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चुनावी रैलियों पर 31 जनवरी तक पाबंदी, कोरोना के हालात देखते हुए चुनाव आयोग का बड़ा फैसला

आयोग ने बाकी सभी इलाकों में घर-घर जाकर प्रचार कर रही राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के समर्थकों की टीम में कार्यकर्ताओं की संख्या दोगुनी कर दी है. अब इनमें पांच की जगह दस कार्यकर्ताओं की टोली को इजाजत मिली है. 

रैलियों पर पाबंदी हफ्ते भर बढ़ने के आसार रैलियों पर पाबंदी हफ्ते भर बढ़ने के आसार
हाइलाइट्स
  • राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के समर्थकों की टीम में कार्यकर्ताओं की संख्या दोगुनी की

  • शनिवार को निर्वाचन आयोग की मीटिंग के बाद चुनावी रैलियों पर 31 जनवरी तक पाबंदी लगायी गयी.

पांच राज्यों में चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनावी मैदान में उतरने वाली राजनैतिक पार्टियां कोविड प्रोटोकॉल के बीच चुनाव जीतने के लिए प्रचार कर रही हैं. मगर चुनाव प्रचार के लिए रैलियों, जुलूस-जलसे, सभाओं में फिलहाल छूट मिलने के आसार नहीं हैं. भारत निर्वाचन आयोग ने शारीरिक रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध 31 जनवरी, 2022 तक बढ़ा दिया है।निर्वाचन आयोग चाहता है कि अभी टीकाकरण का आंकड़ा और मजबूत हो.  

पांच चुनावी राज्यों में रैलियों, पदयात्राओं, जुलूस जलसे, वाहन रैली आदि भीड़ भाड़ वाले बड़े आयोजनों पर पाबंदी 31 जनवरी तक बढ़ी.  चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि पहले और दूसरे चरण में मतदान वाले इलाकों में क्रमश: 28 जनवरी और पहली फरवरी से छोटी जनसभा करने की छूट होगी लेकिन तय जगह और संख्या में. आयोग ने बाकी सभी इलाकों में घर-घर जाकर प्रचार कर रही राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के समर्थकों की टीम में कार्यकर्ताओं की संख्या दोगुनी कर दी है. अब इनमें पांच की जगह दस कार्यकर्ताओं की टोली को  इजाजत मिली है. 

वीडियो वैन के जरिए डिजिटल प्रचार के लिए वैन को तय खुले स्थानों पर ही खड़ी करने की इजाजत होगी. वहां लोग भी शारीरिक और सामाजिक दूरी का पालन करेंगे. पहले और दूसरे चरण में मतदान वाले क्षेत्रों में नियत जगह पर अनुमति के साथ होने वाली चुनावी सभाओं में आने वाले लोगों की संख्या 300 से बढ़ा कर 500 या फिर पूरी क्षमता से आधी, इनमें से जो भी कम हो उसका पालन करना होगा. पहले चरण में मतदान वाले इलाकों में 28 जनवरी से आठ फरवरी को प्रचार बंद होने तक नियमानुसार तय जगहों पर पूर्व अनुमति से सभाएं की जा सकती हैं. 

दूसरे चरण के लिए ये अवधि एक फरवरी से 12 फरवरी होगी. वीडीओ वैन भी तय की गई खुली जगहों पर लगाई जाएंगी और वहां भी क्षमता से आधे या अधिकतम पांच सौ दर्शकों को पूरे कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जमा होने की इजाजत होगी. उचित समय पर निर्वाचन आयोग इसकी समीक्षा करेगा.  संभवत: आयोग अब फरवरी के पहले हफ्ते में हालात की समीक्षा करेगा. 

चुनावी रैलियों, जुलूस और रोड शो वगैरह पर पाबंदियों और कोरोना ओमिक्रॉन संक्रमण और टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा के लिए निर्वाचन आयोग की बैठक हो रही है. शनिवार को निर्वाचन आयोग की मीटिंग के बाद राहत का दायरा बढ़ सकता है जिससे पाबंदियों का शिकंजा कुछ ढीला हो सकता है. आयोग के सूत्रों के मुताबिक पहले चरण का चुनाव प्रचार पिछले चुनावों की तरह अगर 72 घंटे पहले ही बंद होगा तो उसमें संभवत: हफ्ते भर पहले छूट मिल सकती है. आयोग के सूत्रों का कहना है कि छूट मिलेगी भी तो पाबंदियों के साथ, यानी आयोग लगाम में ढील तो देगा लेकिन लगाम हाथ में ही रखेगा. 

टीकाकरण की स्थिति देखने के बाद फैसला 

पहले मुख्य आयुक्त के साथ आयोग के सभी आयुक्त और उपायुक्तों के साथ आज हुई बैठक में ये फैसला लिया गया. मीटिंग में आयोग के उच्च अधिकारी और पांचों चुनावी राज्यों के मुख्य निर्वाचन आयुक्त भी शामिल हुए. इसके बाद राज्यों के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और मुख्य सचिव भी टीकाकरण और संक्रमण को लेकर अब तक की प्रगति की जानकारी दी. उनसे बातचीत और चर्चा के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के साथ समीक्षा बैठक कर आयोग पाबंदियों और छूट पर फैसला लिया गया. 

चुनावी माहौल में पाबंदियों को बढ़ाने के पीछे तर्कपूर्ण वजह ये बताई जा रही है कि मणिपुर में टीकाकरण की सुस्त रफ्तार से आयोग काफी असंतुष्ट है. वहीं पंजाब में भी टीकाकरण की रफ्तार बढ़ी तो है लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने में वक्त लगेगा. हालांकि गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में टीकाकरण और संक्रमण दोनों की दर रफ्तार से बढ़ रही है.