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भारत-चीन सीमा से लगे गांवों में होंगी सभी सुविधाएं! घोस्ट विलेज अब बनेंगे वाइब्रेंट विलेज, जानें क्या है सरकार का मेगा प्लान 

भारत-चीन से सटे गांवों में अब हर तरह की सुविधाएं दी जाएगी ताकि यहां आबादी बसाई जा सके और लोग पलायन न करें. एलएसी पर कई ऐसे गांव हैं जहां कोई नहीं रहता है. इन्हीं गांवों में आबादी बसाने के लिए सरकार ने वाइब्रेंट विलेज नाम का एक प्लान बनाया है.

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हाइलाइट्स
  • पलायन रोकना भी है उद्देश्य 

  • बॉर्डर के गांव के लोग स्ट्रैटेजिक एसेट्स हैं 

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के नजदीक सैंकड़ों की संख्या में गांव बसे हैं, जहां कोई नहीं रहता है. इन गांवों को जीवंत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक मेगा प्लान तैयार किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत-चीन सीमा के नजदीक ऐसे 500 से 600 गांव है जहां कोई नहीं रहता है. इन गांवों में साल में सिर्फ एक बार अपने कुल देवता की पूजा करने के लिए यहां के ग्रामवासी जाते हैं. पर अब ये गांव जी उठेंगे.   केंद्र सरकार इन गांवों को वाइब्रेंट विलेज बनाने के लिए कई राउंड की बैठक कर चुकी है. साथ ही इस साल के बजट में भी इन गांव को वाइब्रेंट विलेज बनाने के लिए भारी भरकम बजट की घोषणा भी की जा चुकी है.

गांवों में होंगी सभी सुविधाएं

सूत्रों ने बताया है कि चीन सीमा से लगने वाले इन घोस्ट विलेज में वो सारी सुविधाएं होंगी जो शहरों के घरों में रहती हैं. साथ ही यहां रहने वालों को यहीं आसपास नौकरियां दी जाएंगी जिससे इनका पलायन न हो. जानकारी के मुताबिक चीन सीमा से लगने वाले करीब 100 गांवों को वाइब्रेंट विलेज बनाने का मेगा प्लान है. यही नहीं उत्तराखंड के बॉर्डर के नजदीक 115 से ज्यादा विलेज को आधुनिक गांव बनाना भी इसमें शामिल है. उत्तराखंड में तो कुछ जगहों पर जैसे, जाडुंग, नेलांग और मलारी में वाइब्रेंट विलेज के प्रोजेक्ट के तहत शुरुआती रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है.

सरकार के सूत्रों ने बताया है कि भारत चीन सीमा के नजदीक हिमाचल के करीब 80 गांवों को वाइब्रेंट विलेज की तहत डेवेलप करना है. इसके साथ ही सिक्किम बॉर्डर के 50 तो अरुणांचल बॉर्डर के नजदीक 80 से 120 गांव जो घोस्ट विलेज बन चुके थे, उनको विकसित किया जाएगा. 

क्या है वाइब्रेंट विलेज का सरकारी प्लान?

दरअसल, समय-समय पर ऐसी खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट इमेज आती रहती हैं कि चीन बॉर्डर एरिया पर अपने इलाके में नए नए गांव बसा रहा है और वो इन गांवों का इस्तेमाल बॉर्डर पर निगरानी करने और लोगों पर नजर रखने के लिए कर सकता है. सूत्रों ने बताया है कि चीन के इस प्लान को जवाब देने के लिए ही हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने मेगा प्लान तैयार किया है. 

पलायन रोकना भी है उद्देश्य 

इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का ऐलान किया है. योजना का उद्देश्य उत्तरी भारत के सीमा पर बसे गांवों का विकास करना है. जाहिर है सरकार वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के जरिए चीन की सीमा पर बसे भारतीय गांवों का विकसित करेगी. वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा था कि बेहद कम आबादी वाले बॉर्डर के गांव सीमित संपर्क और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से  विकास से दूर रह जाते हैं. उत्तरी सीमा पर बसे ऐसे गांवों को नए वाइब्रेंट गांव कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाएगा. 

साफ है कि वित्त मंत्री का मकसद लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत के अरूणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से सटे गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कर इन क्षेत्रों से पलायन को रोकना है. सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत चीन सरहद के नजदीक बनाये जाने वाले इन गांवों के लोगों को गांव के नजदीक एम्प्लॉयमेंट और वो तमाम सुविधाओं से लैस किया जाएगा जिससे रोजगार की तलाश में ये लोग बाहर न जाए.

बॉर्डर के गांव के लोग स्ट्रैटेजिक एसेट्स हैं 

तत्कालीन गृह मंत्री और अब के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपन कई भाषणों में इस बात पर जोर देते दिख जाते हैं कि सीमा पर बसे हुए लोग और गांव देश के लिए स्ट्रैटिजिक एसेट्स है. हालांकि, उन गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते वहां लोगों के पलायन कर रहे हैं. लेकिन उन्हें गांव में ही रोकने की कवायद भी लगातार  जारी है. पलायन एक बड़ी समस्या है क्योंकि पलायन होने से न केवल गांव खाली हो जाते हैं, बल्कि सेना को भी कई चुनौती का सामना करना पड़ता है. इन इलाकों में आबादी का होना काफी अहम है. क्योंकि स्थानीय लोग न केवल सीमा पार की गतिविधियों पर नजर रखते हैं बल्कि कई अहम जानकारियां भी सेना को मुहैया कराते हैं.

अपने बॉर्डर के गांवों में डिफेंस स्ट्रक्चर क्यों बना रहा है चीन?

हाल ही में ऐसी कई रिपोर्ट्स आई है कि चीन बॉर्डर से सटे अपने गांवों में डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में जुटा है. यही नहीं बल्कि चीन इन बॉर्डर के गांव मे रहने वाले निवासियों को अन-आर्म्ड लड़ाई के गुर भी सिखा रहा है. सूत्रों की मानें तो भारत-चीन सरहद के नजदीक चीन अपने 500 से 600 गांवों को बॉर्डर के नजदीक दुबारा बसाकर उनको मजबूत करने में लगा हुआ है. चीन सरहद के जिन 500 से 600 गांव को दुबारा से बसा रहा है उन गांवों में आधुनिक व्यवस्था तो दे ही रहा है, साथ ही इस इलाके में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपनी डिफेंस पोस्ट, डिफेंस टावर भी मजबूत कर रहा है. 

यही नहीं चीन ने भारत की सरहद के नजदीक मौजूद अपने इन सभी गांवों को 2022 के अंत तक तिब्बत में मौजूद शहरों से हाईवे के जरिये जोड़ने का प्लान तैयार किया है. सूत्रों के मुताबिक चीन इस तरीके से  सरहद के नजदीक अपने गांवों मे स्ट्रैटेजिक पोजिशन को मजबूत करने के लिए डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहा है. साथ ही यहां पर अपनी डिफेंस और ह्यूमन  इंटेलिजेंस को मजबूत करने के लिए इन गांवों का आधुनिकीकरण कर रहा है. सूत्रों की मानें तो चीन का गांव बसाने के पीछे का मकसद तिब्बत और बाकी दुनिया के बीच एक ऐसा 'सुरक्षा बैरियर' बनाना है जो अभेद्य किले की तरह हो. 

चीनी राष्‍ट्रपति के निर्देश पर चीन ने वर्ष 2017 से ही तिब्‍बत सीमा पर 500 से 600 अत्‍याधुनिक बॉर्डर डिफेंस विलेज बसाना शुरू कर दिया था. अक्‍टूबर 2019 में चीन ने सीमा पर गांवों के निर्माण को तेज करने का ऐलान किया था. जिसको इस साल के अंत तक पूरा करने की बड़ी योजना चीन ने बनाई है.