scorecardresearch

Explainer: 7 राज्यों से गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे पर होगा एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, आपातकाल के लिए होंगे 25 हेलिपैड

ये एक्सप्रेसवे देश का दूसरा सिक्स लेन एक्सप्रेस वे है. इतना ही नहीं इस पर इंटरचेंज या वे साइट के पास हेलिपैड बनाए जाएंगे, जिसके लिए एनएचएआई ने 20 से 25 साइट चिह्नित की हैं. बता दें कि अकेले राजस्थान से ही 14 साइटें चिन्हित की गई हैं, इसके लिए जमीन भी छोड़ी गई है.

7 राज्यों से गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे पर होगा एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम 7 राज्यों से गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे पर होगा एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
हाइलाइट्स
  • गुड्स का निर्यात करेगा एक्सप्रेसवे

  • लगभग 25 हैलिपैड बनाए जाएंगे

साल 2021 में बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे का निर्माण वित्तीय वर्ष में अप्रैल 2021 से शुरू हो जाएगा. आज ये एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हो गया है. ये देश के सबसे लंबे इकॉनोमिक कॉरिडोर में से एक है. यह एक्सप्रेसवे रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बठिंडा, बाड़मेर (पचपदरा) और जामनगर की तीन बड़ी रिफाइनरियों को जोड़ेगा. 

गुड्स का निर्यात करेगा एक्सप्रेसवे
यह एक्सप्रेसवे अमृतसर और जामनगर के बीच की दूरी को पहले के 1,430 किमी से घटाकर 1,316 किमी कर देगा. यह अमृतसर-जामनगर इकोनामिक कॉरिडोर का एक हिस्सा है और पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को रोड से कनेक्ट करेगा तो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख के गुड्स का निर्यात सीधे होगा. भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत पश्चिमी सीमा के पास बन रहे इस कॉरिडोर का सबसे बड़ा हिस्सा 636 किमी राजस्थान से होकर गुजर रहा है. 

लगभग 25 हैलिपैड बनाए जाएंगे
ये एक्सप्रेसवे देश का दूसरा सिक्स लेन एक्सप्रेस वे है. इतना ही नहीं इस पर इंटरचेंज या वे साइट के पास हेलिपैड बनाए जाएंगे, जिसके लिए एनएचएआई ने 20 से 25 साइट चिह्नित की हैं. बता दें कि अकेले राजस्थान से ही 14 साइटें चिन्हित की गई हैं, इसके लिए जमीन भी छोड़ी गई है. अब ये प्रस्ताव जैसे ही एनएचएआई मुख्यालय से पास होगा, वैसे ही हेलिपैड का निर्माण शुरू हो जाएगा. सूत्रों के मुताबिक अमृतसर जामनगर इकॉनोमिक कॉरिडोर 2025 तक शुरू हो जाएगा.

मरीजों को एयर लिफ्ट किया जा सकेगा
इस एक्सप्रेसवे पर हेलिपैड भी बनाया जाएगा. इस हेलिपैड का इस्तेमाल इमरजेंसी के दौरान किया जाएगा. जैसे की गंभीर मरीजों को एयरलिफ्ट करना. यहां तक की जरूरत पड़ने पर सेना भी इसका उपयोग ले पाएगी. गंभीर मरीजों के लिए इन स्थानों पर ट्रॉमा सेंटर बनाए जा रहे है. राजस्थान में इसकी संख्या 16 से ज्यादा है.

48 घंटे से कम हो जाएगा सेना का रिस्पांस टाइम 
ये पश्चिमी बॉर्डर के बड़े मिलिट्री स्टेशनों को कनेक्ट करेगा. जिससे ऑपरेशन पराक्रम जैसी स्थिति में बॉर्डर तक जाने में सेना का रिस्पांस टाइम 48 घंटे से कम हो जाएगा. ये बॉर्डर के पास बने भारतमाला प्रोजेक्ट को टू लेन से जोड़ेगा, जिससे मूवमेंट में तेजी आएगी. इस एक्सप्रेस वे के बनने से सात राज्यों का निर्यात आसान होगा.

एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से लैस होगा एक्सप्रेसवे
वैसे तो इस एक्सप्रेस पर गाड़ियों का रफ्तार काफी तेज रहती है. जिस कारण हादसे होने संभावना बनी रहती है. लेकिन इस एक्सप्रेस की खासियत है कि इसमें एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लगाया जा रहा है. मात्र 1224 किमी की दूरी में 6 से 7 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. साथ ही वाहनों की निर्धारित स्पीड 100 किमी प्रति घंटा से ज्यादा होते ही ये आगाह करेगा.