलते अलग-अलग रेजिमेंट का हाथ थामना पड़ रहा है.