Sheena Rani
Sheena Rani Agni-5 Missile Launching Sheena Rani: भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटल टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 (Agni-5) मिसाइल का सफल परीक्षण कर एक बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है. इस पूरे प्रोजेक्ट को Defence Research and Development Organisation (DRDO) की महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने लीड किया. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बधाई दे चुके हैं.
पीएम मोदी (PM Modi) ने पूरे मिशन को 'मिशन दिव्यास्त्र' का नाम दिया था. इसके साथ ही शीना रानी की चर्चा अब 'दिव्य पुत्री' के रूप में होने लगी है. शीना रानी (Sheena Rani) पावरहाउस ऑफ एनर्जी और मिसाइल रानी के नाम से भी मशहूर हैं. आइए आज इस महिला वैज्ञानिक के बारे में जानते हैं.
कौन हैं शीना रानी
केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में शीना रानी का जन्म हुआ था. जब वह 10वीं कक्षा में थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया. शीना कंप्यूटर साइंस में विशेषज्ञता के साथ एक ट्रेंड इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियर हैं. वह तिरुवनंतपुरम के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री हासिल की हैं. भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा से शीना के प्रेरणा रहे हैं. वह डॉ. कलाम के करियर पाथ को भी फॉलो करती हैं.
1999 में डीआरडीओ में हुईं थी शामिल
शीना ने भी डॉ. कलाम की तरह अपना करियर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) में शुरू किया. उन्होंने यहां पर आठ सालों तक काम किया. शीना 1998 में राजस्थान में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद इंटीग्रेटेड मिसाइल प्रोग्राम को लीड करने के लिए 1999 में डीआरडीओ में शामिल हो गईं. शीना रानी के लिए मिसाइल टेक्नोलॉजिस्ट डॉ. अविनाश चंदर भी प्रेरणास्त्रोत रहे हैं. डॉ.चंदर ने शीना रानी को हमेशा मुस्कुराने वाली, कुछ नया करने को तैयार रहने वाली और अग्नि मिसाइल प्रोग्राम के प्रति उनका समर्पण शानदार बताया.
शीना की टीम में कई महिला वैज्ञानिक हैं शामिल
57 साल की शीना रानी हैदराबाद में DRDO की हाईटेक लैब में साइंटिस्ट हैं. वह साल 1999 से अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों के लॉन्च कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रही हैं. कई अग्नि वेरिएंट मिसाइल कार्यक्रम के तहत विकसित किए गए हैं और उन्हें सेना में शामिल किया गया है. नई एमआईआरवी तकनीक को शीना रानी का गौरव माना जाता है.
ऐसा इसलिए कि उन्होंने अपनी डीआरडीओ टीम के साथ इसे विकसित करने में अपना दिल और आत्मा लगा दी थी. उनकी टीम में कई महिला वैज्ञानिक भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि मुझे अग्नि मिसाइल कार्यक्रम का हिस्सा होने पर वास्तव में गर्व है क्योंकि मिसाइलें देश की सीमाओं की रक्षा कर रही हैं. शीना को 2016 में साइंटिस्ट ऑफ द ईयर का अवार्ड मिला था. शीना के पति पीएसआरएस शास्त्री ने भी डीआरडीओ के साथ मिसाइल विकसित करने का काम किया है.
5000 किलोमीटर से ज्यादा है अग्नि-5 मिसाइल की रेंज
वैज्ञानिक एम. नटराजन ने 2007 में पहली बार अग्नि-5 मिसाइल बनाने के बारे में योजना बनाई थी. 19 अप्रैल 2012 को अग्नि-5 मिसाइल का पहला सफल परीक्षण हुआ था. 11 मार्च 2024 को इसे MIRV टेक्नोलॉजी के साथ टेस्ट किया गया गया. इस मिसाइल की रेंज 5000 किलोमीटर से ज्यादा है. इसकी जद में चीन, पाकिस्तान से लेकर यूरोप और अफ्रीका कई देश आ जाएंगे.
शायद इसलिए अग्नि-5 मिसाइल को पीएम मोदी ने मिशन दिव्यास्त्र कहा है. अग्नि-5 मिसाइल का वजन 50 टन है जोकि 1.5 टन तक नयूक्लियर वॉरहेड ढोने में सक्षम है. यह 15 सौ किलोग्राम वजनी हथियार ले जाने में सक्षम है. अग्नि-5 मिसाइल 29,401 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करती है. ये एक बार में कई अलग-अलग टारगेट को ध्वस्त कर पाने में सक्षम है.