
एयरबस A-340 विमान पहली बार अंटार्कटिका की बर्फ पर उतरा. पर्यटन के क्षेत्र में काम करने वाले एक कंपनी समूह ने एयरबस A-340 को अंटार्कटिका में सुरक्षित लैंड कराने का इतिहास रचा है. Hi Fly नाम की एक एविएशन कंपनी ने इस फ्लाइट को अंजाम दिया. हाय फ्लाई 801 ने मंगलवार, 2 नवंबर को केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका से उड़ान भरी थी.
विमान को दुनिया के सबसे दक्षिणी महाद्वीप पर एक नए अपस्केल एडवेंचर कैंप, वुल्फ्स फेंग द्वारा कमीशन किया गया था. वुल्फ्स फेंग हाई-एंड अंटार्कटिका पर्यटन कंपनी व्हाइट डेजर्ट की एक नई परियोजना है. हाय फ्लाई 801 के चालक दल का नेतृत्व कैप्टन कार्लोस मीरपुरी ने किया, जो हाय फ्लाई के उपाध्यक्ष भी हैं.
टीम ने जमीन पर बिताया केवल तीन घंटे का समय
हर उड़ान में साढ़े पांच घंटे लगते थे और टीम ने अंटार्कटिका में 2,500 समुद्री मील की दूरी तय करते हुए जमीन पर तीन घंटे से भी कम समय बिताया. तकनीकी रूप से एक हवाईअड्डा नहीं होने के बावजूद, वुल्फ्स फेंग संपत्ति पर ब्लू-आइस रनवे को सी लेवल एयरपोर्ट नामित किया गया है. इसका मतलब है कि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के कारण केवल अत्यधिक विशिष्ट चालक (Highly Specialized Driver)दल ही वहां उड़ान भर सकते हैं.
लंबे समय से चल रहे थे ट्रायल
अंटार्कटिका में सालभर बर्फ की कई मीटर ऊंची परत जमी रहती है. बर्फ पर ही रनवे बनाया गया है, जो 3000 फीट लंबा है. 290 यात्री क्षमता वाले 223 फीट लंबे विमान को लैंड करने से पहले यहां 2019 से 2020 के बीच करीब 6 ट्रायल किए गए थे.
हालांकि यहां पड़ी नीली बर्फ बहुत खूबसूरत है, लेकिन इसकी चकाचौंध के कारण यह पायलटों के लिए भी चिंता का विषय है. कैप्टन कार्लोस मीरपुरी ने बताया कि यहां रिफलेस्शन जबरदस्त है और आईवियर आपको बाहरी दृश्य और इंस्ट्रूमेंटेशन के बीच अपनी आंखों को एडजस्ट करने में मदद करता है.
अंटार्कटिका में कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है कंपनी
Hi Fly ने बताया कि अंटार्कटिका उभरता हुआ पर्यटन क्षेत्र है. इसलिए कंपनी यहां कई अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है. यह कंपनी वेट लीज में विशेषज्ञता रखती है. इसका मतलब यह है कि वे एयरक्राफ्ट और एयर क्रू को किराए पर लेती हैं और इंश्योरेंस, मेंटेनेंस और बाकी लॉजिस्टिक्स की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही रहती है.
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