
PM Narendra Modi (Photo: PTI)
PM Narendra Modi (Photo: PTI) बिहार की राजनीति ने गुरुवार को एक बार फिर इतिहास रचा, जब नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड दसवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन इस समारोह का मुख्य आकर्षण शपथ नहीं, बल्कि मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के बीच प्रदर्शित हुई वह 'बॉन्डिंग' थी. ये बॉन्डिंग भले विरोधियों को 2010 की पीएम मोदी और नीतीश के बीच कड़वाहट को याद दिला चुकी हो, लेकिन इसने एक काम और किया. दोनों नेताओं के मजबूत होते रिश्ते ने लोगों के बीच स्थिरता और विश्वास का एक सशक्त राजनीतिक संदेश दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो इस बार पहली बार नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे, ने अपनी यात्रा का समापन पटना के गांधी मैदान में अपनी खास पहचान वाले गमछे को हवा में लहराकर किया. यह मुद्रा, जो मोदी के सार्वजनिक कार्यक्रमों की पहचान बन चुकी है, समारोह के बाद जब वह अपने हेलीकॉप्टर में सवार होने के लिए निकले, तो जनता की जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी. यह एक ऐसा दृश्य था जिसने पीएम मोदी और बिहार की जनता के बीच के भावनात्मक जुड़ाव को भी रेखांकित किया.

पीएम मोदी ने सीएम नीतीश कुमार को दी शुभकामनाएं
नीतीश कुमार ने सुबह 11:30 बजे राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से पद और गोपनीयता की शपथ ली. इसके तुरंत बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने X पर उन्हें बधाई देते हुए लिखा कि बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर श्री नीतीश कुमार जी को बधाई. वे एक अनुभवी प्रशासक हैं और कई वर्षों से सुशासन का उनका ट्रैक रिकॉर्ड रहा है. उनके आगामी कार्यकाल के लिए मेरी शुभकामनाएं. गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, पीएम मोदी और नीतीश कुमार का हाव-भाव (बॉडी लैंग्वेज) राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया. दोनों नेताओं के बीच की केमिस्ट्री ने विरोधियों की तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया. मंच पर पीएम मोदी आनंदित और सहज होकर नीतीश कुमार से मिले. उन्होंने नवनियुक्त मंत्रियों और विधायकों से भी दिल खोलकर हाथ मिलाया और उनका अभिवादन स्वीकार किया. वहीं, नीतीश कुमार पीएम मोदी का अभिवादन करते हुए भावविह्वल नजर आए. यह हाव-भाव दिखा रहा था कि दोनों नेता संबंधों में आई प्रागढ़ता को लेकर कितने उत्साहित हैं.

पीएम मोदी और नीतीश कुमार दोनों काफी खुश आए नजर
सबसे महत्वपूर्ण मोमेंट वह था, जिसने 2010 की पुरानी तल्खी को इतिहास बना दिया. कभी एक हाथ उठाने वाली तस्वीर से बिदक जाने वाले नीतीश कुमार, आज पीएम मोदी के सामने आह्लादित भाव से उनके साथ हाथ उठाए नजर आ रहे थे. यह तस्वीर जनता के बीच सीधे संदेश दे रही थी कि "जोड़ी मोदी और नीतीश के हिट होई". दोनों नेताओं की जोड़ी ने मंच से अपनी बॉन्डिंग को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया. पीएम मोदी और नीतीश कुमार दोनों काफी खुश नजर आए और एक-दूसरे को जनता के सामने पेश करते हुए दिखे. मोदी जहां नीतीश से मिलते हुए आनंदित लग रहे थे, वहीं नीतीश कुमार पीएम मोदी को हाथ में उठाए घूम रहे थे, मानो अपने सबसे खास सहयोगी को जनता से मिलवा रहे हों. इस बॉन्डिंग ने स्पष्ट संदेश दिया कि केंद्र और राज्य का यह रिश्ता अब मजबूत और स्थिर होकर चलेगा.

जब नीतीश कुमार हो गए थे बेहद खफा
पीएम मोदी और नीतीश कुमार के बीच प्रदर्शित हुई बॉन्डिंग को समझने के लिए 2010 की उस घटना को याद करना जरूरी है, जो राजनीतिक इतिहास का एक काला अध्याय मानी जाती है. लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में 2009 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की हार के बाद, 2010 में लुधियाना में एक एनडीए की रैली आयोजित हुई. मंच पर तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार का हाथ पकड़कर उठा दिया था, यह संदेश देने के लिए कि उनके रिश्ते अच्छे हैं. रैली खत्म होने के बाद नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्हें तनिक भी अंदाजा नहीं था कि मोदी ऐसा करेंगे और मंच पर कोई चारा न होने के कारण उन्होंने कुछ नहीं कहा. 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी की तरफ से बिहार के अखबारों में मोदी और नीतीश की उसी 'हाथ उठाने' वाली तस्वीर के साथ फुल पेज विज्ञापन प्रकाशित हुए. नीतीश कुमार इससे बेहद खफा हो गए और उन्होंने सरेआम खरी-खोटी सुनाई. इसके बाद, उन्होंने बीजेपी कार्यकारिणी के सदस्यों के लिए दिया गया रात्रि भोज भी रद्द कर दिया, जिससे नरेंद्र मोदी समेत तमाम बीजेपी नेताओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी.

व्यक्तिगत मतभेदों को छोड़ दिए हैं पीछे
गुरुवार को गांधी मैदान में उन्हीं नरेंद्र मोदी और उन्हीं नीतीश कुमार का आह्लादित हाव-भाव में एक-दूसरे का हाथ उठाना, 2010 की उस राजनीतिक तल्खी के अंत और एक नए, परिपक्व राजनीतिक संबंध के उदय का प्रतीक है. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्रियों की शपथ दिलाई गई. नए मंत्रिमंडल में विजय कुमार चौधरी, मंगल पांडे, दिलीप जायसवाल, श्रवण कुमार और बिजेंद्र यादव जैसे अनुभवी नेता भी शामिल थे. पीएम मोदी ने कार्यक्रम स्थल से प्रस्थान करने से पहले सभी नवनियुक्त सदस्यों को बधाई दी. यह शपथ ग्रहण समारोह केवल सरकार गठन का अवसर नहीं था, बल्कि यह संदेश था कि देश की दो सबसे बड़ी राजनीतिक हस्तियों ने अब स्थिरता और मजबूत गठबंधन के लिए अपने व्यक्तिगत मतभेदों को पीछे छोड़ दिया है.